निःशब्द
निःशब्द
समीर के हाथ से खाने की प्लेट गिर गई। सीमा कमली को फर्श साफ करने का निर्देश देते हुये पुनः समीर के लिये प्लेट लगाने लगी। कमली ने फर्श पर गिरा खाना एक पोलीथीन बैग में डाला तथा तथा गाँठ मारकर एक कोने में रख दिया।
कमली खाने को फेंक दो। किनारे क्यों रख दिया है ?’ सीमा ने पूछा।
भौजी, ठीक ही बा, जमीन अभी ही तो पोंछे बा। घर ले जाब, अपने बबुआ को खिलाब देब, उसके नसीबबा में ऐसा खाना कहाँ ?’
कमली की बात सुनकर सीमा निःशब्द रह गई। विकास के स्थानांतरण के कारण उन्हें इस छोटे से कस्बे में आये अभी तीन महीने हुये थे। उसने सुना तो था इस इलाके में गरीबी बहुत है पर इतनी होगी उसने कल्पना भी नहीं की थी। वह बचा खाना गाय या कुत्ते को खिला देती थी पर इन्हें यह सोचकर नहीं देती थी कि कहीं इनकी आदत न बिगड़ जाये। एकाएक उसने निर्णय किया अब घर में जो भी बनेगा वह कमली के बबुआ को अवश्य देगी।