मिशन

मिशन

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जिससे मैं मुहब्बत करती थी जो मेरी जिन्दगी था , मेरा सबकुछ था , अपने मम्मा-पापा के अगेंस्ट जाकर मैंने अपनी जिन्दगी उसके हवाले कर दी थी यह भूल गई कि मेरी जिन्दगी पर मुझसे पहले उनका हक़ है जिन्होंने मुझे यह जिन्दगी दी । लेकिन इश्क अंधा जो है अपने आगे किसी को नहीं देखता , कहते हैं ना - सावन के अंधे को सब हरा ही हरा दिखाई देता है , वही सब तो मेरे साथ भी हो रहा था । मेरे पापा रोहित शर्मा डी आई जी ऑफ़ पुलिस और मम्मा कामिनी शर्मा कॉलेज प्रिंसिपल जिनका अपना भी एक रुतबा है । जब पापा की पोस्टिंग मेघालय हुई तो मम्मा ने रिजाइन कर दिया ताकि हम सब साथ रह सकें । उस वक्त मैं पंद्रह साल की थी और मेरा छोटा भाई बारह साल का , स्कूल के एडमिशन की तो कोई समस्या ही नहीं रहती थी जहां भी जाते एडमिशन तो हो जाता था बिना किसी परेशानी के , वैसे भी सेंट्रल स्कूल के कारण किसी भी प्रोब्लेम का तो सवाल ही नहीं था , ना ही पाठ्यक्रम का झंझट , ना ही आने-जाने की समस्या , स्कूल बस जो थी । वहां की हरियाली , मौसम और सीधे-सादे लोग अन्य जगहों से अलग होने के कारण कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता था । इस साल मेरा दसवीं का जब एग्जाम था तब सेंट्रल स्कूल में होने के कारण कोई भी मुश्किल नहीं हुई । वहां की लड़कियों का पहनावा मेखला -चादर मुझे बहुत अच्छा लगता था , एक दिन मैंने अपनी सहेली से कहा - तुम्हारी ये ड्रेस मुझे बहुत अच्छी लगती है , मैं भी लेना चाहती हूं , कहां अच्छी मिलेगी ,,,,, तू मेरे साथ चलेगी ?

      चलो , आज ही चलते हैं ।

      नहीं , आज नहीं , आज मैं पैसे नहीं लाई , कल चलेंगे ।

      अरे , मेरे पास है ना मैं दे दूंगी , मुझे कल दे देना ।

मैंने मम्मा से पूछा तो उन्होंने भी हां कह दी , हम दोनों शॉपिंग के लिए निकल गई । वो मुझे आसाम एंपोरियम में लेकर गई , वाकई वहां एक से एक मनमोहक मेखला-चादर थे , मैंने आसाम सिल्क का पारंपरिक मेखला-चादर पसंद किया ।

