Kameshwari Karri

Inspirational

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Kameshwari Karri

Inspirational

मीरा

मीरा

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"मीरा कहाँ मर गई है ? कब से पुकार रही हूँ सोनी रो रही है । सुनाई नहीं दे रहा है क्या? क्या कर रही है ?" कहते हुए रिया रसोई से कमरे की तरफ़ आती है क्योंकि उसकी बच्ची रो रही थी और वह खुद अपना काम छोड़कर आती है और देखती है कि मीरा टेबल पर सर रखकर रो रही है । रिया को ग़ुस्सा आ गया ।उसने मीरा के सर पर एक चपत लगाई और कहा "क्यों रो रही है अब क्या तकलीफ़ है तुझे ?" माँ को पुकारा और कहा "देखा आपने इतने अच्छे से हम इसकी देखभाल करते हैं पर क्या फ़ायदा जब देखो तब रोते ही रहती है । मैंने कहा था आपसे मैं इसे अपने घर में नहीं रखना चाहती हूँ पर आपकी ज़िद की वजह से मैं इसे इंडिया से केनडा लाई । अब तो न ही इसे भेज सकते हैं न रख सकते हैं ।" विजया ने कहा "अरे ! रिया तुझे तो सब्र ही नहीं है ।मैं हूँ न मैं उसे सब सिखा दूँगी । वैसे भी वह मेरे पास अपने घर में काम करती थी न बेटा ..आजकल ऐसे काम करने वाले कहाँ मिलते हैं ।अब देखो इसके माँ बाप नहीं हैं कोई भी पूछने वाले भी नहीं हैं ।सिर्फ़ एक भाई है ,जिसे मालूम भी नहीं है कि उसकी बहन कहाँ है । इसलिए तू फ़िक्र मत कर मैं हूँ ना. " रिया ने कहा "अब आप ही देखिए इसे ..मैं ऑफिस का काम करूँ या बच्ची को देखूँ अब आप साथ लाई हैं तो सब सिखा कर जाइए ताकि आगे मुझे कोई तकलीफ़ न हो ।" विजया कहती है "नहीं बेटा तुम्हारे बारे में सोचकर ही इसे मैं यहाँ लाई हूँ मेरे यहाँ से जाते तक मैं इसे परफ़ेक्ट बना दूँगी तू फ़िक्र मत कर कहती हैं ।" मीरा की तरफ़ मुड़कर कहा "मीरा तुमने तो सपने में भी नहीं सोचा होगा कि तुम इंडिया से बाहर आओगी । मेरी बात मान अच्छे से काम कर ले और यहीं आराम से बस जा । वहाँ भी तू कोई महारानी तो नहीं थी न !! काम वहाँ भी करना पड़ता था तो रिया की बात मान लिया कर समझी और रही बात तेरे भाई की मैं तुझसे उसकी बात हर हफ़्ते करा दिया करूँगी । समझी चल अब सोनी को खिला …बाहर जा कर" कहते हुए बात को सँभाल लेती है । 

विजया को दो महीने पहले की बातें याद आती हैं कि विजया पति के गुजर जाने के बाद भी बैंगलोर में ही रहती थी । एक ही बेटी थी रिया जिसकी शादी पति के रहते हुए ही हो गई थी । अब बेटी और दामाद चेन्नई में रहते थे । विजया के घर लक्ष्मी सालों से काम करती थी । उसदिन वह देर से आई और आई भी तो अपने साथ एक लड़की को लेकर आई । लक्ष्मी को चाय देते हुए विजया ने कहा क्या है !!लक्ष्मी आज बहुत देर कर दी आने में और यह लड़की कौन है ? तुम्हारी कोई रिश्तेदार की बेटी है क्या ?बहुत सुंदर है । लक्ष्मी ने बताया कि नहीं अम्मा रिश्तेदार नहीं हैं । यह लड़की इसका भाई और माँ हमारे घर के पास ही रहते हैं । इसकी माँ आपके घर के पीछे लाइन में जो मकान बन रहे हैं वहाँ काम करती है । दो दिन पहले वह मिट्टी ढोते ढोते गिर गई और उसे बहुत चोट लगी । कल अस्पताल में वह गुजर गई । दोनों बच्चे अनाथ हो गए । अकेली लड़की जात है तो उसे घर में कैसे छोड़ दूँ । इसलिए अपने साथ ले आई । विजया ने अफ़सोस जताया कि बहुत दुख हुआ सुनकर तुम्हारा नाम क्या है बेटा कहते हुए उसे कुछ खाने को भी लाकर दिया । वह शर्माते हुए खाने की चीजें लेती है और अपना नाम मीरा बताती है । मीरा विजया को भा गई क्योंकि वह सुंदर थी । उस दिन से मीरा रोज लक्ष्मी के साथ मेरे घर आने लगी । मैंने उसके लिए अच्छे कपड़े ख़रीद कर दिए । अपने साथ ही उसे बिठाकर खाना भी खिलाती थी एक दिन मैंने लक्ष्मी से कहा इसे मेरे घर में ही छोड़ दें क्योंकि मैं भी अकेले ही रहती हूँ न । 

