कवि हरि शंकर गोयल

Horror Crime

4.5  

कवि हरि शंकर गोयल

Horror Crime

मिशन भूतिया ट्रेन

मिशन भूतिया ट्रेन

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हरीश का चयन भारतीय पुलिस सेवा में हो गया था । प्रशिक्षण के पश्चात उसकी पहली नियुक्ति रेलवे पुलिस फोर्स में सहायक पुलिस अधीक्षक के पद पर हुई थी । उसका मुख्यालय कोटा था । उसे कोटा से आगरा और कोटा से दिल्ली वाले रूट की जिम्मेदारी दी गई थी । 

पहला दिन तो ड्यूटी ज्वाइन करने और दफ्तर , घर की व्यवस्था करने में ही निकल गया था उसका । जब वह दूसरे दिन सुबह जगा और अखबार देखा तो एक समाचार पढ़कर वह आश्चर्य चकित रह गया । समाचार का शीर्षक था 


"भूतिया ट्रेन फिर लुटी । करोड़ों का माल पार । एक जवान लड़की भी गायब । भूतों का एक और कारनामा" 


वह कौतूहल वश सारा समाचार एक ही सांस में पढ़ गया । यह घटना कोटा आगरा एक्सप्रेस में हुई थी और उसी ट्रेन को "भूतिया ट्रेन" भी कहा जाता था । यह घटना गंगापुर सिटी और हिण्डौन के बीच घटी थी । जब यह ट्रेन लुटी तब रात के करीब बारह बजे थे । 


उसके दिमाग में बहुत सारे प्रश्न कौंधने लगे । भूत कैसे ट्रेन लूट सकते हैं ? वे इसी ट्रेन को क्यों चुनते हैं ? यह घटना रात को बारह बजे के आसपास ही क्यों होती है ? घटना भी सवाई माधोपुर और हिण्डौन के बीच ही घटित क्यों होती है ? अखबार में पिछली सारी घटनाओं का पूरा ब्यौरा भी दिया गया था । 


आज के इस वैज्ञानिक युग में ये भूत प्रेतों के द्वारा लूटपाट की घटनाएं कुछ हजम नहीं हो रही थी उसको । उसने बचपन में यह तो सुना था कि अगर किसी की असामयिक मृत्यु हो जाती है और उसकी आत्मा मोहवश धरती पर ही अटकी रहती है तो वह अपना बदला चुकाने के लिए भूत प्रेत बन जाती है और जब उसका बदला पूरा हो जाता है तब वह मुक्त हो जाती है। मगर उसने कभी भूतों को लूटपाट और किसी जवान लड़की का अपहरण करते नहीं सुना था । 


ठीक दस बजे वह ऑफिस पहुंच गया । वहां पर सब पुलिस वाले उसी घटना का जिक्र कर रहे थे और भूत प्रेतों का महिमा का मंडन भी कर रहे थे । थोड़ी देर में एस पी साहब आ गए । एस पी साहब ने हरीश को अपने चैंबर में बुलवाया और कहा 


"आज का अखबार देखा तुमने ? ये क्या मजाक बना रखा है इन अखबार वालों ने ? कोई भूत भी लूटते हैं क्या ट्रेन ? लोग भी पता नहीं कैसे कैसे अंध विश्वासी होते हैं । ट्रेन का नाम ही 'भूतिया ट्रेन' रख दिया । तुम अभी जवान हो । बुद्धिमान हो । इस केस की तह तक जाओ और इसका भंडाफोड़ करो । बहुत हो गया ये भूत प्रेत वाला किस्सा" ? 


"यस सर " और हरीश ने एक कड़कता सैल्यूट मारा एस पी साहब को और वह अपने चैंबर में आ गया । 


उसने अपने स्टॉफ से पिछली सारी घटनाओं का ब्यौरा मांगा । पिछली सारी FIR निकलवाई । उनकी जानकारी अपने लैपटॉप में संकलित की । सबमें एक कॉमन बात थी कि भूतिया ट्रेन में यह घटना प्रथम श्रेणी के डिब्बे में ही घटित होती हैं । घटना का समय रात के बारह बजे के आसपास रहता था और घटना अधिकतर गंगापुर सिटी के आसपास घटी हैं । 


