मीरा
मीरा
सात वर्षीय मीरा की आँखों में चमक और चेहरे पर खुशी देखकर मन जितना प्रसन्न था, उससे कहीं ज्यादा उसके कोमल हृदय में प्रेम और मानवता देख मैं भावविभोर हो गया था| मुझे नहीं पता था मीरा किसी को मुसीबत में देख इतना विचलित हो जाएगी|
जब से गर्मियों की छुट्टियां हुई हैं मीरा की मस्ती शुरु हो गई है| नटखट सी मीरा पूरे दिन घर और बाहर फुदकती हुई घूमती रहती है| सुबह अब जल्दी न उठने का बहाना भी था तो वह देर तक सोती थी अब लेकिन उसकी नींद मे खलल डालने कुछ नए मेहमान आ गए मतलब उसके विंडो मे लगे एसी पर कुछ कबूतरों ने तिनका तिनका जोड़ कर अपना आशियाना बना लिया था| पहले पहल तो मीरा उन्हें देख कर उतावली हो रही थी और वींडो से उन्हें देखा करती थी लेकिन कुछ ही दिन में उन कबूतरों ने अंडे दे दिए| मीरा अंडो को आश्चर्य से देखने लगी और भागकर अपनी माँ के पास गई और बोली मम्मा मम्मा देखो न कबूतरों ने अंडे दिए हैं| आओ न देखकर बताओ इनमें से बच्चे कब निकलेगें| माँ उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती| मीरा रोज उत्साहित हो उन अंडो को देखा करती|कुछ दिन बाद अंडो में से कबूतरों के छोटे-छोटे बच्चे बाहर आ गए| वह उन्हें देख खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी लेकिन यह खुशी अब गायब होने वाली थी|
बच्चे जैसे जैसे बड़े हो रहे थे, उनका शोर भी शुरु हो गया था| उनकी आवाज से अब मीरा को गुस्सा आने लगा| अब सुबह सुबह बच्चों के शोर के कारण उसकी आँख खुल जाती और वह झल्लाकर उठ खड़ी होती| अब उसके यह विंडो वाले नए पड़ोसी उसे रास नहीं आ रहे थे| मीरा ने विंडो को परदे से कवर कर दिया, वह अब विंडो से बाहर नहीं झांकती थी और चुलबुले स्वाभाव वाली मीरा अब कुछ चिडचिडी सी हो गई थी| धीरे धीरे छुट्टियां भी खत्म होने को आई थी| एक दिन मीरा के माता पिता किसी काम से बाहर गए हुए थे और मीरा आराम से सो रही थी लेकिन आज कबूतरों के बच्चों की आवाज नहीं आ रही थी| मीरा बेचैन हो उठ खड़ी हुई और सोचने लगी क्या हुआ, आज इनका शोर नहीं आ रहा| लगता है वे यहाँ से चले गए हैं| यह विचार आते ही खुश होकर बोली चलो अच्छा हुआ फिर उसने वींडो का परदा हटाया तो देखा कबूतरों का घोंसला आधा नीचे लटका हुआ है और कबूतर और कबूतरी बेचैन हो उसकी विंडो के आस पास मंडरा रहे हैं| यह देख मीरा परेशान हो रूम से बाहर निकल बाहर गली में गई| वींडो की दूसरी तरफ वहाँ देखती है कि कबूतर का बच्चा नाली में गिर गया है और छटपटा रहा है एवं उसके माता पिता छटपटा रहे हैं| यह दृश्य देख मीरा की आँखें नम हो गई| वह सोचने लगी नहीं मुझे इस बच्चे को बचाना है लेकिन कैसे? वह भागकर घर के अंदर जाकर एक गत्ते का टुकड़ा ओर दो पतली-पतली डंडी लेकर आई और बड़े ध्यान से उसने दोनो डंडी से बच्चे को नरम हाथों से पकड़ कर बाहर निकाल गत्ते पर रखा| दूर खड़े उसके माता पिता भी यह नजारा देख रहे थे| मीरा ने उसके घोंसले को सही कर बच्चे को सुरक्षित घोंसले मे रख दिया| कबूतरों का वह जोड़ा भी प्रसन्न नजर आ रहा था और कबूतरों का परिवार गूटर गूँ कर मीरा को शुक्रिया अदा कर रहे थे|आज मीरा की आँखों में एक अलग ही चमक और चेहरे पर खुशी देख मीरा के माता पिता भी प्रसन्न हो उठे थे|