मोह मोह के धागे

मोह मोह के धागे

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#भाग ५

अगले दिन सुबह नैना और राजीव हर रोज की तरह खाने की टेबल पर नाश्ते के लिए मिले। आज दोनों एक दूसरे से नजर चुरा रहे थे। नैना ने अपना नाश्ता ख़तम किया और दरवाज़े की और चल पड़ी। "रुक जाओ नैना, मैं तुम्हे छोड़ देता हु।" राजीव ने नैना से कहा। "राजीवजी, आप तकलीफ क्यों ले रहे हो, मैं चली जाउंगी।" राजीव फिर भी नहीं माना और वो नैना को छोड़ने चला गया। "शाम को मैं तुम्हे लेने आ जाऊंगा।" इतना कहकर राजीव अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा। नैना वही खड़ी रहकर राजीव को जाता हुआ देख रही थी।

शाम को हर रोज की तरह राजीव घर पंहुचा, और उसने दरवाज़े पर ताला देखा। तभी उसे अचानक याद आया की उसे तो नैना को लेने जाना था। काम के चक्कर में वो बिलकुल भूल गया था। उसने अपना स्कूटर उठाया और नैना को लेने निकल पड़ा। काफी समय बीत गया, पर नैना वही खड़ी रही, राजीव के इंतज़ार में। उसी समय, नैना के स्कूल में पढ़ाने वाला एक शिक्षक भी वही से गुजर रहा था। "नैनाजी, आप अभी तक यहाँ है? आइये में आपको घर छोड़ देता हु।" उस शिक्षक ने नैना से कहा। नैना ने अपने घडी की और देखा और वो उस शिक्षक के साथ निकल पड़ी। उसने राजीव को फ़ोन करने की कोशिश भी की, पर उसका फ़ोन नहीं लग पाया। यहाँ राजीव काफी तेज स्पीड में अपना स्कूटर चला रहा था। इतने में उसकी नजर उस स्कूटर पर गयी , जिसपर नैना उस शिक्षक के साथ बैठी हुई थी। ये देखकर राजीव को बहुत गुस्सा आया और उसने अपना स्कूटर वही रोक लिया और नैना को दूर जाता देखकर वही खड़ा रह गया। इधर नैना घर पहुंची तो उसने घर पर ताला देखा। उसने फिर एक बार राजीव को फ़ोन करने की कोशिश की, पर इस बार भी फ़ोन नहीं लग पाया। वो ताला खोलकर घर के अंदर चली गयी।

उस रात मानो राजीव जैसे बोखला ही गया। वो घर पर नशे की हालत में पंहुचा। उसने जोर जोर से घर का दरवाज़ा पीटना शुरू कर दिया। नैना घबराकर नीचे पहुंची। उसने दरवाज़ा खोला और राजीव का वो रूप देखकर सेहम सी गयी। "राजीवजी , आप ठीक तो है? संभलकर आईये।" नैना ने अपना हाथ राजीव की और बढ़ाया। "दूर हट जाओ। मुझे तुम्हारे या किसी और के सहारे की जरूरत नहीं। तुम औरते अपने आप को समझती क्या हो?" "मैंने ऐसा क्या कर दिया, जिस वजह से आप मुझसे इतने खफा हो?" नैना ने राजीव से पूछा। "तुम्हे तो काफी मजा आया होगा न उस आदमी के साथ स्कूटर पर बैठकर? मेरा इंतज़ार भी नहीं कर पायी तुम" राजीव काफी गुस्से में था। "आप मुझे गलत समझ रहे है। मैंने काफी देर तक आपका इंतज़ार किया। आपको फ़ोन लगाने की भी कोशिश की, पर आपका फ़ोन नहीं लग पाया।" "तो थोड़ी देर और इंतज़ार कर लेती। पर नहीं। तुम्हे तो उस आदमी के साथ ही आना था।" ये सुनकर नैना को बहुत गुस्सा आया। "ठीक है। अगर आपको ऐसा लगता है तो ऐसा ही सही। पर आपको इस बात से क्या फरक पड़ता है?" राजीव ने जोर से नैना को अपनी और खींचा। "छोड़िये मुझे। मुझे दर्द हो रहा है।" नैना ने जोर से राजीव का हाथ झिडकार दिया। "दर्द तो मुझे हो रहा है नैना।।" इतना कहकर राजीव वहाँ से चला गया। उस रात नैना को इस बात का यकीं हो चूका था की राजीव उससे प्यार करने लगा है।

अगले दिन सुबह जब नैना नीचे आयी तब उसने देखा की राजीव टेबल पर बैठा हुआ उसका इंतज़ार कर रहा था। आज उसने खुद अपने हाथ से नाश्ता बनाया था। "आ जाओ नैना, नाश्ता करते है। मैंने बनाया है।" "मुझे भूक नहीं।" इतना कहकर नैना वही खड़ी रही। "कल रात के लिए मुझे माफ़ कर दो नैना। अनजाने में मैंने तुम्हे काफी कुछ बोल दिया। पर में भी क्या करता। अपर्णा ने मुझे इतना बड़ा धोका दिया और मुझे छोड़कर चली गयी। और अब मैं तुम्हे।।।" इतना कहकर राजीव चुप हो गया। वह दरवाज़े की और बढ़ा। "मैं आपको छोड़कर कही नहीं जा रही।" नैना की ये बात सुनकर राजीव मुस्कुराया और घर से निकल पड़ा। नैना भी मुस्कुराते हुए खड़ी रह गयी।

क्रमश:


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