dr.Arti Vajpai

Classics

4.2  

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मुझे गर्व है कि मैं ब्राह्मण हूँ

मुझे गर्व है कि मैं ब्राह्मण हूँ

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मुझे गर्व है कि मैं ब्राह्मण हूँ 

जानिये क्यों

एक समय की बात है जब..,

गुलामी के दिन थे। प्रयाग में कुम्भ मेला चल रहा था। एक अंग्रेज़ अपने द्विभाषिये के साथ वहाँ आया। गंगा के किनारे एकत्रित अपार जन समूह को देख अंग्रेज़ चकरा गया!

उसने द्विभाषिये से पूछा, "इतने लोग यहाँ क्यों इकट्टा हुए हैं ?" 

द्विभाषिया बोला, "गंगा स्नान के लिये आये हैं सर।" 

अंग्रेज़ बोला, "गंगा तो यहां रोज ही बहती है फिर आज ही इतनी भीड़ क्यों इकट्ठा है ?" 

द्विभाषीया: - "सर आज इनका कोई मुख्य स्नान पर्व होगा ?" 

अंग्रेज़ :- " पता करो कौन सा पर्व है ?" 

द्विभाषिये ने एक आदमी से पूछा तो पता चला कि आज बसंत पंचमी है!

अंग्रेज़:- "इतने सारे लोगों को एक साथ कैसे मालूम हुआ कि आज ही बसंत पंचमी है ?"

द्विभाषिये ने जब लोगों से पुनः इस बारे में पूछा तो एक ने जेब से एक जंत्री निकाल कर दिया और बोला इसमें हमारे सभी तिथि त्योहारों की जानकारी है!

अंग्रेज़ अपनी आगे की यात्रा स्थगित कर जंत्री लिखने वाले के घर पहुँचा....

एक छोटा सा कमरा, कंधे पर लाल गमछा, खुली पीठ, साधारण् धोती पहने एक व्यक्ति दीपक की मद्धिम रोशनी में कुछ लिख रहा था ? पूछने पर पता चला कि वो एक कर्म काण्डी ब्राह्मण था जो जंत्री और पंचांग लिखकर परिवार का पेट भरता था !!!

अंग्रेज़ ने अपने वायसराय को अगले ही क्षण एक पत्र लिखा :- "इंडिया पर सदा के लिए शासन करना है तो सर्वप्रथम ब्राह्मणों का समूल विनाश करना होगा सर क्योंकि जब एक दरिद्र और भूँख से जर्जर ब्राह्मण इतनी क्षमता रखता है कि दो चार लाख लोगों को कभी भी कही भी इकट्टा कर सकता है तो, सक्षम ब्राह्मण तो पूरी दुनिया की दशा दिशा और नीति बदल सकते हैं, गहराई से मनन् कीजियेगा आप से लोग क्यों घबराते हैं।। धन्यवाद !


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