     इस साल से कॉलेज में मेरा फर्स्ट ईयर था इंग्लिश के लेक्चरर संदीप मुझे बहुत अच्छे लगते थे जब वे बोलते मुझपर तो जादू ही हो जाता था , मंत्रमुग्ध - सी उन्हीं में डूबी रहती थी । उनके पढ़ाने और एक्सप्लेन करने का ढंग इतना प्रभावशाली था कि हर टाॅपिक अच्छी तरह से स्पष्ट हो जाता था , उन्हीं के कारण मुझे भाषा साहित्य में रूचि होने लगी । मैंने इंग्लिश में मास्टर डिग्री करने का निर्णय लिया जबकि पहले मेरा विचार था गणित में करने का मगर संदीप सर के मोहपाश में जकड़ी हुई थी उनका का जादू मेरे सिर चढ़कर कर बोलने लगा कुछ इस तरह से कि गणित के आंकड़े कहीं खो गये जो पहले मेरे सिर चढ़कर बोलते थे अब इसकी जगह ले ली थी संदीप सर की आवाज ने , सिर्फ आवाज ही नहीं वल्कि उनका तो पूरा व्यक्तित्व ही मुझ पर छाया हुआ था , छाया हुआ कहना तो अधूरा-अधूरा ही लगता है बल्कि यूं कहिए कि उनके व्यक्तित्व ने मुझे पूरी तरह से अपने शिकंजे में कसकर रखा हुआ था इसलिए मैं किसी भी तरह से उस शिकंजे से निकल ही नही पा रही थी । वे पंजाबी थे लेकिन आसामी इतनी अच्छी तरह से बोलते थे , बस क्या कहूं ,मैं तो पूरी तरह से उनकी कायल थी । उनका पंजाबी होना और आसामी में भी परफेक्शन होना ये दोनों बातें मुझे तो मोह रही थी , वैसे तो वे हर तरह से मोहपाश में ही तो बांध रहे थे और मैं बंधती जा रही थी , ये बंधन मुझे अच्छा लगता था । यह मोहपाश कब प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला । इन सबके बीच उनका झुकाव भी मेरी तरफ है जब ऐसा महसूस होने लगा तो मेरे पैर जमीन पर पड़ ही नहीं रहे थे । एम ए पूरा होते ही हमने शादी कर ली । मम्मा-पापा नहीं चाहते थे पापा तो पता नहीं क्यों संदीप को पसंद नहीं करते थे । मम्मा की भी संदीप में कोई खास रूचि नहीं थी सिर्फ मेरे लिए उनकी तरफ से कोई विरोध नहीं था पर पापा का पूरा विरोध ही था । उन्होंने तो साफ-साफ मना कर दिया और यह भी कहा - देखो प्रिंसेस , ये बंदा अच्छा नहीं है उन्होंने अपनी तरफ से छानबीन भी शुरू कर दी मुझे बिना बताए और मुझे लगा पापा तो मानने वाले नहीं हैं , संदीप को भी फुली काॅन्फीडेंस था - देख तेरे पापा कभी नहीं हमारी शादी कराएंगे इसलिए अब हमें खुद कर लेनी चाहिए , उसने ऐसी उल्लू की लकड़ी फेरी कि मैं चारों खाने चित, ठीक है कोर्ट मैरिज करते हैं,,, एक महीना पहले अप्लीकेशन और महीने बाद शादी ! अरे, मेरी जान महीने बाद ,इतना जुल्म मत करो , मंदिर में आज ही कर लेते हैं ना ! और मैं मान गई जब जैसा उसने कहा मैंने माना , कर ली शादी । शादी के बाद हम घर गये , पापा ने तो हमसे बात नहीं की मुझपर इतना गुस्सा उन्हें कि मेरी तरफ देखा तक नहीं पर मैं जानती थी इतना प्यार करने वाले पापा के दिल पर क्या गुजर रही होगी ! हालांकि मम्मा बहुत प्यार से मिली लेकिन दुख उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था , मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए उन्हें रोना आ रहा था , रोते-रोते हिचकियां बंध गई , पापा की आंखें भी नम हो रही थी , मैं उनकी तरफ जाने लगी तो उन्होंने मुंह फेर लिया , इतनी देर तो मैंने खुद को रोक कर रखा मगर अब कंट्रोल नहीं हो रहा था बस गुबार फट पड़ा और मैंने पापा की गोद में सिर रख दिया उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए भरे गले से कहा - इससे कह दे जैसे आई वैसे चली जाये और हां , दुबारा आने की कोई जरूरत नहीं ,हमारी कोई बेटी है ही नहीं फिर अपनी गोद से मेरा सिर हटा दिया ,, मम्मा ने दुखी मन से विदा किया , आखिरकार हमें वहां से निकलना पड़ा , संदीप से किसी ने भी बात नहीं पर संदीप ने भी उन्हें प्रणाम तक नहीं किया यह मुझे बहुत खराब लगा पापा-मम्मा का गुस्सा होना वाजिब है लेकिन संदीप का यह रवैया अटपटा लगा मैंने पूछा तो उसने सुना-अनसुना कर दिया । मुझे खराब तो बहुत लगा पर शादी का पहला दिन होने के कारण चुप रही ।

