नागमणि...
नागमणि...
नगीना फिल्म की शूटिंग चल रही थी, और मैं वहां शूटिंग देखने गया था। श्रीदेवी जी नागिन के रूप में बहुत ही आकर्षक गेट अप में तैयार हो रही थी। मैंने सिक्योरिटी गार्ड को निवेदन किया-कि मुझे इच्छाधारी नागिन से मिलना है। यह सब सुनकर गार्ड ने कहा, क्या तुम पागल हो गए हो माना कि शूटिंग जंगल में हो रही है, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि यहां पर नाग-नागिन हमने पाल रखे हों। चलो जाओ यहां से, अपना काम करो।
किन मैं ठहरा एक मस्त मौला, मजाकिया इंसान मैंने उनसे फिर निवेदन किया-कि भाई मुझे एक बार मिलने दो मुझे कुछ मनोकामना मांगनी है। यह सब सुनकर सिक्योरिटी गार्ड ने मुझे धक्का मारा, मैं पीछे गिर गया। मैं फिर से संभल कर खड़ा हुआ फिर गार्ड महोदय को समझाया, अरे भाई मेरा श्रीदेवी जी से अपॉइंटमेंट है, कृपया मुझे मिलने दिया जाए।
जैसे तैसे मैं श्रीदेवी जी के पास पहुंचा। मैंने श्रीदेवी जी को अभिवादन किया, श्रीदेवी जी ने मुझे अपने पास पड़ी हुई चेयर पर बैठने को कहा। श्री देवी जी ने वेटर को कहा-कि शर्मा जी के लिए चाय लेकर आइए। मैंने मना किया कि, नहीं नहीं आप रहने दीजिएगा, कष्ट की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन मेरे मनाही करने पर भी श्रीदेवी जी ने कप में चाय मंगा ही ली। इसके बाद मेरा वार्तालाप का दौर शुरू हुआ।
श्रीदेवी जी ने बोला कि बताइए शर्मा जी कैसे आना हुआ। मैंने कहा कि, शूटिंग के दौरान जब आप इच्छाधारी नागिन बनती हैं, तब मैं आपका वो रूप देखना चाहता हूं। अब हम ठहरे उनके फैन, वह हमसे कैसे मना करती।
अब वक्त आ गया शूटिंग का और श्रीदेवी जी ने नागिन का रूप धारण किया। हमने कहा एक बार आप हमें अपनी नागमणि दिखा दीजिए। श्रीदेवी जी हमारा मन रखने के लिए, मना तो नहीं कर सकती थी, उन्होंने हमारे हाथ पर नागमणि रख दी। इसके बाद क्या था हमने अपने पैरों में पूरी जान भरके लगा दी दौड़ और नौ दो ग्यारह हो लिये।
हम घर आ गए और हमने अपने बेडरूम में नागमणि को रख दिया। अब जैसे ही रात हुई और हम सोने की मुद्रा में जाने ही वाले थे, कि हमने देखा कि हमारे पैरों पर कुछ भारी भारी सा रखा है। हमने सिर उठाकर देखा श्री देवी जी बैठी थी। उन्होंने कहा कि हमारी नागमणि लौटाओ नहीं तो फिर से इच्छाधारी नागिन के रूप में आते हैं। फिर क्या था हमें मजबूरी में उनको नागमणि लौटानी पड़ी। फिर अपने अमीर बनने के नए ख्वाब में खो गये।