Dr. Chanchal Chauhan

Inspirational

4.5  

Dr. Chanchal Chauhan

Inspirational

नारी - मंजिल की ओर बढ़ते पग

नारी - मंजिल की ओर बढ़ते पग

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अब रात को 1:00 बजे डोर बेल बजी ।" कौन हो सकता है " कंचन ने अपने पति से कहा ।पति ने सोई हुई आंखों से और झल्लाते हुए कंचन से कहा 'देखता हूं इतनी रात कौन आया है पता नहीं" ।कंचन के पति दरवाजे की तरफ जाते हुए कंचन से कहा कि मैं अभी आ रहा हूं देखता हूं कौन है दरवाजे पर।

दरवाजा जैसे ही कंचन के पति ने खोला तो देखकर वह हक्के बक्के रह गए और बोले "अरे निहारिका तुम !!!। और यह क्या हालत बना रखी है तुमने क्या हुआ ??? " घबराते हुए कंचन के पति ने कहा। फिर कंचन को आवाज लगाई देखो देखो निहारिका को देखो कंचन जल्दी आओ ।

घबराई हुई कंचन पति की आवाज सुनकर दौड़ी हुई दरवाजे की तरफ आई और देखा और वह भी हक्की बक्की रह गई बोली "निहारिका !!! तुम इस वक्त और इस हालत में क्या हुआ ?? ??" घबराते हुए कंचन नीचे जमीन पर गिर पड़ी।

कंचन को नीचे गिरा देख पति ने तुरंत पानी के छींटे उसके ऊपर डाले फिर एकदम से कंचन की आंखें खुली और शून्य आंखों से अपने पति को देखने लगी ।निहारिका की स्थिति को देख और उसके हावभाव को देख कंचन और उसके पति को समस्या भाँपते देर ना लगी ।इधर निहारिका भी दरवाजे पर खड़ी थी और मां की इस हालत को देखकर वह भी घबरा गई।कंचन ने निहारिका को देख बोला निहारिका अंदर आओ और दरवाजा बंद कर दो। निहारिका अंदर आई और अपनी मां कंचन और पिता के पास बैठी और फूट-फूट कर रोने लगी। रोते-रोते निहारिका ने बताया कि आज उसके पति से उससे बहुत लड़ाई की और उसने उसके ऊपर हाथ उठाया जिसको वह सहन ना कर सकी और यहाँ आ गई।

बहुत रात हो जाने के कारण कंचन और उसके पति ने ज्यादा बात करना उचित नहीं समझा और निहारिका से कहा निहारिका चलो पानी पियो और हाथ मुंह धो कर सो जाओ ।अब हम कल सुबह बात करेंगे ।निहारिका अपना सामान रख अपने कमरे में चली गई और सो गई।


कंचन और उसके पति ने अपनी बेटी निहारिका की शादी एक महीने पहले एक अफसर से की थी। बहुत ही अरमानों से कंचन ने अपनी एकलौती बेटी की शादी बड़ी धूमधम से की ।शुरु शुरु में तो सब ठीक चलता रहा किंतु निहारिका और उसके पति में मतभेद होने लगा और इन मतभेदों के कारण आए दिन घर में कलेश रहने लगा ।


अगले दिन सुबह कंचन ने उठकर चाय बनाई और अपने पति और निहारिका को चाय दे करके उठाया फिर तीनों एक टेबल पर आ करके बैठ गए ।रात की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कंचन ने निहारिका से पूछा "बोल बेटा अब बता सारी स्थिति क्या हुआ तेरे साथ "। आंखों में आंसू लिए निहारिका ने कहा" अब यह रोज-रोज की लड़ाई और रोज-रोज का कलेश अब मुझसे सहन नहीं होता अब मेरे पति मेरे पर हाथ उठाने लगे हैं मारपीट करने लगे हैं अब यह मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती" ।

निहारिका की बात सुन मां कंचन बहुत दुखी हुई। कंचन और उसके पति कई बार बातचीत कर चुके हैं निहारिका और उसके पति से किंतु कोई हल नजर नहीं आ रहा। निहारिका ने परेशान होकर के राष्ट्रीय महिला आयोग में लिखित में शिकायत कर दी ।लिखित शिकायत ऑनलाइन पाकर के राष्ट्रीय महिला आयोग की वृन्दा चौहान ने निहारिका तथा उसके पति दोनों को अपने ऑफिस बुलाया और दोनों से बातचीत की और उन्हें समय दिया । नियत अवधि के बाद दोनों को फिर ऑफिस बुलाया गया दोनों को समझाया गया ।अंत: निहारिका के पति ने निहारिका से माफी मांगी कि वह भविष्य में कभी उसके ऊपर हाथ नहीं उठाएगा । दोनों के मतभेद को समाप्त किया गया और दोनों हंसी खुशी अपने घर चले गए।कुछ दिन उपरांत निहारिका और उसके पति ने अपने लिखित पत्र में वृंदा चौहान को बधाई दी उनके सफल प्रयास के लिए । तथा कंचन मां और उसके पति ने भी राष्ट्रीय महिला आयोग में पहुंचकर बधाई दी।


राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को उनके अधिकार और उनके मानसिक स्तर को संतुलित बनाने का बीड़ा उठाया है मेरी बेटी वृंदा चौहान ने । वह राष्ट्रीय महिला आयोग में महिलाओं के हितकार्य के लिए सेवारत है ।उसने अपने सेवाकाल से आजतक महिलाओं के सशक्तिकरण व मानसिक, बौद्धिक स्तर को ऊंचा उठाया तथा लैंगिक भेदभाव व यौन उत्पीड़न समाप्ति का तथा साथ ही परिवार सामंजस्य का संदेश दिया । महिला हिंसा चाहे परिवार में या समाज में यह अपराध है ।

जिस नारी का बौद्धिक व सामाजिक स्तर स्वस्थ होता है वह स्वस्थ व अच्छे राष्ट्र निर्माण में सहायक होती है साथ ही एक कड़ी भी होती है जो कई कड़ियों को जोड़ने का कार्य करती है। ऐसी है मेरी बेटी जिसका तन मन दोनों ही खूबसूरत है। वह दिनरात सेवारत है महिलाओं के अधिकारों व आर्थिक व सामाजिक रूप से महिलाओं को सबल बनाना ,अपने हक के लिए प्रयत्नशील के लिये । मुझे गर्व होता है ऐसी बेटी मेरे पास है जो राष्ट्रीय निर्माण में सहायक है।अपनी बेटी के इस हितार्थकार्य व योगदान पर मुझे गर्व होता है तथा उम्मीद कि सदा ऐसे ही आगे बढ़े ।



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