कहते हैं न कि नेकी और पूछ पूछ । लक्ष्मी भी यही सोच रही थी कि कोई इन बच्चों की ज़िम्मेदारी ले ले तो अच्छा है क्योंकि वह भी ज़्यादा कमाती नहीं थी अकेली ही थी तो काम चल रहा था । लड़का जिसका नाम रामू था उसे लक्ष्मी ने अपने पास ही रखा क्योंकि वह उसकी मदद कर देता था । घर और बाहर के काम कर देता था । अब मीरा विजया के घर में ही रहने लगी । विजया ने एक दिन लक्ष्मी से कहा वह बेटी के पास चेन्नई जा रही है शायद वहाँ रहना पड़ेगा क्योंकि बेटी प्रेगनेंट है । विजया ने जाते जाते अपना फ़ोन नंबर लक्ष्मी को दिया कि वह मीरा से बात कर सकती है । 

विजया मीरा को लेकर चेन्नई पहुँच गई वहाँ वह मीरा से सारे घर के काम कराने लगी ताकि उनकी बेटी को आराम मिल सके । रिया को भी अच्छा नहीं लगता था कि छोटी सी बच्ची से घर के काम कराए पर माँ के सामने उसकी बोलती बंद हो जाती थी । नतीजा मीरा दिन-भर काम करती रहती थी । एकदिन मीरा के हाथों से काँच का गिलास गिरकर टूट गया उस दिन विजया ने बहुत बड़ा तमाशा किया जिसकी उम्मीद न रिया ने किया न रिया के पति अर्जुन ने । अर्जुन को बहुत ग़ुस्सा आया उसने विजया से कहा "आप इस बिन माँ की बच्ची को हमारे घर लाई और उस छोटी सी बच्ची से पूरे घर का काम करा रही हैं और आज एक गिलास के टूटने से इतना बड़ा तमाशा मैं अपने घर में ऐसा होते हुए नहीं देख सकता आज ही इसे मैं हॉस्टल में भेज देता हूँ किसी का भला नहीं कर सकते तो बुरा भी मत कीजिए।" 

अर्जुन दूसरे दिन ऑफिस से आते ही कहता है कि "रिया हमें केनडा जाना पड़ेगा ऑफिस के काम के सिलसिले में शायद तीन चार साल रहने पड़ेंगे पंद्रह दिन में सब कुछ हो जाएगा । पहले हम दोनों चलते हैं फिर तुम्हारी माँ के लिए कोशिश करूँगा । माँ को जब पता चला उन्होंने कहा ठीक है जल्दी से मेरे और मीरा के लिए भी कोशिश करना उसे वहाँ ले जाएँगे तो हमारी मदद हो जाएगी।" अर्जुन ने कुछ नहीं कहा क्योंकि अभी से वह बहस में नहीं पड़ना चाहता था । 

अर्जुन के ऑफिस का काम जल्दी ही हो गया और बीस दिनों में उनके जाने का समय आ गया विजया ने भरे दिल से बेटी को केनडा भेजा । सेहत के लिए बहुत सारी हिदायतें दी और मीरा के साथ वापस बैंगलोर आ गई । उन्हें आए हुए अभी एक ही महीना हुआ था कि एक दिन रिया ने कहा माँ आप लोग भी तैयार हो जाइए आपकी भी सारी फॉरमॉलटीस पूरी हो गई हैं अर्जुन टिकट भेज देंगे । विजया ने सबको बता दिया कि वह मीरा को लेकर केनडा जा रही है । लक्ष्मी और उनके मोहल्ले के सारे लोग मीरा के क़िस्मत की तारीफ़ करने लगे कि देखो क्या क़िस्मत पाई है कभी ट्रेन भी नहीं चढ़ी होगी सीधे विदेश जा रही है यह सब विजयम्मा के कारण ही है । टिकट के आते ही विजया और मीरा सबसे विदा लेकर केनडा के लिए रवाना हो गए । केनडा पहुँचते ही अर्जुन एयरपोर्ट पर उन्हें लेने आ गए ।मीरा खिड़की से बाहर देखकर बहुत खुश हो रही थी । उसके लिए तो यह सब स्वर्ग से कम नहीं था । 