उसने उन घटनाओं वाले दिन उस डिब्बे में यात्रा कर रहे यात्रियों की जानकारी भी एकत्रित की । पांच सात दिनों में उसने ये सब जानकारी जुटा ली थी । भूतिया ट्रेन यद्यपि रोजाना कोटा से आगरा और आगरा से कोटा आती थी । मगर ऐसी घटनाएं लगभग आठ दस दिन के अंतराल पर होती थी । 


उसने एक "प्लान" तैयार किया और एस पी साहब को बताया । उसे अच्छे से युवा व साहसी बीस जवानों की आवश्यकता थी । एस पी साहब ने आई जी साहब से अनुरोध कर के जयपुर से बीस जवान बुलवा लिये थे । 


हरीश ने उन बीस जवानों को पहले इस मिशन के लिए तैयार किया । उसने कहा "मैं यह मानता हूं कि इस दुनिया में कोई भूत प्रेत नहीं होते । इंसान के दिमाग में ही भूत प्रेत रहते हैं और उसी के कारण वह आदमी डर के मारे आधा रह जाता है । इसलिए यदि किसी के मन में इन भूत प्रेतों का कोई डर बसा हो और वह इस 'मिशन' में काम नहीं करना चाहता हो तो वह बता सकता है । कोई जबरदस्ती नहीं है किसी के साथ । मुझे उत्साही और निडर जवान चाहिए । बोलो , सब तैयार हो" ? 


एक स्वर से आवाज आई "जी, साहब जी" । 


अब हरीश ने अपना "प्लान" उनको भलीभांति समझा दिया । 


उस प्लान के अनुसार उसने उन जवानों से कहा कि हर वक्त तैयार रहना होगा । सामान की सूची मैंने तुम्हें दे दी है , उसे साथ रखना होगा और जैसा मैंने कहा है वैसा ही करना होगा । कोई शक ? 

"नहीं , साहब जी" । इस तरह हरीश ने जवानों को तैयार कर दिया । सामान की व्यवस्था एस पी साहब ने कर दी थी। अब सारी तैयारियां हो चुकी थीं । 


एक दिन हरीश ने एस पी साहब को बोला "सर, आज हमें "मिशन भूतिया ट्रेन" पर निकलना होगा । मैं आपसे कनेक्ट रहूंगा । अगर किसी हैल्प की आवश्यकता होगी तो आपको कष्ट दूंगा" । 


"बेस्ट ऑफ़ लक, हरीश । उम्मीद है कि आज तुम इस भूतिया ट्रेन के भूतों का पर्दा फाश करके ही लौटोगे " । और एस पी साहब ने हरीश की पीठ थपथपाई। 


प्लान के मुताबिक वह प्रथम श्रेणी वाले डिब्बे में चढ़ गया । बाकी जवानों को अपनी अपनी पोजीशन पर तैनात कर दिया । 


उसने एक बार उस डिब्बे का भ्रमण कर जायजा लिया । सभी जवान सिविल ड्रेस में थे और यात्री लग रहे थे । हरीश ने देखा कि उस डिब्बे में एक सुंदर सी लड़की भी बैठी हुई है । वह उस लड़की के सामने वाली सीट पर जाकर बैठ गया और एक किताब में डूब गया। 


ट्रेन कोटा से ठीक नौ बजे रवाना हो गई । वह ट्रेन सवाई माधोपुर ठीक ग्यारह बजे पहुंच गई थी । अभी तक सब कुछ सामान्य ही था । सवाई माधोपुर से ट्रेन रवाना हो गई । इसकी सूचना मोबाइल से एस पी साहब को दे दी थी उसने और बता दिया था कि अभी तक सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है । 


सामने की बर्थ पर बैठी वह लड़की अब तक सो चुकी थी । हरीश ने भी लाइट बंद करके सोने की एक्टिंग की । गंगापुर सिटी आने वाला था । 


अचानक डिब्बे में एक आदमी खड़ा हुआ और बाथरूम की ओर चला गया । थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से वापस आ गया । हरीश ने ये सब बहुत बारीकी से देखा था । वह सतर्क हो गया था और सभी को सतर्क भी कर दिया था । वह जानता था कि अब एक झटके से यह ट्रेन रुकने वाली है । उसने अपना मोर्चा संभाल लिया। 


