मूंग दाल का हलवा

मूंग दाल का हलवा

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शुभि, मैं तुम्हारे शहर आ रहा हूँ काम से, इस बहाने मुलाकात भी हो जायेगी।

ठीक है अम्बर, शाम को मिलते हैं, लक्ष्मी नारायण मंदिर में।

वाह शुभि बहुत सुन्दर लग रही हो आज। और बताओ कैसी हो ?

मैं ठीक हूँ अम्बर, ये लो मैं तुम्हारे लिए मूंग दाल का हलवा लेकर आई हूँ।

अरे वाह, बहुत भूख लगी है, जल्दी से हलवा दो न, वाह बहुत अच्छा बना है शुभि, धन्यवाद। मजा आ गया।

कुछ वर्षों बाद

एक बात बताऊँ शुभि ?

हाँ कहो न।

मुझे मूंग दाल का हलवा बिल्कुल पसंद नहीं, वो तो उस दिन तुम पहली बार अपने हाथ से मेरे लिए कुछ बनाकर लाई थी, यह सोचकर जैसे-तैसे पूरा खा गया था।

अम्बर मुझे भी तुमसे कुछ कहना है।

हाँ कहो न।

उस दिन वो मूंग दाल का हलवा मैंने नहीं बनाया था, मैं बाई से बनवाकर लाई थी।

दोनों एक दूसरे की ओर देखते हैं और खिलखिला कर हँस पड़ते हैं।


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