घर पहुँचने के बाद दो दिन ठीक चला क्योंकि जेटलैग था इसलिए । फिर धीरे-धीरे विजया उसे घर के कामों में शामिल करने लगी । अर्जुन को बुरा लगता था पर अभी रिया की हालत को देखते हुए उसने कुछ नहीं कहा । अर्जुन सोच ही रहा था कि रिया के डिलीवरी का समय नज़दीक आ गया है कभी भी उसे लेकर अस्पताल जाना पड़ सकता है यह सोचते हुए । उसकी आँख लगी तभी विजया ने पुकारा बेटा अर्जुन चलो चलते हैं । उनकी आवाज़ सुनकर वह झट से उठता है । सारे इंतज़ाम पहले ही हो गए थे इसलिए कोई तकलीफ़ नहीं होगी । मीरा को घर में रखकर वे अस्पताल भागे । अर्जुन को लड़की चाहिए थी उसे लड़कियाँ पसंद थी । इसीलिए वह मीरा से भी जुड़ गया था । उसका मासूम सा चेहरा देख वह पिघल जाता था । अर्जुन की ख़्वाहिश ईश्वर ने पूरी की और रिया ने बहुत ही सुंदर लड़की को जन्म दिया । अर्जुन और रिया ने अपनी प्यारी सी बेटी का सोनल नाम दिया और प्यार से उसे सोनी कहकर पुकारते थे । 

जिस दिन रिया ने मीरा को चपत लगाई कि रोते हुए सोनी का उसने ख़याल नहीं रखा । उसी रात अर्जुन ने रिया से कहा रिया "तुम्हारी माँ पुराने ख़्यालों की हैं मैं मानता हूँ पर तुम पढ़ी लिखी नौकरी करने वाली और अब तो एक बच्ची की माँ भी बन गई हो ।तुम्हें नहीं लगता आज तुमने मीरा के साथ जो सलूक किया है वह ग़लत है । देखो रिया मेरी आँखों के सामने उस बच्ची पर अन्याय होते हुए मैं नहीं देख सकता हूँ ।इसलिए मैंने फ़ैसला कर लिया है मैं उसे इंडिया भेज कर एक अच्छे से स्कूल के होस्टल में दाखिल करा दूँगा ।ऑलरेडी मैंने अपने दोस्तों से बात कर लिया है । एक आठ साल की उम्र की लड़की से काम कराना क़ानूनन जुर्म भी है । किसी के लिए अच्छा नहीं कर सकते तो बुरा भी तो मत करो । कल उसका सामान पेक कर देना और हाँ तुम्हारी माँ को समझाना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है । अब सो जाओ रात बहुत हो गई है ।" 

रिया को नींद नहीं आ रही थी उसे बार-बार अर्जुन की बातें याद आ रही थी । अर्जुन ठीक ही तो कह रहे हैं ।मैं ही पागल हो गई थी ।कल ही माँ से कह दूँगी कि सोनी की देखभाल के लिए नेनी रख लूँगी और खाना तो मैं बना सकती हूँ ।मीरा को पढ़ने के लिए स्कूल भेज दूँगी । ऐसा सोचने के बाद रिया आराम से सो गई । सुबह उठते ही उसने देखा मीरा अपने नन्हें नन्हें हाथों से सब्ज़ी काट रही थी ।उसने झट से उसके हाथ से चाकू छीन लिया और कहा "मीरा आज से तू घर का कोई भी काम नहीं करेगी ।आज ही मैं स्कूल में बात करूँगी और तू स्कूल जाएगी।" मीरा की आँखों में चमक आ गई ,तभी विजया ने चिल्लाया "पागल हो गई है क्या ? वहाँ भी इनके माता-पिता इनसे काम ही कराते हैं ।यह कोई अनोखी नहीं है ।समझी जिसका काम उसे ही करना है ।ज़्यादा लाड़ करने की ज़रूरत नहीं है" ,तभी पीछे से आवाज़ आई "देखिए आप क्या करती थी या इंडिया में क्या होता है मुझे नहीं सुनना है ।रिया जो फ़ैसला तुमने लिया है मैं उससे बहुत खुश हूँ । चलो रिया हम दोनों मिलकर एक लड़की को पढ़ा लिखाकर उसकी ज़िंदगी बनाते हैं ।" 

विजया को ग़ुस्सा आया पर दामाद के सामने कुछ नहीं कह सकी । मीरा स्कूल जाने लगी । पढ़ाई के साथ साथ वह रिया का हाथ बँटा देती थी ।साथ ही एक छोटी बहन के समान सोनी का ख़्याल भी रखती थी । विजया थोड़े दिन रहकर इंडिया आ जाती है और मीरा वहीं रह जाती है । 

दोस्तों सरकार जितने भी क़ानून क्यों न बना लें पर उन्हें अमल में तो आम जनता को ही लाना पड़ता है । काश सभी अर्जुन और रिया के समान होते तो हमारे पास बाल मज़दूरी इतनी नहीं बढ़ती । चलिए आज ही शपथ लेते हैं कि किसी की मदद नहीं कर सकते तो कम से कम उनका बुरा तो न करें । 



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