Sachin Kapoor

Others

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क्राइम रेट में कमी

क्राइम रेट में कमी

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बस स्टाॅप पर काफी भीड़ थी। कुछ यात्री सिटी बस में चढ़ रहे थे और कुछ यात्री बस से उतर रहे थे। प्रकाश भी भीड़ में जगह बनाते हुए अपने साथी के साथ बस में सवार हो गया।

बस जैसे ही आगे बढ़ी लोगों ने प्रकाश से पूछा "आपका पर्स चैक कीजिये, क्या वो अभी भी आपकी पॉकेट में है?"

प्रकाश ने अपने जींस की जेब चैक की तो उसमें पर्स नहीं था। लोगों ने प्रकाश से कहा कि "आपके पहले जो सज्जन सा बन्दा बस में सवार हुआ और अंदर देखकर तुरंत नीचे उतरते हुए वह आपके पर्स पर हाथ साफ कर गया।"

प्रकाश ने तुरंत बस रुकवाई और अपने साथी के साथ बस से नीचे उतर गया। आसपास देखा तो पॉकेट मार एक ऑटो में बैठकर भागता हुआ दिखाई दिया। प्रकाश और उसके साथी ने दूसरा ऑटो लिया और उसका पीछा करने लगे। लेकिन बहुत ट्रैफिक होने के कारण वो ऑटो उनकी नज़रों से ओझल हो गया।

प्रकाश और उसका मित्र रिपोर्ट दर्ज करवाने थाने गये। वहां उन्होने हवलदार साहब को पूरी घटना की जानकारी देते हुए रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा।

हवलदार साहब ने पूछा कि "पर्स में क्या क्या था और कितना पैसा था? प्रकाश ने बताया सर 1500 रुपये थे, पैनकार्ड, वोटर आईडी और एटीएम कार्ड। जिसको ब्लाॅक करते करते 500 रुपये का सौदा उससे हो चुका था।"

हवलदार साहब ने कहा "देखो रिपोर्ट तो मैं आपकी लिख लुंगा, लेकिन अब आपका पैसा तो आपको मिल नहीं पायेगा। आपके सिर्फ 2000 रुपये तो गये हैं, ऐसा कीजिए जेब कटने की जगह पर्स गुम होने की रिपोर्ट दर्ज करवायें, अगर आपके दस्तावेज़ मिलते हैं तो हम आपको लौटा देंगे।"

प्रकाश भी हवलदार साहब की बात में आ गया और पर्स खो जाने की रिपोर्ट लिखवाकर घर आ गया। जब यह बात उसने अपने एक दोस्त जो कि क्राइम रिपोर्टर था उसको बताई तब उसने प्रकाश को बताया कि पुलिस वाले इस तरह के केस में अधिकतर पर्स गुम होने की शिकायत ही लिखते हैं ताकि उनके थाने में क्राइम रेट कम दिखे और उन्हें ऊपर जवाब भी न देना पड़े। साथ ही उन जेबकतरों पर कोई कार्रवाई भी इस कारण नहीं हो पाती, लेकिन उनसे कमीशन ज़रूर वसूल लिया जाता है। इस तरह भी हमारे यहाँ क्राइम रेट में कमी आती है।



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