       तीन महीने बाद ही मैं प्रेग्नेंट हो गई उधर मेरी मम्मा को भी हार्टअटैक आ गया आई सी यू में थीं मुझसे रहा नहीं गया मैंने संदीप से रिक्वेस्ट की तो चलने को तैयार हो गया । उधर मेरे पापा आतंकवादियों की बढ़ती गतिविधियों से परेशान तो थे ही उसी में व्यस्त भी थे फिर भी सबकुछ मैनेज कर रहे थे । मैं पापा से मिलने गई अभी भी नाराज़ तो थे ही , मैंने पापा से बार-बार माफी मांगी उनसे यह भी कह दिया- अगर आप मुझे माफ नहीं करेंगे तो यहां से जाऊंगी नहीं और आपको भी नहीं जाने दूंगी प्लीज पापा , मम्मा ने भी उनसे कहा था जब उन्हें भर्ती किया था - प्लीज , मेरी खातिर मेरी दिया को माफ कर दीजिए । मम्मा को स्ट्रेस ना हो इसलिए पापा ने उठाकर अपने सीने से लगा लिया और बोले - अपनी मम्मा के पास बैठा करो उसे अच्छा लगेगा । संदीप को हमेशा पापा संदिग्ध दृष्टि से देखते थे पता नहीं क्यों ! एक बात और अखर रही थी मुझे , संदीप आजकल कुछ ज्यादा ही बिजी रहने लगा , कॉलेज के बाद पता नहीं कहां जाता था , क्या करता था ? पूछने पर हमेशा रुखाई से कहता - अपने काम से काम रखो । कल तो हद ही हो गई , कहता है - मैं कहां जाता हूं ! क्या करता हूं तुम्हें उससे कोई मतलब नहीं समझी ! कभी थोड़ी नरमी से कहता - यार थक जाता हूं तो यूं ही कुछ बोल देता हूं ,,,,,, डोंट माइंड स्वीटहार्ट !

      ऐसा क्या काम है ? कॉलेज से तो एक बजे ही छूट जाते हो , फिर इतना बिज़ी किसमें रहते हो ? 

      अरे यार , क्लासेज में , एकदम चिलाकर बोला था । और आजकल वर्कलोड भी बहुत ज्यादा है प्रोफेसर साइकिया छुट्टी पर हैं ना ! मैं हैरान रह गई पिछले तीन महीने से यह सुनते हुए ,, इतनी कितनी लंबी छुट्टी है ?

       वो बीमार है,,एक्सीडेंट में काफी इंज्यूरी के कारण दो ओपरेशन तो हो गये हैं ,,बेचारा पूअर मैन !

       ठीक है अपना ख्याल भी तो रखो , अपना बच्चा भी तो आने वाला है उसे तुम्हारी भी जरूरत है समझे मिस्टर पापा ? देखो - देखो , शैतान लातें मार रहा है , तुमसे मिलने को बेताब है ,ताज्जुब है संदीप ने कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया । सातवां महीना लग गया था , आज चेकअप के लिए जाना था संदीप सेमिनार में गया हुआ था सो लौटते हुए मार्केट से कुछ जरूरी सामान व सब्जी लेने चली गई । वहां मैंने प्रोफेसर साइकिया को देखा , देख कर अच्छा लगा , अब आपकी तबीयत कैसी है ? कोई प्रोब्लेम तो नहीं है ना ?

     अब बिल्कुल ठीक हूं बस थोड़ा फ्लू हो गया था ठीक होने में पूरे पन्द्रह दिन लग गए ।

मैं सोच में पड़ गई संदीप ने झूठ क्यों बोला ! उसका किसी के साथ कोई चक्कर है ? उससे कुछ पूछा तो नहीं लेकिन उसकी हर बात और गतिविधि पर गौर करने लगी तो मुझे उसपे शक होने लगा , सच में कोई चक्कर तो है पर क्या ? अगर ऐसा है तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था । अब ऐसा लगने लगा कि उसे रंगेहाथों पकड़ूं । पापा अब रिटायर हो गये थे आज ही उनके रिटायरमेंट का फंक्शन भी था , फंक्शन पर जाने के लिए तैयार होकर बाहर गई , दालान में मोढ़े पर बैठा संदीप फोन पर किसी से बात कर रहा था तो कुछ न बोलकर वहीं खड़ी रही , उसने मुझे नहीं देखा , वार्त्तालाप चलता रहा । सामने वाला क्या कह रहा था नहीं पता लेकिन संदीप जो कह रहा था , साफ सुनाई दे रहा था - सुन आज मौका है , सारी पुलिस फोर्स बुढ़े के फंक्शन में जमा होगी इस दौरान हम अपना काम कर लेंगे वैसे मेरा ससुर है तो भला मानुष , किस काम आयेगा ? आज ही तो मौका मिला है यार इसका विश्वास जीतने के लिए इसकी बेटी को अपनी मुहब्बत में फांसा और शादी की , देख ना अपने बीवी बच्चों को चंडीगढ़ छोड़ा है बच्चों की स्कूल के बहाने फाइनल एग्जाम के बाद अपने साथ लाने का वादा करके । 