अचानक एक झटके के साथ ट्रेन रुक गई। हरीश ने देखा कि डिब्बे में सब यात्री बेहोश से सो रहे हैं । अचानक वह आदमी जो बाथरूम गया था, उठा और सीधा दरवाजे की ओर बढ़ा । उसने जैसे ही दरवाजा खोलना चाहा दो जवानों ने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके मुंह पर रुमाल रख दिया । हरीश ने ट्रेन के बाहर खिड़की से देखा कि कुछ सफ़ेद वस्त्र धारी लोग जो भूत जैसे दिख रहे हैं, ट्रेन के बाहर खड़े हैं । उनके सिर गायब हैं । केवल धड़ ही नजर आ रहे हैं । वे ट्रेन में घुसना चाह रहे हैं लेकिन दरवाजा बंद होने से घुस नहीं पा रहे हैं । भूत प्रेतों की सी आवाज आ रही थी जैसे कि "रामसे ब्रदर्स" की फिल्मों में आती है ।


इतने में ट्रेन चल पड़ी । एक दो "भूत" दरवाजे से लटक गए थे । लेकिन दरवाजा नहीं खुलने से वे वहीं गिर पड़े थे । 


ट्रेन गंगापुर सिटी जा पहुंची । ट्रेन से उस आदमी को उतार लिया गया जो दरवाजा खोलने जा रहा था । स्टेशन पर ही एक कमरे में उसकी जबरदस्त धुनाई की गई । तब उसने अपनी "भूतिया गैंग" के बारे में सब कुछ बता दिया । 


फिर हरीश ने एक प्लान तुरंत तैयार किया और एक यंत्र उसकी जेब में डालकर उसे कह दिया कि वह अब अपने साथियों के पास जाए । उसके पीछे पीछे पूरी टीम अलग से चलने लगी । चार पांच किलोमीटर चलने के बाद वह एक गांव के बाहर एक खंडहर में चला गया । वहां पर आठ दस आदमी बैठे हुए शायद उसी का इंतजार कर रहे थे । 


हरीश ने उन सबको घेर लिया और गिरफ्तार कर लिया । एक दो ने भागने की कोशिश की तो उनके पैर में गोली मार दी । एक दो ने जवानों पर आक्रमण किया तो उनकी कनपटी पर पिस्तौल तान दी । अब सबने आत्म समर्पण कर दिया था । एक बस जो कि पीछे पीछे आ रही थी, में बैठाकर उनको पूरी सुरक्षा में कोटा लाया गया । आज भूतिया गैंग का पर्दाफाश हो गया था । 


दोपहर को तीन बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थी । प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरीश ने अपनी योजना का खुलासा करते हुए बताया 


"मैं पहले दिन से ही जानता था कि कोई भूत प्रेत नहीं होते हैं । यह काम किसी शातिर अपराधी का है । वह लोगों के मन में भूत प्रेतों को लेकर बैठे डर का फायदा उठा रहा है । इस गैंग का मास्टर माइंड 'सतीश मीणा' है । यह एक पढ़ा लिखा युवक है जो जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में "भूतिया गैंग" का सरगना बन गया । इस गैंग में लगभग बीस बाईस लोग हैं । चार पांच तो बस ट्रेन में ही सफर करते हैं । वे लोग डिब्बे की सारी जानकारी अपने बॉस को दे देते हैं । ये लोग जानते हैं कि प्रथम श्रेणी में यात्रा करने वाले लोग अक्सर पैसे वाले ही होते हैं इसलिए उन्हें लूटने से ज्यादा धन दौलत मिलने की संभावना होती है । इसलिए इन्होंने प्रथम श्रेणी के डिब्बे को ही अपना केन्द्र बिन्दु बनाया था। 


एक बंदा उस डिब्बे में यात्री बनकर सफर करता था । अपने टारगेट स्थल से पहले वह बंदा बाथरूम जाने के बहाने से पूरे डिब्बे में 'बेहोशी वाली दवा" स्प्रे कर देता था । इससे सब लोग बेहोश हो जाते थे । फिर वह आदमी 'चैन" खींचकर गाड़ी रोकता था । इतने में एक आदमी ड्राइवर के आसपास "क्लोरोफॉर्म" छोड़ देता था जिससे ड्राइवर बेहोश हो जाता था । इसी प्रकार एक दो आदमी गार्ड के डिब्बे के आसपास आकर यही काम करते थे और गार्ड को भी बेहोश कर देते थे । 


