कोरोना में घर-घर की कहानी
कोरोना में घर-घर की कहानी


चाय पर चर्चा करते हुए।
दादी माँ-आठ जून से मंदिर खुल गए है। मेरी श्रद्धा है की मैं मंदिर के दर्शन करने जाऊँ।
माँ-हाँ, मैं भी चलूंगी।
पलक-माँ अगर लॉकडाउन खुल भी गया है तब भी हमे अपनी सावधानी बनाते हुए अपना काम करना चाहिये। हमे यह ध्यान रखना है की हमे :-
1-एक दूसरे से दूरी बनाये रखना है।
2-मास्क पहन कर हर जगह जाना है और बिल्कुल भी लापरवाही नहीं करनी है।
बड़ी बहन-हाँ और हमे समय -समय पर अपने हाथ साबुन से धोते रहना है।किसी चीज़ का उपयोग करने से पहले उसको स्वच्छ करना है।
पापा(अखबार पढ़ते हुए)-कोविड-19:सर्वाधिक संक्रमित देशों की सूची मे भारत अब चौथे स्थान पर, आंकड़ा तीन लाख के करीब। भारत में कोरोना पिछले चौबीस घन्टे में दस हज़ार से ज्यादा नए मामले सामने आये 396 लोगो की मौत।
माँ-मुझे ऐसा लगता है की लॉकडाउन वापस हो जायेगा। मैं ऐसा करती हूँ दस kg चावल , दस kgआटा, दस kgचीनी ले आती हूँ और जो भी ज़रूरत के समान है उनको भी ले आती हूँ ।
पलक-(उत्साह से)-जी आप मेरे लिये चिप्स,चॉकलेट भी ले आना ।
बड़ी बहन-अरे बस बस। हमे इतना लालच नहीं करना चाहिये। हमे यह भी ध्यान रखना है की मार्केट में इतना समान नहीं
है। हमे जितने की ज़रूरत हो उतना ही लेना चाहिये। अगर हम ही सारा समान ले लेंगे तो फिर बाकी क्या लेंगे?
माँ-तुम सही कह रही हो। मैने तो इस बारे मे सोचा ही नही था।
पलक-हमे गरीब लोगो की सहायता करनी चाहिये। हमे कोरोना से डरना नहीं लड़ना है।
माँ-चलो इस लॉकडाउन मे एक बात सबसे अच्छी लगी, की आज हम पहली बार एक साथ बैठ कर चाय पी रहे है और इस लॉकडाउन के वजह से हमे एक दूसरे के साथ हमे टाईम बिताने को भी मिल रहा है ।
पलक और उसकी बड़ी बहन साथ में -हाँ सही कह रहे हो आप।
नैतिक -कुछ करने के लिये कभी कभी,
लॉकडाउन में रहना पड़ता है,और
घर मे रहकर जीतने वाले को
बाज़िगर कहते है मेरे दोस्त।
तो चलिये सब लोग यह प्रण लेते है की लॉकडाउन मे हम किसी ज़रूरी काम से ही बाहर जायेंगे और हमारे प्रधानमंत्री मोदीजी की सहायता करेंगे और अपने देश को कोरोना महामारी से बचाने मे अपना सहयोग देंगे।