मर्डर-मिस्ट्री-विथ-लव-बर्ड-1
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मर्डर-मिस्ट्री-विथ-लव-बर्ड-1
अच्छा हुआ आपने बचा लिया सर,
वरना मेरा तो मर्डर हो चुका था।
लम्बी साँस लेकर वो बोला।
लेकिन जय ऐसा किसने, क्यो किया?
ASI वीरभद्रसिंह बोले।
खुद असमंजस में जय बोला सर!!! पता नहीं,
ये सजा महोब्बत की हैं या राजनीति की।
तुम केहेना क्या चाहते हो?
तुम्हारे मर्डर को मिसरी बनाने की कोशिश किसने की?
जय बोला सुनिए सर.....
★★★
एक आदमी अपनी BMW से उतरकर, अपनी पहचान छुपाए झोपडपट्टी के एक घर मे दाखिल हुआ।
वो आदमी ने अपनी पहचान छुपाई,सामने खड़ी औरत का चेहरा भी साफ नहीं दिख रहा।
वो आदमी उस औरत के सामने गिरकर, भीख मांग रहा।मगर उस औरत ने उसे धक्के देकर अपने घर से निकाल दिया।
★
एक लड़का चोरी से ये सब कुछ देख रहा।वो खुद नशे की हालत में हैं।वो भी जबरदस्ती से आंखे खोल ताक रहा मगर नशा इतना हो गया की खुद के लड़खड़ाते पैर संभल नहीं पा रहा।
★
जानवी के पापा MLA है।
अभी-अभी गए चुनाव में वो विजेता बने हैं।बीते चुनाव में भी विजेता बने थे।आज फिर से वोह MLA बन चुके हैं।
एक बड़ा बंगला है। बाहर से बहुत खूबसूरत दिखता है। आंखों से देखने पर दिल को ठंडक मिले ऐसे सफेद रंग से बाहर से रंगा हुआ है।
बाहर एक ग्रीनलॉनवाला बहुत बड़ा बगीचा और बगीचे में बहुत खूब सुंदर फूल खिले हुए हैं।जमीन पर लोन लगी हुई है और एक झूला भी है।
जानवी के मम्मी-पापा दोनों झूले पर एक साथ बैठे हुए हैं। उन दोनों से थोड़ी दूरी पर 8/10 आदमी भी जानवी के पापा और उसके बंगले का ख्याल रखने के लिए तैनात है।
जानवी अपनी कार लेकर कॉलेज से घर पहुंच ही रही,
वोह ड्राइविंग सीट पर है। उसकी बगलवाली सीट पर उसका दोस्त जय बैठा हुआ है।
दो आदमी ने गेट ओपन किया।
जानवी और जय कार में ही बातें कर रहे हैं।
जानवी ने कहा जय आज का दिन बहुत अच्छा रहा। मझा आ गया।
जय ने कहा जी हां।आज बहुत मस्ती की हमने कॉलेज में।बहुत मझा आ गया।
जानवी ने ड्राइविंग करते कहा जय दोस्तों के साथ तो अच्छा ही लगता है।इसलिए तो प्रेम से भी ऊपर दोस्ती है।
जय ने खूब-सूरत जानवी को देखते कहा ह्म्म्म।
जानवी ने गाड़ी पार्क की।वोह दोनो आदमीयोने गेट बंद कर दिया।
जानवी और जय कार से नीचे उतरकर बातें करते- करते झूले पर बैठे जानवी के मम्मी-पापा के पास आ रहे हैं।
वहां पहुंचते ही जानवी के पापा बोले "मेरी बच्ची तू कॉलेज से आ गई?"
जानवी ने अपने पापा को मुस्कुराते कहा जी हां।
पापा हम आ गए और मेरा दोस्त भी।
जानवी के पापा खड़े हुए ओर उसने कहा
"तुम जय हो ना?"
जय ने जानवी के पापा के पैर छूते हुए कहा जी हां, मैं जय हु लेकिन तब.........
