STORYMIRROR

Radha Kano

Drama Action Fantasy

4  

Radha Kano

Drama Action Fantasy

वर्दीवाली हिंदुस्तान की बेटी

वर्दीवाली हिंदुस्तान की बेटी

20 mins
275

वर्दीवाली

हिंदुस्तान की बेटी

इश्क मुझे हिंदुस्तान से।

तू मुझसे क्या मेरी इज्जत छीनेगा?

नस-नस में घुल गई हैं, मेरी देशभक्ति।

तू मुझे क्या हिंदुस्तान दिखाएगा?

वो कही,में कही।

जिंदगी भी कही।

आज से 5 साल पहले की बात हैं।

मेरे पापा निवृत्त आर्मीमेंन। देशप्रेम खून के साथ मानो घुलमिल गया। मुझे भी पापा की तरह कुछ अलग बनना हैं। कुछ अलग करना है।

मुझे PSI बनकर पेहेले स्त्रियों के प्रति अत्याचार और छोटे-मोटे अत्याचारों से लडने की मैने ठान ली।

कड़ी मेहनत और लगन से मेहनत शरू की। ईश्वर ने कुछ अलग ही सोचा मेरे लिए मुझे क्या पता?

मेरा छोटाभाई और मम्मी का एक्सीडेंट हो गया। भाई को तो लगी नही मगर मम्मी का हाथ टूट गया। 6 माह तक उसे हिलने भी नहीं देना। ऐसा डॉक्टर ने कहा। घरकाम मुझ पे आ गया। अब बहोत कम गुंजाइश रेह गई मेहनत की।

लेकिन मेरी हिमंत मेरे प्रेम ने बढ़ाई। में उसे कॉलेज समय से महोब्बत करती हूं। उसका नाम अमन।

में अमन को मिलने बगीचे में पहोंची। रोती-रोती उसकी बाहोंमे। उसने मुझे उसकी बाहों में ले लिया। मुझे सांत्वना देते कहा माय जान। plz रोना बंद करो। तुम्हें पता है ना में तुम्हें रोते हुए नही देख सकता?

उसने मेरे आंसू पोछे। मैंने उसे रोते हुए सब कुछ बता दिया। फिर उसने मुझे एक किस करते हुए कहा अगर मुसीबतों और समस्या से डर गई तो PSI बनना कैन्सल करदो।

में उसे देखती रेह गई। उसने कहा यही हकीकत है। यही हमारी किस्मत हैं। हम जो चाहते हैं वो पाने की कोशिश करते हैं। वो दूर चला जाता है। जो नहीं चाहते वो होके रेहता हैं।

जो डर गया वो दुनिया से गया।

जो सम्भल गया वो दुनिया जीत गया।

लेकिन इतना काम। मम्मी की सेवा। में कैसे करूँ?सिर्फ खुद को संभल ने की कोशिश कर। जो होगा देखा जाएगा। उसने कहा।

लेकिन....

उसने मेरे होठो पर हाथ रखकर कहा अब चुप हो जाओ। फिर मुझे अपनी बाहों में लेते कहा एक किस हो जाए। में सब कुछ भूलकर शरमा गई। उसने अपनी मनमानी कर ही ली।

में सब कुछ भूलकर काम,मेहनत, भाई, पापा सबको सँभल ने लगी। कभी कभी पूरा दिन चला जाता। में अमन से भी बात नही कर पाती। वो खुद मिलने घर पर आ जाता।

वैसे हम दोनों की सगाई पक्की ही करदी गई। मेरे पापा बहोत फ़्रेंकली। उसने अमन को पसंद कर लिया। खास वजह। वो होशियार लड़का। इसलिए। सभी रिजल्ट देखकर पसंद किया। ऐसे ही नहीं। निवृत आर्मीमेंन हैं वो।

मम्मी 6 माह में ठीक हो गई। 6 माह ओर लग गए। पूरे 2साल की मेहनत के बाद PSI EXAM PASS करली। अमन आर्मी में pass हो गया। वो भी चला गया।

10 माह की ट्रेनिंग के बाद मेरी पोस्टिंग हुई।

गुजरात के भावनगर जिल्ले में हुआ पोस्टिंग। मेरा ही जिल्ला। अमन का कश्मीर में। वो आर्मीमेंन, में PSI। अमन की मम्मी की तबियत खराब हो गई। वोह भी कामकाज करने लायक रही नही।

उसके पापा ने कहा शादी करदो। मेरे पापा ने मना किया। दो-तीन बार ज्यादा पूछा तो वो खुद सगाई तोड़कर आ गए। घर आकर अमन को कॉल किया। अब उस लड़की से कोई संबंध मत रखना में मर जाऊंगा।

अमन दंग रेह गया। उसने सब कुछ पूछा।

उस ओर मेरे पापा भी। अब तू उस नालायक से संबंध मत रखना। उसका खड़ूस बाप सगाई तोड़कर चला गया।

मेरे पापा ने मुझे धमकी दी। उसके पापा ने उसे। में PSI जनता के साथ जो करती वो घर पर तो कैसे हो पाए?आप ही बताए। में रात भर रोती रहू। एक ओर काम। दूसरी ओर सुबह-शाम पापा का टॉर्चर। वो लोग गाँव मे।

कुछ दिनों बाद। उसने भावनगर एक लड़के को भेज दिया। मुझे मिलने के लिए। में अपनी ड्यूटी पर। वो वहाँ शरू हो गया। मेरा स्टाफ देखता रेह गया। मैन सच बता दिया। वो लड़का चला गया। मेरे पापा फोन कॉल करते रहे। मैं तुम्हारे लिए लड़का ढूंढ रहा हूं लेकिन मैंने कभी हां नहीं कि। एक ओर अमन और मैं बातें करते रहते। कभी नींद नहीं आती। कभी काम में मन नहीं लगता। कभी उल्टा सीधा भी काम हो जाता। पता नहीं मेरे दिल को क्या हो जाता ?

लोग कहते हैं इश्क में ना सोना पसंद है ना जागना। इश्क में सिर्फ अपनी मोहब्बत के साथ रेहना पसंद। मेरा हाल भी ऐसा ही हो गया। कभी-कभी मेरा स्टाफ भी केहता मुझे मैम आप क्या कर रही है? मैं अपनी गलती सुधार लेती।

कुछ दिन बाद मुझे सूत्रों से पता चला भावनगर के बीच जो जंगल है वोह कोई बिजनेस में खरीद रहा है। वोह ये जमीन करोड़ों में खरीदकर। अबजो कमाना चाहता है। भावनगर के बीचों बीच जंगल है।

एशिया खंड में, पूरे एशिया खंड में किसी भी शहर में जंगल नहीं लेकिन एशिया खंड के गुजरात के भावनगर डिस्ट्रिक्ट में जंगल है। वोह जमीन बिजनेसमैन खरीदकर अबजो कमाना चाहता है।

मैं सीधे ही भावनगर में मेयर वीणादेवी के पास गई। मुझे उससे मिलने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ा। मैं उसकी ऑफिस में गई। मैंने उससे जो सुना वोह सच-सच बता दिया।  तब मुझे वीणादेवी ने कहा मैडम मैंने भी कोशिश की है। इस जंगल को बचाने की। उसने मुझे कागज भी बताइए। देखिए, मैं भी भावनगर के बीच से जंगल हटाना नहीं चाहती हूं। मैंने कोशिश की हैं। मुझे अच्छा लगा कि आप एक पीएसआई होकर इस मामले में कुछ काम करना चाहती है।

मैंने कहा कोई भी कीमत पर मैं जंगल को नष्ट नहीं होने देना चाहती। यह हमारी धरोहर है। यह हमारे राजाशाही की धरोहर है। इसे मैं मिटने नहीं दे सकती हूं।  वो बोली मैं और आप यहां की है। इस डिस्ट्रिक्ट की हैं। हमें लगाव तो होगा ही। मैंने इस मामले को तहस-नहस भी कर दिया था लेकिन फिर से उठा।

दो ही दिनों में मैं और वीणादेवी दोनों उस बिजनेसमैन से मिलने गई। वोह भावनगर की जानी-मानी होटल में रुका है। हम दोनों वहां गए। उसके कमरे में पहुंची और मैंने और मेयर ने उसे समझाने की कोशिश की आपआपकी सोचको बदल दे। आप चाहे तो कहीं और जमीन खरीद ले।  

आप कहीं ओर अपना बिजनेस स्टार्ट कीजिए,लेकिन इस भावनगर सिटी के जंगल को बक्ष दे। उसने हमारी एक भी नहीं सुनी। उसने कहा आप लोग अपना काम कीजिए। मैं अपना करूंगा। जो जीता वही सिकंदर रहेगा।

