Dr. Chanchal Chauhan

Inspirational

4.8  

Dr. Chanchal Chauhan

Inspirational

मेरी उड़ान

मेरी उड़ान

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पंख लगाकर सपनो के

खुले आसमान में उड़ने दो

 खुलकर जरा मैं ले लूँ

सांस आज जी भर कर

 जी भर कर जीना है

 अब नहीं विवशताओं के जाल में

अब आसमान मेरा है

और उड़ान मेरी अपनी

 बस सतत पग बढ़ाना है

अपने देश और अपनी जन्मभूमि का

नाम रोशन करते जाना है ।


इस अभिव्यक्ति को सार्थक करते हुए मेरी बेटी वेदिका चौहान आज हर क्षेत्र में मुकाम हासिल करती जा रही है ।

हर व्यक्ति के जीवन में उसका प्रेरणा स्रोत कोई भी व्यक्ति हो सकता है । मुझे मेरी बेटी के जीवन से यह प्रेरणा मिली कि किसी भी काम या किसी भी चीज की शुरुआत कभी भी किसी भी उम्र किसी भी समय में की जा सकती है । बस उसके प्रति जुनून व कर्तव्य निष्ठा व सही दिशा होनी चाहिए ।

आइए अब मैं उसके बारे में संक्षिप्त रूप में बताती हूं।

 बड़े प्रयत्नों और दुआओं और सब के आशीर्वाद से यह मेरे गर्भ में आई । उस समय में ओशो के बताएं ध्यान विशेषकर सक्रिय ध्यान में ज्यादातर लीन रहती थी । अध्यापन करना मेरा जीवन यापन का साधन था । उसके उपरांत ध्यान और अध्ययन और नैतिक घरेलू कार्य बस यही मेरी दिनचर्या थी मेरी । मेरे ध्यान और अध्ययन का प्रभाव मेरी इस संतान पर विशेष पड़ा । जन्म से ही बड़ी शांत सौम्य और विनम्र स्वभाव की थी । किसी भी चीज के लिए जिद करना और रोना इसके स्वभाव में था ही नहीं ।बचपन से ही अपने सारे काम स्वयं करने की आदत थी इसकी । स्वाभिमान और कर्मशीलता कूट-कूट के भरा था इसके अंदर । बचपन से ही पढ़ने में मेधावी थी । जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई उसकी अन्य प्रतिभाएं जैसे गायन नृत्य ड्रॉइंग क्राफ्ट आदि उभरने लगी । बचपन में बहुत अच्छा गाती अच्छा नृत्य करती थी । जो भी कोई सुनता देखता उसकी तारीफ जरूर करता था । धीरे-धीरे पढ़ाई की अधिकता के कारण वह अन्य क्षेत्र में विमुख होती चली गई । उसके पिता जो मार्शल आर्ट ताइक्वांडो के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विशिष्ट प्रतिभा रखते हैं उन्होंने अनेकों बार बेटी से कहा कि वह इस आर्ट को जरूर सीखें परंतु उसका रुझान इस तरफ ना बन पाया ।

समय बीतता गया । उसकी बारहवीं कक्षा का इम्तहान हुआ और कोरोना काल का आगमन हुआ । कोरोना के समय बाहर का आवागमन बंद हो गया । सब लोग अपने घर में ही सीमित रह गए । नियमित रूप से उसके पिता मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस करते । वह नित्य उनको देखती । एक दिन अचानक उसे यह बात अंतकरण में दृण हो गई कि उसे भी मार्शल आर्ट ताइक्वांडो सीखना है । फिर क्या उसने मार्शल आर्ट सीखने के लिए अपने पिता से कहा ।पहले तो उन्हें आश्चर्य हुआ पर उसकी उत्सुकता और व्याकुलता के कारण वह बड़े जोर शोर से उसको मार्शल आर्ट ताइक्वांडो सिखाने लगे । फिर वेदिका ने दिन-रात एक कर दिया । दिनभर मार्शल आर्ट और वेदिका । उसने अनेक ऑनलाइन कलर बेल्ट इम्तहान दिए और मार्शल आर्ट में बढ़ती चली गई । 

वह सफलता किस काम की

जिसकी शुरुआत शून्य से ना हुई हो

 हमें देखना है मंजिल की ओर रोज

 लक्ष्य प्राप्ति की उस प्रतीक्षा में ।

उसकी इस लगन और मेहनत की मैं कायल हो चुकी थी ।

प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कोई भी एक आर्ट जरूर सीखनी चाहिए क्योंकि कोई भी आर्ट बिना समर्पण ,आदर के नही आ सकती और यही से व्यक्ति जीवन मे यह गुण उतार लेता है।

 मार्शल आर्ट तो विशेष रूप से गुरु के प्रति आदर समर्पण करना सिखाती है उसके बिना यह सम्भव नहीं ।

 उसने कोरोना काल के बाद कई स्टेट प्रतियोगिता जीती और उसमें अपना नाम रोशन किया और फिर बारी आई राष्ट्रीय प्रतियोगिता की ।

बड़ी हिम्मत और मेहनत और बड़े जुनून के साथ उसने इस प्रतियोगिता की तैयारी की । राष्ट्रीय ताईक्वांडो प्रतियोगिता 2022 में भाग लिया और स्वर्ण पदक प्राप्त किया साथ ही फाइट प्रतियोगिता में अपना विशेष स्थान प्राप्त किया ।

वेदिका के इस पदक से सभी वर्ग के जनों ने उसकी इस प्रतिभा को सराहा और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी । स्वर्ण पदक प्राप्त करने पर जनपद मथुरा में उसका स्वागत किया गया तथा उसका नाम अनेकों समाचार पत्रों व लाइव टीवी पर प्रकाशित किया गया । 

 अब उसे G20 इंटरनेशनल योगा फेस्टिवल और मेलिटस फेयर 2023 वृंदावन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब उसे ब्रजरत्न की उपाधि से दिनांक 26 मार्च को सम्मानित करेंगे । जिसमें योग गुरु स्वामी रामदेव विशेष रूप से होंगे तथा सभी साधु संत और विशिष्ट अतिथि एमएलए एमपी होंगे ।

यह उपाधि से मेरे परिवार व मित्र जनों के लिए बड़े सम्मान का विषय है ।

मैंने अपनी बेटी से अपने जीवन मे यह सीख ली कि कोई भी आर्ट सीखने की कभी भी कोई भी उम्र व समय बंधन नहीं होता ।जब जाग जाए जुनून या सीखने की ललक बस तभी से ही शुरू हो जाओ ।

 जब जागो तभी सवेरा ।

कहते हैं कि मां और उसकी संतान का एक ऐसा रिश्ता है जिसमें मां अपनी संतान को अपने से बढ़ते हुए या बढ़े हुए कद से ही खुश होती है प्रसन्न होती है और अपने आप को सार्थक समझती है । वह कद चाहे शिक्षा का हो या किसी विशेष क्षेत्र का ।

अब वेदिका अपनी पढ़ाई बीटेक् कंप्यूटर साइंस के साथ साथ ताईक्वांडो एशिया चैंपियन शिप 2023 मई की तैयारी में लीन है ।

वेदिका की कुछ पक्तियां जो वह हमेशा गुनगुनाती है वह मैं आपसे साझा कर रही हूँ

राह नहीं है द्वार नहीं है

 दुख का पारावार नहीं है

 लड़ना है जब तक जीवन है

 हार मुझे स्वीकार नहीं है

 उलझन और व्यवधान बहुत हैं

 मुश्किलें तूफान बहुत हैं

 पर जीवन का आधार यही है

हार मुझे स्वीकार नहीं है ।

हार मुझे स्वीकार नहीं है ।।

 मेरी यह यथार्थ कहानी  आपको कैसी लगी comment box में लिख कर जरूर बताइयेगा ।



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