फिर आठ दस आदमी भूतों की तरह कपड़े पहन कर सिर पर कोई काला कपड़ा ओढ़कर ट्रेन के दोनों ओर चहल कदमी करते थे जिससे लगे कि वाकई में भूत घूम रहे हैं । उनके हाथों में एक टेप रिकॉर्डर होता था जिससे वे लोग "रामसे ब्रदर्स" की भूतिया फिल्मों की आवाज सुनाकर भूत प्रेत होने का अहसास करवाते थे । सिर पर काला कपड़ा ओढ़ लेते थे जिससे दूर से ऐसा लगे कि यह बिना सिर का रुंड है । 


डिब्बे में बैठा इनका आदमी दरवाजा खोल देता था जिससे पांच सात आदमी डिब्बे में घुस जाते थे और लोगों के सूटकेस , पर्स , जेवर , नकदी लेकर चंपत हो जाते थे । ये लोग बड़े "रंगीन मिजाज" के हैं । अपनी हवस की पूर्ति के लिए ये लोग डिब्बे में सफर करने वाली सबसे सुंदर महिला को उठाकर ले जाते थे । जब तक कोई नई लड़की नहीं मिलती तब तक उसके साथ दुष्कर्म करते हैं फिर किसी दलाल को बेच देते हैं । 


मैंने जब लूटपाट की घटनाओं की डिटेल निकलवाई और उस डिब्बे में यात्रा करने वालों का विश्लेषण किया तब मुझे छः नाम संदिग्ध लगे थे । जब जब 'भूतिया ट्रेन' में घटना घटी थी, इन छः आदमियों में से कोई न कोई एक आदमी उस ट्रेन में अवश्य यात्रा करता था उस दिन । इसलिए मैंने इस ट्रेन की बुकिंग पर निगरानी रखनी शुरू कर दी थी । जैसे ही कल की सूची में इस आदमी का नाम "शंकर" देखा तो तुरंत मेरे समझ में आ गया था कि कल भूतिया ट्रेन के लुटने के पूरे पूरे चांस हैं । इसलिए मैंने अपनी टीम को अपने काम पर लगा दिया था । 


हम सब लोगों ने जो मास्क लगा रखा था उसमें हम लोग "एंटी क्लोरोफॉर्म ड्रॉप" बार-बार डाल रहे थे जिससे उस "स्प्रे" का असर हम पर नहीं हो । हमने प्लान के अनुसार उस आदमी को अपना काम करने दिया और जब वह दरवाजा खोलने लगा तो उसे दबोच लिया । 


इसी तरह हमने एक बंदा ड्राइवर के केबिन में ड्राइवर बनाकर भेज दिया । जब ओरीजनल ड्राइवर बेहोश हो गया तब हमारे बंदे ने ट्रेन चलाकर गैंग के मंसूबों पर पानी फेर दिया । 

बाकी का काम 'शंकर' ने पूरा कर दिया । 


जब इसकी ठुकाई होना शुरू हुई तो इसने सारी बातें साफ साफ बता दी । हमने इसके पास एक मशीन छोड़ दी जो इसकी लोकेशन बता रही थी । इसके पीछे पीछे हम गांव के खंडहर तक आ गये जहां पर ये सब लोग इकट्ठे होकर लूटे गए माल का बंटवारा करते हैं । फिर दारु पार्टी करते हैं और उस लड़की से दुष्कर्म करते हैं । कल हमारे कारण ये किसी लड़की का अपहरण नहीं कर पाये थे " । 


हरीश की बुद्धिमानी , वीरता और साहस के सभी लोग कायल हो गए थे । एक पत्रकार खड़ा होकर कहने लगा "सर, आपने अद्भुत कार्य किया है । भूत प्रेतों के मिथक को तोड़ा है और "भूतिया ट्रेन" का पर्दाफाश कर सारे अपराधियों को सलाखों में डाल दिया है । आप बहुत बहुत बधाई के हकदार हैं । काश कि आप जैसे अधिकारी हर जगह हों" । 


और एस पी साहब ने हरीश को "मिशन भूतिया ट्रेन" के सफल होने पर उसकी पीठ थपथपा कर उसके कार्यों की सराहना की । 



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