       अपनी बेटी से बुढ़ा बहुत प्यार करता है इसलिए डोंट वरी काम हो जाएगा ,, यार वो सीक्रेट उसी के पास है । मैंने कितने पापड़ बेले हैं , अपनी फैमिली से दूर रहा हूं। , बच्चों को कबसे नहीं देखा है तो ऐसे थोड़े ही ना जाने दूंगा ! अपने मिशन के लिए शादी तक कर दी ! मीना बेचारी को तो कुछ भी नहीं मालूम ,, वो भी इसी की तरह भोली है जैसा कहता हूं मान जाती है मगर मैं अपनी मीना से बहुत प्यार करता हूं ! अबकी कुछ हो गया तो किसी को नहीं छोड़ूंगा , अच्छा , अब फोन रख प्रोग्राम शुरू होने वाला है , आधे घंटे में शुरू हो जायेगा , हेडक्वार्टर के ओडीटोरियम में है , फंक्शन के लिए बहुत अच्छी तरह से सजाया है , बुढ़े का वक्त जबरदस्त है यार ,, हमारी लाइफ में ऐसा क्यों नहीं होता ? हम भी तो मिशन के लिए पूरी तरह समर्पित होते हैं फिर भी ,,क्यों ?

      हमारे काम में ऐसी फालतू बातों के लिए जरा भी जगह नहीं है , काम पे ध्यान दे , बंदोबस्त तो ठीक है ? 

     हां बिल्कुल , सिक्योरिटी में हमारे बंदे भी है डोंट वरी । 

     ये सब सुनकर तो मैं सकते में आ गई ,, जिसे देवता समझा वो जल्लाद निकला ,,इतने लोगों की जान एक झटके में ले लेगा ,, ओओओ नोओओ ,,और कांपते हुए नीलू वहां से चुपचाप निकल गई , सीधी पापा के पास जाकर उन्हें सब बता दिया तो उन्होंने कहा- बेटा , डोंट वरी जैसे प्लान बना था तुम वैसे ही उसके साथ आओ , तुम जरा भी पेनिक नहीं होना वरना उसे पता चल जाएगा इसलिए इस बात का पूरा-पूरा ख्याल रखना बाकी तेरा पापा सब संभाल लेगा ,,आज तेरी भी परीक्षा है तू मेरी बेटी है वैसे डीयर फोर योर इन्फर्मेशन , इसके बारे में सारा पता पहले ही कर लिया था । अब हमारा मिशन यह है कि इसके मिशन को नाकामयाब करना ,, नाऊ यू गो ,, कीप मोराल ,,डोंट गॅट पेनिक !

      ओके पापा कहते हुए वापस घर जाती है सीधे अंदर चली जाती है फिर कुछ देर बाद अंदर से ही आवाज देती है - डार्लिंग आय म रेडी ,,अरे यार कितना टाइम लगाते हो औरतों की तरह ,, कहते हुए उसके कमरे में हम जाती है और उसे देखकर कहती है - वाओ , क्या बात है ! हाय , तुम कितने हेंडसम हो ,,लगता है किसी को कत्ल करने का इरादा है ?

यह सुनकर तो संदीप घबरा गया , घबराहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी लेकिन दूसरे ही पल खुद को संभालते हुए कहा - अरे जान , कातिल तो तुम लग रही हो !

     तो जनाब प्रोफेसर साहब , अब चलें ?

     ओके ! वहां पहुंचे तो देखा हाल खचाखच भरा हुआ था बस एनाउंसमेंट होने वाला था , डायस पर इंस्पेक्टर रस्तोगी खड़े थे , तालियों की गड़गड़ाहट ने उनका स्वागत किया । इंस्पेक्टर रस्तोगी वीआईपी गेस्ट को स्टेज के लिए इन्वाइट करने लगे साथ ही मुझे और संदीप को भी इन्वाइट किया अब संदीप के पसीने छूटने लगे , यहां से तो वो हिल भी नहीं सकता था ऐसे तो मिशन को अंजाम नहीं दे पायेगा उसके आर्डर के बिना तो कुछ भी नहीं होगा , अब करे तो क्या करे , कुछ भी सूझ नहीं रहा था ,,, यह तो तय है इन्सान कितना भी इंटेलिजेंट क्यों न हो लेकिन जब गलत मंशा से कोई भी कार्य करता है तो छक्के छूट जाते हैं रही-सही हिम्मत भी पस्त हो जाती है आज संदीप के साथ भी ऐसा ही हो रहा था , मुम्बई में तो हर ब्लास्ट सक्सेसफुली कर चुका था , यहां जितना आसान लग रहा था उतना ही अब नानी याद आ रही थी ,,, उसके वश में कुछ नहीं रहा था ! उसकी मानसिकता इतनी क्रूर , तौबा-तौबा ! जब बम विस्फोट होता , आग भड़कती लोग मरते , घायल होते चारों तरफ त्राहि-त्राहि मचती , उसे मज़ा आता , सुकून मिलता ! फिर पैसा भी तो भरपूर मिलता ,,उसे अपने पैसे से मतलब ,,कोई जीये या मरे ,, क्या फर्क पड़ता है इसी बहाने भारत की पोपूलेशन थोड़ी तो कम होगी , धरती का थोड़ा-सा बोझ कम होगा ! आज बुढ़े की बेटी से भी छुट्टी मिल जाती अपने बीवी-बच्चों से मिलता लेकिन मिशन फेल हो गया,, तो ,,? अब मुझे प्यार से देखते हुए बोला - जान , मैं थोड़ा बाथरूम जाकर आता हूं ,,,,, पापा ने कहा था इसे स्टेज से उतरने मत देना ,, इसलिए मैंने उससे बड़े प्यार से कहा - अरे , तुम ऐसे बीच जाओगे तो कितना खराब लगेगा ,,,कंट्रोल यार ,, एक तो वो बीच में था ऊपर से पापा के पास वाली सीट ,, बुरी तरह से फंस गया था । जल्दबाजी में रिमोट संदीप के पास रह गया था यही सबसे बड़ी चूक हो गई थी ,,,यहां रिमोट को ओपरेट कर ही नहीं सकता था । बम भी तीन फिट कर रखे थे एक यहीं स्टेज पर इसी टेबल के नीचे और दो ओडीटोरिम में । पेशोपस में था , एकदम रेस्टलेस हो रहा था ।अगर यहीं पर दबाता है तो खुद भी मरेगा ,,,अब सांप -छुछंदर की स्थिति हो रही थी । उसे रोकने के लिए पापा ने क्या आइडिया लगाया है ,,,संदीप तू तो गया बारह के भाव ! सिक्योरिटी में उन बदों को भी ढूंढ़ लिया गया , सबसे उनका सर्विस रिकार्ड और सर्विस बुक मांगी अब भला ये आतंकी कहां से लाते ,,कुछ बोल ही नहीं पाये , पकड़े गए और बम ढूंढने के लिए डाॅग्स का सहारा लिया ,तीनों बम तलाश कर लिए गए उसके कुत्ते को स्टेज पर बैठे सबके पास घुमाया , कुत्ता सबको सूंघता हुआ संदीप के पास पहुंचा तो सूंघते ही झपट पड़ा , बड़ी मुश्किल से छुड़ाया तलाशी ली गई टीवी के रिमोट जैसा एक रिमोर्ट मिला बहुत गिड़गिड़ाया - सर , यह टीवी का रिमोट है गलती से आ गया ,, आप दिया से पूछ लीजिए , बोलो ना दिया , अपनी टीवी का रिमोट है ना ?

     लेकिन अपनी टीवी का तो पतला और लंबा है , फिर यह तो चौड़ा है , लंबा भी नहीं है !‌ आखिरकार उसे दोषी पाया जाने के कारण हिरासत में ले लिया । पूछताछ के दौरान कुछ भी बताने को तैयार नहीं हुआ ,, यहां तक कि थर्ड डिग्री दी ,, इतना टाॅर्चर करने के बाद भी टस से मस नहीं हुआ । पंद्रह दिन तक ये सब चलता रहा ,सहन करने की भी एक सीमा होती है , आखिर उसकी हिम्मत टूट ही गई ,सब उगल दिया - यहीं पर फोरेंसिक लॅब में अपने साथियों की मदद से तैयार किए थे , मेरी क्लास के स्टूडेंट ने इसमें माहिर हैं - हरि , बिंदु , आकाश और रितेश । वो लोग पढ़ने थोड़े ही ना आये थे सबके सब पैसों के लिए कर रहे थे । इन। सबका मिशन था पैसा फिर भले मासूमों की आहों , चीखों या लाशों पर मिले ! मैंने पता करके उसकी बीवी मीना को अंबाला से बुलाया । ओह ! उस बेचारी के साथ भी कितना बड़ा धोखा हुआ ,,दो बच्चे हो गए आठ साल की शादी में अब-तक नहीं जान पायी थी इतना बड़ा फरेब,,,, इस खूनी का इंतजार , इसके लिए बेचैनी , व्याकुलता , इसकी लंबी उम्र की दुआएं ,,ओह भगवान ! इसकी तरह ही मेरे साथ किया ! हो सकता है हमारी ही तरह कोई और भी शिकार हो ,,,,, मीना बेचारी भी हाल-बेहाल थी ! मैंने पापा से कहा - अगर फोन पर इसकी बातें न सुनती तो ? 

      तो भी यह तो पकड़ा ही जाता , कबसे शक की बिना पर इसकी जांच चल रही थी ,,हां यह तेरे हक में अच्छा हुआ कि ये सब ,,सब समझकर तेरा भ्रम जल्दी टूट गया । इसके साथ तेरी शादी के अगेंस्ट में इसलिए था पर तुम्हें कुछ भी बता नहीं पा रहा था , तबतक मैं खुद भी श्योर नहीं था , खैर जो होना था हुआ अब यह सब भूलना ही बेहतर है बेटा ,तुम्हारे पापा सही कह रहे हैं ,, ’’ बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले ‘’

मीना के साथ भी बहुत बुरा हुआ ,, बेचारी ,! कल संदीप की हियरिंग है ,देखें , क्या फैसला होता है ! 

     पापा उसे तो फांसी मिलनी चाहिए !

     फांसी नहीं आजीवन कारावास मिलना चाहिए कड़ी से कड़ी सज़ा के साथ तभी इसे अहसास होगा दूसरों के दर्द का , पीड़ा का ! काश ,,एकदम गला भर आया कुछ बोल ही नहीं पायी ! यह मीना थी जो दिया के जवाब को सुनकर घर प्रवेश करते वक्त बोली थी ! 

     संदीप को कठोरतम सज़ा के आजीवन कारावास मिला । कोर्ट रूम से बाहर निकल रहा था तब मीना और दिया ने पूछा - तुमने हमारे साथ ऐसा क्यों किया ? वो मुहब्बत , वो वादे , वो साथ में गुजरा वक्त,,वो सब क्या था ?

      मीना , तुमसे सच्चा प्यार किया है और करता रहूंगा ,,तुम्हारे व बच्चों के लिए सब सच्चा है जो भी प्यार अपनापन है तहेदिल से है ,,बस मति मारी गई जो पैसे के लालच के मारे दलदल में धंसता गया , हो सके तो मुझे माफ़ कर देना मैं लौटकर आऊंगा अपने सारे पाप धोने ! प्यार करता हूं फिर भी तुम्हारा गुनहगार हूं ! दिया तुम्हारा भी , तुम्हारे साथ तो बहुत बुरा हुआ है तुम्हें तो मुहब्बत में छला है हर पल ,,तुमसे तो माफी भी नहीं मांग सकता , उस लायक भी नहीं हूं फिर भी रियली-रियली आय म एक्सट्रीमली सौरी । और आंसुओं से भरा चेहरा लिये पुलिस वेन में बैठ गया वेन चली हाथ जोड़े-जोड़े वो भी चला गया आजीवन कारावास के नये मिशन पर !

       यहां दिया और उसके पापा डीआईजी रोहित शर्मा को मानना होगा ,,दिया वक्त रहते संभल गई हिम्मत नहीं हारी बल्कि जुटी रही । डीआइजी साहब की सूझ-बूझ के कारण आतंकवाद का किंचित ही सही पर बहादुरी से खात्मा हुआ हजारों लोगों की जान बच गई , यूं भी कह सकते हैं जान-माल का कुछ भी नुकसान नहीं हुआ और आतंकवादी मिशन नेस्तनाबूद हो गया ! डीआईजी ने जाते-जाते भी अपना कारनामा कर दिखाया । आतंकवाद का पर्दाफाश कर खात्मा करने के मिशन को बड़ी शिद्दत से पूरा किया !

                                  


                                  


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