मैंने और मेयर ने कागजात बनाए और गांधीनगर भेजें। एक और वोह बिजनेसमैन है। इसने भी कागजात बनाकर गांधीनगर भेजे। वोह बड़े राजकारण से जुड़ा हुआ। वोह भी गांधीनगर के राजकारण के साथ जुड़ा हुआ। उसकी पहुंच दिल्ली तक। अब आप ही बताएं फेवर में तो केस उसीके रहेगा, लेकिन हमने भी ठान ली। हम इस जंगल को बचाकर रहेंगे।

मैं अपने कुछ कॉन्स्टेबल के साथ भावनगर के दूसरे हिस्से में जा रही। मैं ड्राइवर की सीट के पास बैठी हूं आगे। पीछे 3 कॉन्स्टेबल है। हमारे जीप पर हमला हो गया। ड्राइवर ने बड़ी मेहनत से जीप को संभाला।

वोह पांच। हम भी पांच। दोनों के बीच लड़ाई हुई और वोह सब भाग गए। हम ऑफिस आ गए। हम सबको कहीं ना कहीं थोड़ी थोड़ी लगी है। दूसरे कॉन्स्टेबल और महिला कॉन्स्टेबल ने हमारी सारवार की। हॉस्पिटल जाने की हमेंं आवश्यकता नहीं हुई। हमारी प्राथमिक सरवार हो गई।

5 मिनट में वोह बिजनेसमैन आया। उसने मुझे और मेरे स्टाफ को धमकाना शुरू किया कहा अगर जिंदा रहना चाहते हो तो इस मामले में दखल ना दो। जो हो रहा है उसे होने दो। हम पुलिसवाले मेरे कॉन्स्टेबल ने चुपके से वीडियो लेनी शुरू की। मुझे पता चल गया।

मैंने उसे समझाने की कोशिश की। आप भावनगर के बीच जो जंगल है वोह पूरे एशिया खंड में नामांकित है। आप इसे हटाने की कोशिश मत कीजिए। वैसे भी इसे हम हटा भी नहीं सकते हैं। आप कोई भी राजकारण खेलकर इसे हटा नहीं सकते हैं। इस धरोहर को हमेंं ऐसे ही रखना चाहिए और उसे संजोकर रखना चाहिए।

वोह बिजनेस में बहुत गुस्से में आया। अपने कुछ लोगों के साथ वोह सब गालियां बोलने लगे। हमेंं धमकाने लगे और जाते-जाते केह गया अगर जिंदा रहना चाहती हो तो इस मामले में दखलअंदाजी मत करो। वोह चला गया।

हमारे कुछ लोग भी उस बिजनेसमैन के साथ क्योंकि सभी एक जैसे तो नहीं होते। हमारे ऑफिस में हमारे कुछ दुश्मन भी है ।

उसने राय दी मैडम इस मामले को छोड़ दो और उसे जो करना है करने दो। कुछ कॉन्स्टेबल ने मुझे बताया मैडम हम अपनी धरोहर को संजोकर रखना चाहिए। हमेंं इस मामले को तहसनहस नही करना चाहिए और वैसे भी पुलिस रिकॉर्ड है।  कोई भी बिजनेसमेन जंगल को नहीं हटा सकता है। कोई भी राजनीति भी नहीं हटा सकती।

ये हमारी धरोहर है। हमारे पास प्रूफ है। फिर हम क्यों ना लड़े? 

हम सब यहां दूसरे डिस्ट्रिक्ट से हैं। हम यहां काम कर रहे हैं। हमारा फर्ज बनता है कि हम इस धरोहर की रक्षा करें। उन लोगों ने मुझे हिम्मत दी और उसीकी हिम्मत की कारण मैंने इस वीडियो मेयर को send किया।

वो तुरंत ही मेरी ऑफिस आ गई और उसने कहा हम इस वीडियो को सोशल मीडिया में डाल देते हैं ताकि वोह बिझनेसमें कुछ करने से पहले हजार बार सोचे। सब ने ये देखा और भावनगर शहर में हंगामा हो गया।

