मवाना टॉकीज भाग 5

मवाना टॉकीज भाग 5

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सोमू दूसरे दिन दोपहर बाद डॉ चटर्जी के क्लीनिक पहुँच गया। डॉ चटर्जी मनोचिकित्सक थे। सोमू अपने कुछ सवालों के जवाब पाने को मरा जा रहा था। उसके पहले लाइन में कुछ और मरीज थे। संयोग से सोमू का नंबर अंतिम था। उनके बाद एक महिला आई तो रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने उसे नम्रतापूर्वक कल आने को कहकर लौटा दिया। डॉ चटर्जी नियत संख्या के बाद पेसेंट्स को अटेंड नहीं करते थे। सबके बाद जब सोमू का नंबर आया तब तक शाम गहरा चुकी थी। 
नमस्ते डॉ साहब, सोमू ने मरी सी आवाज में हाथ जोड़कर अभिवादन किया। 
नमस्ते,नमस्ते यंग बॉय! हमेशा की तरह उत्साहपूर्ण स्वर में बुजुर्ग डॉ बोले, क्या हाल चाल है? 
ठीक नहीं है सर, सोमू बोला, मैं बहुत परेशान हूँ 
क्यों क्या हुआ? क्या फिर दौरे पड़ने लगे? चिंतित आवाज में डॉ चटर्जी ने पूछा 
दरअसल पहले भी डॉ साहब ने सोमू का इलाज किया था। उसे अजीब से दौरे पड़ते थे जिसमें उसे अजीबो गरीब चीजें दिखाई पड़ती थी।। कभी कोई एक्सीडेंट हुआ दिखाई पड़ता तो कभी कोई खून होता हुआ नजर आता था। एक दो बार वह सूचना देने पुलिस स्टेशन भी पहुँच गया और पुलिस ने इसे साथ ले जाकर मामले की तहकीकात की तो बात झूठ निकली। इसपर पुलिस ने इसे कड़ी चेतावनी देकर दिमागी इलाज करवाने की सलाह दी थी उसी सिलसिले में सोमू पहली बार डॉ चटर्जी से मिला था। बाद में डॉ चटर्जी की काउंसलिंग और इलाज से सोमू को काफी फायदा पहुंचा था और उसके दौरे धीरे धीरे बंद हो गए थे। अब उसे वापस आया देखकर चटर्जी चिंतित हो गए कि दौरे पड़ने फिर तो नहीं शुरू हो गए? 
क्या बात है सोमू? उन्होंने पूछा 
जवाब में सोमू ने उन्हें पूरा किस्सा कह सुनाया। टॉकीज में हुई हैरतअंगेज घटनाओं को सुनकर डॉ चटर्जी कुछ देर चिंतित मुद्रा में बैठे रहे फिर बोले, लगता है तुम्हारे दिमागी खलल ने फिर सिर उठाना शुरू कर दिया है सोमू! बड़ा अच्छा हुआ कि तुम जल्दी ही मेरे पास आ गए हो। चिंता मत करो। मैं दवाइयां लिख देता हूँ उन्हें बराबर लेते रहो ठीक हो जाओगे। 
लेकिन सर! मैं कसम खाकर कहता हूँ कि मैंने सच में सब देखा और महसूस किया है, सोमू रोनी आवाज में बोला, चलिये अगर मान भी लें कि मैंने हॉल में हुई घटनाओं को स्वप्न में देखा था पर बाद में वही फिल्म प्रोजेक्टर में लटकी क्यों दिखाई पड़ी? 
देखो यंग बॉय! चटर्जी बाबू समझाने वाली मुद्रा में बोले, इंसानी दिमाग इस संसार की सबसे जटिल चीज है। इसमें ज़रा सा भी रासायनिक बदलाव हो जाए तो यह कुछ भी कर और करवा सकता है। तुम बीमारी के जिस दौर से गुजर रहे हो उनमें तुम कुछ भी देख सुन और महसूस कर सकते हो। 
लेकिन सर! सोमू ने कुछ कहना चाहा तो डॉ चटर्जी ने उसकी बात हाथ उठाकर काट दी और बोले, देखो मैं घर जा रहा हूँ, मवाना टॉकीज मेरे घर के रास्ते में ही है, तुम साथ चलो मैं वहीं चलकर तुम्हें समझाता हूँ फिर तुम्हारी समझ में सब आ जाएगा। 
सोमू ने सहमति में सिर हिलाया और उनके साथ चल पड़ा।

क्या टॉकीज में चटर्जी सोमू को समझा पाये या वो भी किसी प्रेत लीला के शिकार हो गए?
पढ़िए कल भाग 6


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