Tinku Sharma

Children Stories

4.5  

Tinku Sharma

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ऑनलाइन क्लास की चिंता

ऑनलाइन क्लास की चिंता

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दिव्यांशु घर के दरवाजे पर सिर पर हाथ रख कर बैठा था, बहुत उदास, परेशान। उसके चेहरे से साफ झलक रहा था कि वह बहुत परेशान में था। तभी चाचा जी वहां से गुजर रहे थे उन्होंने दिव्यांशु को देखा। उन्होंने उससे पूछा क्या हुआ "बेटा क्यों परेशान, उदास बैठे हो।" दिव्यांशु ने झट से सिर ऊपर उठाया और अपने चेहरे के भाव बदल कर बोला- "नहीं नहीं, चाचा जी ऐसी कोई बात नहीं है।" लेकिन वह ठहरे चाचा चौधरी ऐसा कैसे हो सकता था कि वो चेहरे पर परेशानी के भाव ना पढ़ सकते हों। उसके लाख छुपाने पर भी चाचाजी ने बड़े प्यार से पूछा-" बेटा हम तुम्हारे चाचा जी हैं, हम बड़े हैं, हमारा कर्तव्य है , यह जानना कि बच्चे क्यों परेशान हैं ।"

दिव्यांशुं ने कहा- "चाचा जी क्या बताऊं,बड़ी मुसीबत में फंस गया हूं । कुछ भी नहीं सूझ रहा है, कि मुझे क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए ? मैं कक्षा दसवीं में पढ़ता हूं, और इस बार मेरी बोर्ड की परीक्षा है। पूर साल गुजरता जा रहा है, एक भी क्लास नहीं चली है। किताबें जैसी खरीदी थी, लगभग वैसी ही है। ऑनलाइन जूम पर क्लास होती है, बहुत कोशिश करता हूं समझने की। लेकिन कुछ भी समझ नहीं आता है। बेशक मैं जानता हूं कि मेरे शिक्षक अपनी पूरी मेहनत और लगन से हमारी मदद कर रहे हैं, हमें पढ़ा रहे हैं। लेकिन मेरी समस्या कुछ और है। मैं पढ़ने में थोड़ा सा कमजोर हूं, मैं पहले से ही थोड़ा देरी से समझ पाता था। क्लास में भी पूरा ध्यान लगाकर, मन लगाकर पढ़ता था। लेकिन फिर भी कभी वक्त पर अपना काम पूरा नहीं कर पाया, और मुझे इतनी जल्दी समझ भी नहीं आता। तो यह तो ऑनलाइन क्लासेस हैं। अब मेरी समझ में नहीं आता, कि मुझे क्या करना चाहिए, और मैं कैसे बोलूं। इस बार मेरी बोर्ड की परीक्षा भी है, पता नहीं इस बार मेरा परिणाम कैसा रहेगा। चाचा जी, दिन रात इसी उधेड़बुन में लगा रहता हूं, कि मैं कैसे इस बार अपनी परीक्षा उत्तीर्ण कर पाऊंगा। मैं पढ़ाई में कमजोर हूं, यह बात मैं किसी को नहीं बता सकता। अगर माता-पिता को बताता हूं तो उन की डांट खानी पड़ेगी। और जबकि अध्यापक तो सभी बच्चों के हिसाब से ही पढ़ाते हैं। उनको एक साथ सभी बच्चों को एक जैसा ही पढ़ाना है। बस इसी वजह से मैं परेशान हूं अब आप बताइए कि मुझे क्या करना चाहिए, मैं क्या करूं? आप तो बहुत समझदार है, और आप समस्या का समाधान भी बहुत अच्छे से निकालते हैं। कृपया मुझे बताइए कि मैं अपनी परीक्षा की तैयारी कैसे करूं?"

इतना सब सुनकर चाचा जी थोड़ा सोचने की मुद्रा में हो गये, फिर उन्होंने कहा- "बेटा बात तो सही है,मैं तुम्हारी समस्या समझ सकता हूं । यह एक सामान्य सी बात है, जिसे इस समय शिक्षक और अभिभावक नजरअंदाज कर रहे हैं। तुम एक काम करो, मैं शाम को घर पर रहता हूं, और कुछ विषय मेरे बहुत अच्छे हैं। मैं आपको इतना मदद कर दूंगा कि मैं इन विषयों में आपको कुछ मार्गदर्शन दे दूँगा।" आप मेरे घर शाम को 5:00 बजे आ जाना। इतना सुनकर मुझे अच्छा लगा अब मुझे महसूस हुआ इस प्रकार मेरी थोड़ी समस्या कम हो सकती है,और मुझे चाचा जी से सहयोग मिल सकता है। फिर क्या था मेरे चेहरे पर थोड़ी खुशी के भाव आए। मैंने चाचा जी को दिल से धन्यवाद दिया, और कल समय पर आने का वादा भी किया।


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