इस वीडियो को बहुत लाइक भी मिली और जनता हमारे साथ जुड़ने भी लगी। दिल्ली से गांधीनगर और गांधीनगर से मेयर को कॉल आने लगे कि इस मामले को तहस-नहस कर दिया जाए और बिजनेसमैन की फेवर में ही केस जाए।

मेयर ने भी ठान ली कि वोह भावनगर शहर के इस जंगल को बचाकर रहेगी। उसने गांधीनगर के अधिकारी को मनाकर दिया। उसने उसे भी केह दिया तुम चाहे कुछ भी करलो,हमेंं मार डालो। जनता हमारे साथ जुड़ चुकी है। अब तुम लोग कुछ भी नहीं कर सकते हो और तुम लोग भावनगर की इस जमीन को छोड़कर कहीं और अपना बिजनेस स्टार्ट कर दो।

मेयर अपनी ऑफिस से घर जा रही। उस पर हमला हुआ। चार- पांच लोगों ने उस पर हमला कर दिया और उसे हॉस्पिटल में दाखिल करना पड़ा। मैंने उसे पुलिस प्रोटेक्शन भी दिया। उसका एक पैर भी टूट गया। वहां प्लास्टर भी लगाना पड़ा। एक महीने का प्लास्टर आया। वोह हॉस्पिटल में दाखिल है। हम लोग बाहर है।  हमारे कुछ कॉन्स्टेबल भी हमेंं टॉर्चर करने लगे,अगर आप लोगों ने इस मामले को छोड़ नहीं दिया तो मैडम आपकी भी जान जा सकती है, फिर हमारे एक कॉन्स्टेबल ने उसे कहा कि तुम लोग इंसान हो या जानवर हो?

इस खाकी वर्दी की कुछ तो वैल्यू करो। कुछ तो समझने की कोशिश करो। हमारी मैडम सच के लिए लड़ रही है। वोह भावनगर शहर के इस जंगल को बचाना चाहती क्योंकि हमारे पास प्रूफ है। इस जंगल को कोई नहीं हटा सकता है। ओर आप लोग हैं कि कुछ चंद पैसों के कारण इस धरोहर को हटा देना चाहते हो।

एशिया खंड में भावनगर का नाम है। कॉन्पिटिटिव एग्जाम में स्टूडेंट को यह प्रश्न पूछा जाता है कि एशिया खंड में कौन से डिस्ट्रिक्ट में या कौन से राज्य में शहर के बीचो-बीच जंगल है? आप कैसे लोग हैं?

मैंने भी उन लोगों को कहा आप हमारे खिलाफ होकर लड़ रहे है। हम सच्चाई के लिए लड़ते हैं। मुझे लगता है मेरे कर्म का फल मुझे मिलेगा। आपके कर्मों का फल आपको मिलेगा। आप गलत का साथ दीजिए। हम सच्चाई का देते हैं। जो भी होगा देखा जाएगा और वैसे भी मेरी जिंदगी जीने की कोई मायने नहीं है।  

वैसे भी मैं तो हार चुकी हूं। मेरे साथ ना मेरे मम्मी-पापा है और ना ही मेरा भाई हैं। मैं अकेली ही लड़ रही हूं। आप सबको पता है और आपको भी पता है पापा ने उस लड़के को यहां मेरी सगाई के लिए भेजा था। हम बाप बेटी झगड़े हुए हैं। एक दूसरे के साथ बात भी नहीं करते है।

जब भी कॉल आता है हम लड़ते रहते हैं इसलिए याद रखो अब मेरा इस दुनिया में कोई नहीं। मैं अकेली हु अकेली हु। जब तक जिंदा हूं तब तक और वोह भी सच्चाई के लिए। वो लोग चले गए। मेरे कॉन्स्टेबल ने कहा इन लोगों को ईश्वर बुद्धि प्रदान करें।  आप जैसा सोचते हैं वैसा ही हो। मैने कहा।

दूसरे दिन पता नहीं लेकिन भावनगर शहर की जनता को क्या हो गया?

