Palak Jain

Abstract

4.5  

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नारी शिक्षा

नारी शिक्षा

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एक लड़की का नाम सुनीता था। वह अनाथ थी ।उसके माता -पिता अब इस दुनिया में नहीं थे ।सुनीता के माता -पिता की समाधि होने से पहले सुनीता के माता-पिता ने उसकी मौसी को कहा कि मेरी छोटी सी बेटी का ख्याल रखना ।वह तो सिर्फ अभी 3 वर्ष की है ।यह कहकर सुनीता के माता-पिता ने अपनी आखरी साँस ली ।सुनीता और उसका परिवार बहुत गरीब था।उनकेपास सुनीता के माता-पिता के अन्तिम संस्कार कारवाने के लिये भी पैसे नहीं थे ।उसकी मौसी उसे दिन-रात ताने तथा गंदी-गंदी गालियाँ भी सुनाती थी ।सुनीता एक दम शान्त रहती थी और एक अकेले कमरे मैं जाकर फूट-फूट कर रोने लगती ।उसके माता-पिता नहीं हैं उसमे उसकी क्या गलती ?एक दिन सुनीता के छोटे भाई को नए विद्यालय में दाखिला करवाना था।सुनीता ने भी अपनी मौसी को कहा कि मुझे भी विद्यालय जाना है मुखे भी पढ़-लिख कर एक काबिल इन्सान बनना है ।सुनीता की मौसी क्रोध मे आकर बोली की "तुम्हें पढ़ना है ?तुम्हारे पढ़ने के पैसे कहा से आयेंगे ।चलो एक बार के लिये मांन भी लिया की तुम्हे विद्यालय मै पढ़ना है ।पर तुम पढ़कर करोगी भी क्या? वैसे भी बड़े होकर तो तुम्हे चूल्हा ही तो सम्भलना है ।" सुनीता यह सुनकर खूब रोने लगी ।जब सुनीता की मौसी ने उसे यह सब कहा तो वहाँ पर सुनीता की नानी खड़ी थी।यह सब उन्होने देखा और बहुत उदास हुई ।वह सुनीता के पास गई और उन्होंने उससे बात की ।


सुनीता ने जब अपनी नानी से बातकी तो उसके जान मे जान आई ।उसने यह संकल्प ले लिया था कि मैं पढूं या ना पढ़ूं पर और लड़कियाँ जिन्हे पढ़ना है उनके लिये मैं ज़रूर लडूंगी।न जाने कितने लोग ऐसे होंगे जो लड़कियों को पढ़ने नही देते होंगे ।उसकी नानी सुनीता की बात सुनकर सुनीता पर गर्व महसूस करने लगी ।कुछ साल बीत गए अब सुनीता 21वर्ष की थी ।सुनीता ने साक्षात्कार दिया और उसे शिक्षा मंत्री के रूप मे चुना गया।

अब सुनीता सोचने लगी की इतने सालों की मेहनत आज रंग लाएगी ।सुनीता अपने दूसरे साक्षात्कार को देने से पहले अपनी नानी का आशीर्वाद लेने गई।उसकी नानी खुश होकर सुनीता को आशीर्वाद दिया ।सुनीता को साक्षात्कार में कई तरह के प्रश्न पूछे गए जैसे 'आपको ऐसा विचार कैसे आया?क्या आपको लगता है की आपकी सालों की मेहनत रंग लाएगी ?सुनीता ने बेखूबी से इन प्रश्नो के उत्तर दिये और अपने इस साक्षात्कार में भी सफल हुई।अब सुनीता के उपर अखबार में कई सारे अनुच्छेद छपे हैं कि उसने लडकियों की पढा़ई के लिया क्या-क्या योगदान दिया।इतना ही नहीं ,इसने गरीब बच्चो के लिये पढा़ई मुफ्त कर दी।अब सुनीता की मौसी जो उसे ताने सुनाती थी उन्हें भी अब शर्मिंदगी होने लगी।

आज एक लड़की जिसने कभी पढा़ई नहीं की वो आज अच्छा काम कर रही है। सुनीता से धन्यवाद कहने के लिये आई।उस लड़की ने सुनीता से पूछा कि "आपने अकेले ही यह सब कैसे कर लिया ?"तो उसने कहा कि मैनें अकेले नहीं, मेरे इस अच्छे काम के पीछे मेरी नानी का बड़ा हाथ है ।"



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