STORYMIRROR

राजकुमार कांदु

Abstract Tragedy

2  

राजकुमार कांदु

Abstract Tragedy

मुर्दा

मुर्दा

1 min
158

श्मशान के बाहर अर्थियों की कतारें लगी हुई हैं खुद के खाक होने के इंतजार में, तभी एक बड़ी सी एम्बुलेंस आई। रास्ते भर आगे आगे चल रही आलीशान कार एम्बुलेंस से पहले ही रुक गई थी। एम्बुलेंस से उतर कर चार अस्पताल कर्मियों ने स्ट्रेचर पर रखे एक शव को उठाया और चल दिए सबसे आगे की ओर। 

अभी अभी आकर आगे बढ़ रहे शव को देखकर एक युवा मुर्दा कुनमुनाया, " अरे ! गजब की अंधेरगर्दी है ! अभी आया और चल दिया हमसे पहले खाक होने के लिए ?"

कतार में उसके बगल में रखा एक बुजुर्ग शव ठहाका लगाकर हँस पड़ा, " बेटा ! भूल गया क्या कि तू आम इंसान था और अब एक आम मुर्दा ? मरे तो हम आज हैं लेकिन मुर्दा तो उसी समय हो गए थे जब हमने अन्याय का विरोध करना छोड़ दिया था। अगर जीते जी इन खास लोगों के खिलाफ आवाज बुलंद किया होता तो आज मरने के बाद इस तरह कतार में न लगना पड़ता !


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract