मोम और बत्ती की प्रेम कविता
मोम और बत्ती की प्रेम कविता
मोमबत्ती के धागे जली तो आज मोम के आंसू निकल रहे.....
मोमबत्ती को कोन समझें वो कहते हैं सिर्फ हम प्रकाश बिखेर रहे......
आखिर ये है उसकी वास्तविकता मोमबत्ती के धागे मोमबत्ती की जान (प्रेमिका) है.....
अगर वही जलती है तो ( दर्द में ] मोमबत्ती के आंख से निकलते धार ( आंसू) है....
महबूबा को जलते देख ये आंसू खुद ब खुद है बह रही...
समझ समझ की फेर स्वयं को दर्द देकर दुनियां को प्रकाशित कर रही...
जय हो दोनों की लीला आज साहू जी (योगिता) बखान है कर रही...
मोम और बत्ती की कहानी आज दुनियां में फैला रही।