वोह एकजुट हो गए और सारी की सारी रोड पर आ गई। नारे लगाने लगी। उस बिजनेसमैन का विरोध करने लगी और फिर जनता उस जंगल के पास आकर एक होकर लड़ने के लिए तैयार हो गई। उस बिजनेसमें की तस्वीर भी अब सबके सामने आ गई। पुतले और तसवीर जलाने लगी।  

येह मामला गांधीनगर से फिर से दिल्ली तक पहुंच गया। जनता एकजुट हो गई और किसीका कुछ भी नहीं हुआ। उस बिजनेसमैन को वहां अपना बिजनेस कही ओर हटालो। स्टे आर्डर आ गया और इस केस को अदालत में लिए बिना ही फिनिश कर दिया गया। दिल्ली से ही लेटर आ गया कि भावनगर की इस धरोहर पर कोई कभी बिजनेस नहीं open सकता है और ना ही इस जंगल को नष्ट कर सकता है।

जनता में मेरा एक नाम हुआ। जनता को मेरी प्रति लगाव भी हो गया। मैं कहीं स्टूडेंट की आइकॉन भी बन गई। मुझे भी बहुत अच्छा महसूस हुआ। खुशी हुई। बस मेरे साथ कोई अपना नहीं।

मेरे साथ जुड़े हुए कुछ कांस्टेबल और हम सब बातें करने लगे कि जो भी हुआ अच्छा हुआ। सच्चाई की जीत हुई और वोह बिजनेस में हार गया। इस केस को अदालत में लिए बिना ही हम जीत गए।

थोड़ी देर में हमारे खिलाफ जो कॉन्स्टेबल थे वोह आए और उसमें से एक बोला मैडम हमेंं क्षमा कर देना। हम रास्ता भटक गए थे। चंद पैसों के लिए हमने बहुत कुछ खिलवाड़ कर दिया अपनी वर्दी के साथ। लेकिन आप एक लड़की होकर भी डटकर मुसीबतों का सामना किया। आप धन्य हैं।

आप वास्तव में हिंदुस्तान की बेटी है और उसने मुझे हिंदुस्तान की बेटी नाम भी दे दिया। फिर उसने जाते/जाते मुझे बताया मैडम आपको पता है इस जनता को रोड पर लाने वाला कौन था?

मेरे साथ जुड़े एक कॉन्स्टेबल में से बोला जनता अपने आप आई। तुम तो उस बिजनेसमैन के साथ जुड़ चुके थे और बिक चुके थे। अपनी वर्दी भी बिक चुके थे। तुम भी चंद पैसों के लिए खुद को बेच दिया। अपने हिंदुस्तान की वर्दी को बेच दिया। अपनी मां को बेच दिया। अपनी बेटी को बेच दिया। अपनी पत्नी को भी 

मैंने उस कांस्टेबल को बहुत रोकने की कोशिश की लेकिन वोह चुप ही नहीं हो रहा और मैं भी दंग रह गई वोह कॉन्स्टेबल जो मुझ से दुश्मनी कर बैठा वोह भी बहुत गुस्सेवाला। अपनी मनमानी करने वाला। वोह बिजनेसमैन के साथ इसलिए तो जुड़ गया था चंद पैसों के लिए। वोह भी चुप रहा। मानो ऑफिस में सन्नाटा छा गया।

जब मेरे साथ जुड़ावाला कॉन्स्टेबल चुप हो गया।

तब वोह बोला मैं और अपने साथी भावनगर शहर के कोने कोने से जनता को उकसाया और उसे रोड पर आने के लिए मजबूर कर दिया। फिर वोह चला गया और हम सब ऑफिस में दंग रह गए। वास्तव में यह सुधर गया।  मुझे हिंदुस्तान की बेटी केह गया। खुद उसने प्रेस में जाकर मुझे हिंदुस्तान की बेटी ऐसा बिरुद दिलाया और अब मुझे पीएसआई की बजाय लोग मुझे हिंदुस्तान की बेटी के नाम से जानते हैं। भावनगर शहर में।

वोह मेयर हॉस्पिटल में है। मैं और मेरा स्टाफ उससे मिलने गए। उसे बधाई दी और कहा आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आपने हमारा साथ दिया। अगर दूसरा कोई होता तो वोह अपना घर पैसों से भर देता लेकिन इस धरोहर को बचाने की कोशिश नहीं करता।

तब मुझे भावनगर की मेयर वीणादेवी ने बताया मैं राजकारणी अवश्य हूं लेकिन इतनी भी बेवकूफ नहीं हूं कि अपनी धरोहर को बेच दु। खुदगर्ज नही। जब भी कभी सच्चाई के लिए आपको मेरी आवश्यकता हो तो आप मेरे पास अवश्य आ जाना।

