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saurabh maheshwari

Tragedy

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saurabh maheshwari

Tragedy

मोल – एक लघु कथा

मोल – एक लघु कथा

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ऊंघती हुयी शनिवार की सुबह श्रीमतीजी ने चाय के साथ सामान की एक लिस्ट थमा दी। आदेशात्मक लहजे में बताया गया की दीपावली की तैयारी के लिए सामान का उसी दिन आना परमावश्यक है। छुट्टी की सुबह की मिठास कम करने के लिए इतना मेरे लिए बहुत था। खैर साहब जल्दी से तैयार होकर, एक थैला और लिस्ट ले कर मैं ‘मेगा शोपिंग स्टोर’ पहुँच गया। त्यौहार और स्टोर की बहुप्रचारित सेल के कारण वहाँ काफी भीड़ थी। पूरा स्टोर ‘छूट’ और ‘मुफ्त’ जैसे विभिन्न बोर्डों से भरा पड़ा था। लिस्ट को एक सरसरी निगाह से देख कर मैंने खरीदारी शुरू कर दी।

परन्तु कुछ ही समय में सेल की चकाचोंध से पथभ्रमित हो कर लिस्ट से कहीं अधिक सामान मेरी ट्रोली मैं भरा हुआ था। अनावश्यक लगने वाला सामान ‘छूट’ और ‘एक के साथ एक फ्री’ जैसे ऑफर्स में आवश्यक प्रतीत लगा। खरीददारी पूरी करके बिलिंग काउंटर पर मैं अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था। लोगों की भरी हुयी ट्रोलीयाँ स्टोर पर लगी सेल की सफलता बयाँ कर रही थी।

मेरे से आगे लाइन में एक महिला टोकरी में थोड़ा सा सामान लिए हुए खड़ी थीं। उनके पति और बेटी बिलिंग काउंटर के दूसरे छोर पर खड़े हुए थे। थोड़ी देर की प्रतीक्षा के बाद उनकी बारी आने पर वह छोटी बच्ची काउंटर के पास आ गयी। महिला ने एक-एक कर के सामान निकाला।

एक इमरजेंसी लाइट, कुछ सब्जियां, नमक, पॉपकॉर्न के दो पैकेट और सॉफ्ट ड्रिंक का छोटा पैक। केवल इतना सा सामान देख कर मुझे थोडा आश्चर्य हुआ। उनका कुल बिल १३४० रूपए हुआ था। महिला ने धीरे से अपना पर्स खोल कर मुड़े हुए रुपयों को पर्स के अन्दर ही एक बार गिना। फिर थोडा सोच कर सॉफ्ट ड्रिंक के पैक को वापस करने के लिए बोला। बिलिंग काउंटर पर बैठा व्यक्ति सॉफ्ट ड्रिंक को बिल से हटाते हुए १३१६ रूपए बोलता है। थोडा मायूस होकर महिला पॉपकॉर्न के एक पैकेट को आगे बढ़ा देती है। इशारा समझते हुए व्यक्ति पॉपकॉर्न को बिल से हटाते हुए बिलिंग स्क्रीन की तरफ इशारा करता है। स्क्रीन को देखते हुए थोड़े से संकोच के साथ महिला धीरे से दूसरा पॉपकॉर्न का पैकेट भी आगे बढ़ा देती है। बिलिंग पर बैठा व्यक्ति थोड़ा सा झुंझलाते हुए दूसरे पैकेट को भी बिल से हटा देता है।

इस पूरी गतिविधि के दौरान मैं छोटी बच्ची के चेहरे के भावों को देख रहा था। सॉफ्ट ड्रिंक की वापसी पर जहां उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी थी वहीँ पॉपकॉर्न के पैकेट लौटने के दौरान उसके चेहरे की मायूसी गहराती गयी। शायद उस बच्ची ने अपने मम्मी पापा को बड़े यत्न से मनाकर उन चीजों को लिया होगा। हम मैं से अधिकाँश के लिए सामान्य सी दिखने वाली उन चीजों का मोल काउंटर से अपने कदम पीछे खीचती हुयी उस बच्ची के चेहरे पर दिखाई दे रहा था।

परन्तु इस पूरे घटनाक्रम के बावजूद उसकी माँ के चेहरे पर अफ़सोस की जगह संतुष्टि थी। शायद उन्हें उस इमरजेंसी लाइट, जिसकी कीमत कुल बिल के ९०% से भी ज्यादा थी, का मोल पता था। उसके प्रकाश में वे अपनी बेटी का भविष्य देख रही थी।


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