मैं भी हूँ कोरोना वॉरियर
मैं भी हूँ कोरोना वॉरियर
जैसे ही कोरोना वायरस की रोकधाम के लिये प्रधानमंत्री की ओर से लॉक डाउन की घोषणा हुई दिव्यांका ने घर को लॉकअप बनाने की ठान ली । जिससे वायरस तो क्या कोई परिंदा भी पर न मार सके ।
विजय को तो वर्क फ्रॉम होम की इजाजत मिल गई थी किन्तु आठ वर्षीय बेटी ने जान्हवी ने घर सिर पर उठा लिया । उसका कहना था कि स्कूल ने छुट्टी कर दी है अब आप खेलने से भी मना कर रही हैं । हम करें भी तो क्या करें । यह कोरोना आया ही क्यों ? आई हेट दिस कोरोना वायरस । '
' क्या तुम्हें पता नहीं है कि स्कूल में छुट्टी क्यों हुई ? वैसे भी कोरोना वायरस आया कहाँ है अगर तुम लेने जाओगी तभी वह हमारे घर में आएगा वरना नहीं ।'
' वह कैसे ?'
' अगर तुम बाहर निकलती हो, अगर वहाँ कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे कोरोना वायरस ने पकड़ लिया है, यदि तुमने उसे टच कर लिया तो कोरोना वायरस तुम्हारे हाथ में आ जायेगा । जब तुम घर आओगी तो तुम्हारे साथ ही वह वायरस भी हमारे घर आ जायेगा। '
घंटी बजने की आवाज सुनकर दिव्यांका ने दरवाजा खोला सामने लीला मेड को देखकर कहा, ' जब तक लॉक डाउन है तुम भी घर पर रहो । अभी तुम्हारा आना ठीक नहीं है ।'
' माँ, तुमने आँटी को काम करने से मना कर दिया तो क्या आप खुद काम करोगी ?' लीला के जाने के पश्चात जान्हवी ने पूछा ।
' हाँ...अगर कोरोना को घर आने से रोकना है तो न तो हमें स्वयं घर से निकलना है और न ही किसी को अंदर आने देना है । अगर गलती से किसी को छू लिया हथनको चेहरे को टच नहीं करना है इसके साथ ही 20 मिनट तक साबुन से हाथ अवश्य धोने चाहिए । ' दिव्यांका ने उसे समझाते हुए कहा ।
' इसका मतलब कि खाना भी कुक अंकल नहीं,आप स्वयं बनाओगी , ।'
' हाँ बेटा...।'
'पर मैं क्या करूँ ? बोर हो रही हूँ ।'
' इतनी सारी स्टोरी बुक खरीदी हैं, उन्हें पढ़ो । '
' ओ.के.।'
थोड़ी देर बार वह फिर बोर होने की शिकायत लेकर आ गई तब तक दिव्यांका भी कम से निबट गई थी वह उसके साथ बैठकर लूडो खेलने लगी । इसी बीच उसने आई.पैड में ' टेम्पल रन ' डाउन लोड कर दिया तथा उसे खेलना सिखा कर काम के लिए उठ गई ।
माँ को सारा काम करते देख जाह्नवी आश्चर्यचकित थी । दूसरे दिन
वह सोकर उठी तो देखा माँ एक टब में सारी सब्जियां डालकर धो रही हैं ।
' यह क्या कर रही हो ? पहले तो ऐसा नहीं करती थीं ।'
' बेटा, यह कोरोना वायरस से बचने का प्रयत्न है ।'
' कहीं सब्जी के साथ वायरस तो नहीं आ गया...क्या इसलिए ?' जान्हवी ने पूछा ।
' मेरी गुड़िया तो बहुत समझदार हो गई है । जा बेटा ब्रश कर ले , बस पाँच मिनट में तुझे नाश्ता देती हूँ ।' दिव्यांका ने सब्जी धोते हुए प्यार से जान्हवी की ओर देखते हुए कहा ।
' माँ आप सारा काम कर रही हो, मुझे भी बताओ । मैं भी आपकी हेल्प करना चाहती हूँ ।'
' बेटा, अवश्य बताऊंगी । अभी तुम फ्रेश हो लो ।'
' वाह ! इतना अच्छा नाश्ता...।' विजय ने आलू परांठा खाते हुए कहा ।
' सच पापा, मम्मी कुक अंकल से ज्यादा अच्छा खाना बनाती हैं ।'
धीरे-धीरे जान्हवी ने स्वयं को समय के साथ बदल लिया । अब वह बाहर जाने की जिद नहीं करती थी... कभी वह कभी कहानी पढ़ती तो कभी ड्राइंग बुक निकाल कर बने चित्रों में रंग भरती , कभी प्ले डोह से मॉडल बनाती, तो कभी टी.वी. पर आ रहे रामायण , महाभारत सीरियल देखती ।
एक दिन रात्रि को खाना खाते हुए विजय न्यूज़ देख रहे थे । अचानक जान्हवी उठी और बालकनी में रखे गुलाब के पौधे से एक गुलाब तोड़ लाई तथा उसकी पंखुड़ियां अपनी माँ पर बिखेरने लगी ।
' यह क्या कर रही हो दिव्यांका...फूल तोड़ने के लिए मना किया था।'
' सॉरी पापा ...कोरोना वारियर पर सब लोग फूल बरसा रहे थे तो मैंने भी मम्मी के ऊपर फूल बरसा दिए ।
' हमारी मम्मी भी कोरोना वारियर हैं न पापा...।' अचानक जान्हवी ने कहा ।
विजय ने जान्हवी की ओर आश्चर्य से देखा फिर कहा...
' सच कह रही हो बेटी, तुम्हारी माँ भी कोरोना वारियर हैं, तभी वह सारा काम स्वयं करके घर में कोरोना को घुसने से रोक रही हैं ।'
बेटी और विजय के शब्द सुनकर दिव्यांका को लगा कि विजय और जान्हवी ने उसे बहुत बड़े खिताब से नवाज कर उसकी मेहनत सफल कर दी हैं । बार-बार उसके मन में एक ही वाक्य गूँजकर उसे शक्ति प्रदान कर रहा था...हाँ मैं भी हूँ कोरोना वारियर ….।