ये मामला पूरा हो चुका। 7 दिन बहुत शांति से गुजरे। मेरा पूरा स्टाफ भी बहुत खुश है। उसने भावनगर शहर के जंगल को बचा लिया। हम अपने-अपने काम में व्यस्त है। भावनगर शहर शांति से जी रहा है। लोग अपने-अपने काम में व्यस्त है।  

मुझे एक दिन कॉल आया कश्मीर से एक आतंकवादी भाग चुका है और वहां से गुजरात तक आ पहुंचा है। आप चौक्कनी रहना।

मैं डर गई। मैं कुछ बोल ना सकी। बहुत घबरा गई। मेरी सांसे भी फूल गई।

उसने मुझे कहा फिर से अपने शहर का ख्याल रखना। मैंने कहा जी हां। पूरे गुजरात में येह बात फैल गई। भावनगर की जनता को मुझ पर भरोसा है कि मैं उसे कुछ भी नहीं होने दूंगी।

लेकिन मुझे भरोसा नहीं है कि मैं कुछ कर पाऊंगी?

क्योंकि एक आंतकवादी छुपा फिरता है। मैं अपनी जनता को कैसे बचाउंगी?

फिर मुझे अपने स्टाफ ने साथ दिया और कहा मैडम आप चिंता क्यों करती है ?

जो मेरे खिलाफ था वही बोला और उसने मुझे कहा अपनी जनता का हम ख्याल रखेंगे। हम अपनी जनता को कहेंगे कि वोह खुद अपने आप को एक पुलिस समझे और हर एक व्यक्ति पर शक किया जाए। वोह भी शांति से। हर एक व्यक्ति की चाल पर ध्यान दिया जाए। इसी दौरान अमन भी छुट्टी लेकर मेरे पास भावनगर आ पहुंचा।

अमन ने कहा येह सच केहते है जनता को भी तो एक वीडियो बनाकर भेज दो ताकि वोह खुद का खयाल रखें। अपना ख्याल रखें और वैसे भी भावनगर की इस घटना के बाद तुम पूरे गुजरात में मशहूर हो चुके हो। जनता तुम्हें अवश्य साथ देंगी।

एक ओर बात इतना बड़ा मामला हो गया मेरे पापा ने मुझे कॉल नहीं किया। मेरी मम्मी को भी वोह मुझे कॉल करने नहीं देते और मेरे भाई को भी लेकिन वोह तो मुझे चोरी चुपके से कॉल करता केहता तुम कैसी हो? 

पहले अमन अपने मम्मी-पापा के यहां गया तो उसके पापा ने कहा तूम उस लड़की को छोड़ दो और मैं जहां बोलू वहां शादी करलो। अमन ने मुझे छोड़ने के लिए मना कर दिया तो उसके पापा ने उसे घर से निकाल दिया और केह दिया तुम चाहे कहीं भी रहो लेकिन अब मेरे घर में कदम मत रखना। फिर वोह चला आया मेरे पास।

मैंने अपनी वीडियो बनाकर जनता में भेजदी। जनता चौककनी हो गई। वोह खुद का ख्याल रखने लगी। हर एक दुकान पर हर एक होटल पर वोह लोग अनजाने व्यक्ति को पूरी जांच के बिना होटल में आने नहीं देते और दुकान वाले अपनी दुकान से कुछ भी नहीं देते।

2 दिन बाद पता चला कि जानने में आया है कि आंतकवादी एक नहीं तीन है। वोह सभी भावनगर में रुके हुए हैं। अब क्या किया जाए ?

सब भावनगर में है। सिटी में है। उसके पास हथियार भी है। कैसे हथियार है?

कोई नहीं जानता। मैं अपनी वीडियो बना बनाकर जनता में भेजती रही। जनता को मेरा साथ देने के लिए केहती रही। अमन भी मेरे साथ है। हर वक्त वो मुझे हिम्मत देता रहता है। एक ओर जनता है कि उसे मुझ पर भरोसा है। एक ओर बात है मुझे अपने आप पर भरोसा नहीं है। मैं लोगों को कैसे बचा पाऊंगी?