जानवी के पापा ने जय को रोकते हुए कहा जय,मेरी बेटी रात-दिन तुम्हारी ही बातें करती रहती है। अब तुम बोलो मैं तुम्हें कैसे नहीं पहचानता?
जय हंसने लगा। जानवी और जानवी के मम्मी-पापा भी।
जानवी के पापा ने कहा निरूपा तुम दोनों बच्चों को अंदर लेकर जाओ।
उसी समय जानवी के पापा नागराज को मिलने के लिए अपनी पार्टी के कुछ लोग आए।
उन लोगों में से एक आदमी बोला "नागराज, अब हमें पार्टी चाहिए और वोह भी हमारीवाली पार्टी। नाच-गान सब कुछ।"
नागराज थोड़ा गुस्सा होकर बोला तुम धीरे से बोलो ये मेरा घर है। कोई डांसबार नहीं। समजे तुम?
तुम लोगों को मैं खुश होकर पार्टी देना चाहता हूं।आप लोग पार्टी की तैयारी कीजिए। मैं आप सबको रात में ही मिलता हूं।पार्टी के वक्त।
★
जानवी की मम्मी निरूपाबहन, जानवी और जय तीनों बैठे हुए हैं।
कामवालीबाई ने तीनों को चाय दी। तीनों बातें करते-करते चाय पीने लगे।
जय बोला मासी में सामान्य घर का लड़का हु।मेरे पापा का एक छोटा सा बिजनेस है और उससे हमारा घर चलता है।मैं पढ़ाई कर रहा हु।पढ़ाई खत्म होते ही मैं कुछ न कुछ काम अवश्य करूँगा।
जानवी की मम्मी निरूपाबहन ने कहा ऐसा ही होता है बेटा।शुरुआत बहुत कठिन होती है लेकिन सफलता बहुत बड़ी मिलती है।बहोत लगन से मेहनत करना सफलता जरूर मिलेगी।
खुद की मेहनत जिंदगी में बहोत रंग भर देती हैं।सामान्य से अलग बनना बहोत कठिन हैं।मगर कुछ नाम बनने के बाद उसे टिकाए रखना उनसे भी कठिन।
जानवी के पापा इस शहर में आए तब हमारे पास भी कुछ नहीं था,लेकिन धीरे-धीरे देखो... आखिर में सफलता मिल ही गई।
जानवी के पापा ये बात सुनकर डोर से होल में आते बोले जी हां, मुझे सफलता मिल गई।जय ये सफलता ऐसे ही नहीं मिली।बहोत कुछ खोने के बाद मैंने ये जगह हासिल की हैं।
जय ने कहां मैं भी आपकी तरह मेहनत करूंगा अंकल। अब मैं चलता हूं।
जानवी की मम्मी निरूपाबहन बोली अब खाना -खाकर ही जाना।
जानवी ने नखरे करते कहा अब मम्मी ने कहा है तो तुम मना नहीं कर सकते हो?