समय चलता जा रहा। दिन कटते रहे। भावनगर की एक होटल में तीनों पहुंचे। वहां के मैनेजर को कुछ गड़बड़ लगी। लेकिन उसने सोचा अगर मनाकर दिया तो येह लोग दूसरी जगह चले जाएंगे। मैडम ने इन लोगों को पनाह देने के लिए मना किया है। मुझे कुछ अपने दिमाग पर सोचकर काम करना होगा।

उस होटल में लोगों के बेग चेक नहीं किए जाते। उस मैनेजर ने उन तीनों को पनाह दे दी। फिर उसने मुझे कॉल किया। आप यहां आ जाइए।

मैं और मेरा स्टाफ वहां पहुंच गए। चुपके से। सिविल ड्रेस में। पहले तुम मुझे पता करना है कि वोह आम लोग हैं या सच में आतंकवादी ?है या नहीं है?

हमारे बचाव के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं। वोह लोग गोली भी चला सकते हैं। हमेंं गोली लग सकती है और हम मर भी सकते हैं। हमेंं कानून के दायरे में रहकर काम करना होता हैं। फिर भी मैं बिना वर्दी वहां पहुंची। मैं एक वेईटर की हैसियत से वहां पहुंची।

मेरे कॉन्स्टेबल बहुत अच्छे और वोह मेरा दुश्मन अब तो मेरा बहुत ख्याल रखने लगा अमन को तो उसने आने भी नहीं दिया। अमन को कहा सर आप मैनेजर के पास रहिए। मैं हमारी मैडम को लेकर वहां पहुंचता हूं। मेरे साथ जुड़े हुए वो कॉन्स्टेबल भी हैं। लेकिन कमरे में तो मुझे अकेले जाना है। मैं पानी लेकर कमरे में पहुंची। मैंने बेल बजाई। एक आया उसने डोर ओपन किया। मैं अंदर पहुंची। पानी रखते हुए मैंने कहा सर अगर आपको कोई भी सेवा की आवश्यकता हो तो नीचे कॉल कर देना और हां,आप यहां रहते हैं तो आपको एक टाइम का खाना फ्री में मिल सकता है आप अगर कहे तो मैं लगा दूं?

जी हां,लगा दो। जोरों की भूख लगी है। यहां नॉनवेज मिलता है?

मैंने कहा सर आई एम सॉरी। हम सब यहां शाकाहारी काम करते हैं। आपको नॉनवेज नहीं मिल सकता है। वेजिटेरियन हीं मिलेगा।  

दूसरे ने कहा जो भी है फ्री में है वो खाना लगा दो। हम नॉनवेज खाने के लिए बाहर चले जाएंगे। मैं चली गई। फिर खाने की डिश लेकर आई। पहले दोनों हाथ में एक-एक लेकर आई। फिर एक डिश लेकर आई।

मेरी किस्मत अच्छी ईश्वर का साथ भी रहा। मानो अब उन लोगों की सच्चाई जानने के लिए मुझे काम करना है। मैं डिश लेकर तीन चार कदम चली। मैंने अपना पैर उस बैग के साथ लगाया और मैं गिर गई।

एक टॉयलेट में हैं,एक नहाने के लिए गया। एक बाहर बालकनी में है। वो बालकनी में खड़ा। मैं गिर गई। वोह तुरंत ही दौड़कर आया। लेकिन वोह आया तब तक तो मैंने देख लिया कि उसके बैग में क्या है ?

मुझे पता चल गया कि उस बैग में क्या है?मैं खड़ी हो गई और कहां सॉरी सर। माफ करना। मैं दूसरी प्लेट लगा दूं। उसने कहा कोई बात नहीं। तुम्हें लगी तो नहीं ?

मैंने कहा नहीं सर। कुछ भी नहीं हुआ है। आप चिंता मत कीजिए। फिर मैं बाहर चली गई। मैं अपनी पूरी फोज के साथ अंदर आ गई। पहले तो हमने उसके बैग को हटा दिया ताकि वोह कोई भी चालाकी ना कर सके। सब अपने-अपने काम में व्यस्त इसलिए उन लोगों के पास हथियार नहीं और मैंने कहा उस तरह हमारी किस्मत अच्छी हमने उन लोगों को पकड़ लिया।

मैंने दिल्ली पुलिस को कॉल करके बता दिया कि हमने तीनों आतंकवादी को पकड़ लीये है। पूरे गुजरात में भी हमने वीडियो बनाकर भेजदी। प्रेस को रिपोटर को साफ मनाकर दिया। अब कोई भी चिंता की आवश्यकता नहीं है। हम लोगों ने उसे पकड़ लिया है।