अपनी मम्मी को पकड़ते हुए जानवी बोली।
जय ने कहा नहीं जानवी। घर पर मेरी मम्मी मेरा wait कर रही होगी। मैं चलता हूं।
नागराज ने कहा ठीक है। इस बार मैं तुम्हें जाने देता हूं लेकिन अगली बार खाना खाकर जाना।
जय ने कहा जी हां।अंकल मैं चलता हूं।
नागराज ने सिर्फ अपने चेहरे को हिलाकर ही जय को हा कहा।
जानवी जय को बाहर आकर बाय-बाय करने लगी।
जय ने भी जानवी को बाय कहा।
वोह चला गया।
जानवी अपने कमरे में चली गई।
जानवी के मम्मी-पापा आपस में बातें करने लगे।
★
जय अपने घर पहुंचा।जय के पापा भी आ चुके हैं।तीनों ने साथ मिलकर खाना खाया और जय के पापा अपने काम पर चले गए। मम्मी अपना काम करने लगी और जय पढ़ाई में लग गया।
शाम हो गई और रात भी हो गई।
जानवी के पापा पार्टी के लिए राजनीति के खास डांस बार में पहुंचे।वहां नाच गान,शराब, जुआ,ड्रगस सब कुछ हो रहा है।
लड़कियां भी है और पार्टी में आके वो लोग, लड़कियों के साथ कोई नाच रहा है, कोई डांस कर रहा है तो कोई शराब भी पी रहा है।कोई लड़कियों के साथ जुआ खेल रहा तो कोई लड़कियों के साथ रोमांस भी कर रहा है।
नागराज ने शराब पीते-पीते कहा बहुत मुश्किल से हमने ये बाजी मारी है। लगता है अगले चुनाव में हमें बहुत मेहनत करनी होगी। तब जाके मैं फिर से MLA बन पाऊंगा।
महिंद्रा बोला एकलौती बेटी का भी ख्याल रखना होगा सर।
महिंद्रा के पापा मोहनभाई को नशे में कुछ आंखों के सामने दिखा फिर नशे में बोले उसका ख्याल रखने के लिए तू है ना?
महिंद्रा सर्वगुण सम्पन्न संस्कारी लड़का वो बोला सर,जानवी आजकल कुछ ज्यादा ही फ्रेंड-फ्रेंड खेल रही हैं।
सुनने में आया हैं वो लड़का गरीब घर का हैं।उसके पापा बहोत मेहनत से अपने घर का गुजारा करते है।वो हाउसिंग के घरों में रहता हैं और ज़ोपडपत्ती के लड़के उसके दोस्त हैं।
नागराज बोला महिंद्रा तुम चिंता मत करो।जानवी की जिम्मेदारी तुम्हारी हैं।एक ओर बात मुजे गरीबी से प्रोब्लम नहीं।में भी एक दिन गरीब था।भगवान ने इतना कुछ दिया की मुजे गरीब लोगों की गंदगी औऱ बदबू से नफरत हो गई।उसका ख्याल रखो और उस पर नजर रखो।
मुजे नहीं लगता वो लड़का बुरा हो सकता हैं।मुजे डर हैं हारी हुई पार्टी का अजगर कही जानवी को नुकसान ना पहुचाए।
महिंद्रा गुस्सा होकर बोला अगर जानवी के पास मौत भी आती हैं तो उसे मुझसे टकराकर जाना होगा।
फिर शरबत का गिलास फैक दिया।
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जानवी बेड से उठाकर गेलेरी में आई।सितारों से भरा आकाश बीच मे चांद।चांद को देख-देख मन ही मन मुस्कुरा रही।गेलेरी में रहे पौधे पवन से हिल रहे हैं।जानवी की आंख पर बाल बार-बार आ रहे।
ओये क्या सोच रही हो?
जानवी ने जय के सामने देखा।वो आश्चर्य से जय को देख रही।
वैसे बहोत सुंदर दीख रही हों।बिल्कुल चांद की तरह।
जानवी के बाल ठीक करते जानवी का हाथ पकड़ते जय बोला मेरे ही बारे में सोच रही थी ना?
जानवी शरमाते मन ही मन हँसती हुई बैठकर बोली बिलकुल नहीं।मैं तुम्हारे बारे में क्यों सोचु?मैं कौन MLA की बेटी और तुम कौन एक गरीब बाप की औलाद?
जय का चेहरा मुर्ज़ा गया।वो पीछे मुड़कर चलने लगा।
जानवी खड़ी हुई और दौड़कर जय को पीछे से अपनी बाहों में लिया।जानवी के दिल की धड़कन तेज हो गई।बाल बिखर गए।जय खुद को जानवी के हाथो से छुड़वाने की कोशिश कर रहा।
मेरी रचना की आलोचना कर सकते हैं लेकिन उचित शब्दो से गलियों से नहीं।