दिल्ली से मुझे फिर से कॉल आया कि आप उन तीनों आतंकवादी को लेकर दिल्ली में आ जाए और आप यहां आपकी सिग्नेचर करके अपनी ड्यूटी पूरी कीजिए। अमन की छुट्टी पूरी होने में अब 10 दिन रेह गए।

मेरे कुछ कॉन्स्टेबल अमन और मैं दिल्ली के लिए रवाना हो गए। हम उन लोगों को कोई मौका नहीं देना चाहते थे इसलिए मैंने 10 ज्यादा कॉन्स्टेबल अपने साथ लिए। हम उन तीनों को टॉयलेट में भी अकेले नहीं जाने देते। उसके साथ 5 कॉन्स्टेबल जाते हैं। छोटे से टॉयलेट में भी और उन लोगों को हमने दिल्ली तक पहुंचाया। कश्मीर से वो दिल्ली में घुसे, दिल्ली में पता चला तो वहां से गुजरात तक पहोच गए।

अमन के मम्मी-पापा और मेरे मम्मी-पापा को ये बात का पता चली। उन लोगों को लगा कि हमने बहुत बुरा किया है। अगर वोह दोनों को कुछ हो गया तो उन तीनों आंतकवादी ने कुछ कर दिया या फिर उसके कुछ साथियों ने उन लोगों पर हमला कर दिया तो?मुझे और अमन को कुछ हो गया तो?वो लोग बहुत डर गए। आपस में एक दूसरे के साथ मिलकर एक दूसरे को सहारा देने लगे। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे मम्मी-पापा फिर से एक हो जाएंगे।

ऐसा ही हुआ हमने उन आतंकवादियों को दिल्ली पुलिस स्टेशन में दे दिया। मैंने अपनी सिग्नेचर कि मेरे साथ कॉन्स्टेबल है भी फिर

अमर ने बताया अब मैं चला जाता हूं क्योंकि अब 10 दिन रेह गए हैं। अब वापस आकर क्या फायदा?

मम्मी पापा तो हमारे साथ.... 

मैंने अमन को हिम्मत दी। अमन हौसला रखो। जल्द सब कुछ ठीक हो जाएगा।  

अमन ने कहा क्या ठीक होगा? मैं यहां कश्मीर में तू वहां। अब हमारा कुछ भी नहीं हो सकता है।

मेरी भी हिम्मत टूट गई। मेरी आंखों में भी आंसू आ गए।

उसी वक्त मेरे पापा का कॉल आया। मैंने देखा तो स्क्रीन पर पापा लिखा हुआ। मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गए।  

मैंने कहा हेलो।  

मेरे पापा ने कहा तुम ठीक तो हो ?

अमन भी ठीक है?

तुम दोनों ठीक हो ना ?

कुछ हुआ तो नहीं ना?

तुम दिल्ली पहुंच गए ?

उन लोगों को दे दिया ?

अब तो वापस आ जाओ। अमन के पापा भी और मम्मी भी हमारे घर पर है। हमेंं तुम दोनों के रिश्ते से कोई एतराज नहीं लेकिन तुम जल्द यहां आ जाओ।  

मैं खुश हो गई और हंसने लगी। मैंने कहा अब तुम्हें वापस जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। हम घर चलते हैं। मैं भी 10 दिन की छुट्टी ले लेती हूं।  

मेरे कॉन्स्टेबल ने कहा जी मैडम और हम लोग सब कुछ मैनेज लेंगे। आप चिंता मत कीजिए और आप दोनों प्लेन से जाए। हम ट्रेन से आते हैं।

मैं और अमन घर पहुंचे। हमारे सिटी के मेयर ने हमारे के लिए बहुत तैयारियां की। बहुत बड़ा स्वागत किया गया। हमारे भावनगर में हमारा स्वागत हुआ और आज भी लोग मुझे हिंदुस्तान की बेटी कहते हैं। मैं अपने परिवार के साथ खुश हूं।  

हमारी सगाई के बाद 2साल ऐसे ही गुजर गए। मैरेज के बाद 2 साल निकल गए। आज मैंने एक बेटी को जन्म दिया है। मैं बहुत खुश हूं हिंदुस्तान की बेटी को बेटी हुई।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama