मेरी पत्नी मेरी प्रेरणा

मेरी पत्नी मेरी प्रेरणा

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"आखिर वो दिन आ ही गया, जिसका सपना शशांक ने बचपन से देखा था। पूरे सभागार को फूलों से सजाया गया था, अवसर था आई एम ए की पासिंग आउट परेड का।"

आर्मी चीफ पहुँच चुके थे। आज 420 कैडेट भारतीय सेना का हिस्सा बनने वाले थे, उनमें से एक शशांक भी था, सौम्य और मधुर व्यक्तिव का धनी। आर्मी चीफ ने सभी कैडेट्स को देश की बेहतर सुरक्षा, सम्मान की चुनौतियाँ स्वीकार करते हुए बेहतर अफसर बनने के निर्देश दिए। पासिंग आउट परेड में सभी के परिवार जनों को बुलाया गया था।

सभी कैडेटस को परेड के बाद पिपिंग सेरेमनी में उनके परिजन लैफ्टिनेंट रैंंक का तमगा लगा रहे थे। शशांक के पिता ने भी अपने बेटे के कंधे पर तमगा लगाया। तभी पता चला कि, शशांक स्वाँँर्ड आँफ आँनर का अवार्ड भी मिला है। तभी एक पत्रकार कहता है -" सर आप हम सभी के लिए मिसाल हैं, आप एक छोटे से गाँव से निकलकर, इतनी कम उम्र में एक सैनिक से लेफ्टिनेंट बनने तक के इस मुकाम तक पहुँचेंगे । कोई सोच भी नहीं सकता आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देंगे ?

शशांक बोलता हैं- "मेरी सफलता मेरे माता-पिता के आशीर्वाद, सभी गुरूजनों की शिक्षा की बदौलत हैं, पर आज मैं यहाँ तक पहुँच पाया हूँ तो अपनी सीमा की बदौलत। मैं अपना ये अवार्ड अपनी अर्धांगिनी, मेरी खूबसूरत पत्नी सीमा को समर्पित करता हूँ। सीमा अगर तुम मेरा साथ न देती तो मैं कभी भी अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाता। तुमने मेरे लिए अपने कैरियर तक को छोड़ दिया। और मेरी, परिवार की और बच्चों की जिम्मेदारियों को बखूबी सम्भाला।

अगर तुम न होती, तो पता नहीं मैं कहा होता, खुद की जरूरतों को मारकर तुमने मेरे माँ-पापा और बच्चों की जरूरतों को सर्वोपरि माना। मैं तो सैनिक बनकर ही खुश था और अपने परिवार को पाल रहा था। वो तुम ही थी, जिसने मुझसे कहा कि, शशांक तुम बहुत आगे तक जा सकते हो। अपनी काबिलियत को निखारो और जिंदगी में आगे बढ़ो, आज से घर परिवार की सब जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ दो, केवल अपने लक्ष्य पर ध्यान दो। तब से आज तक तुमनें बहू के साथ-साथ एक बेटे का भी फर्ज बखूबी निभाया है। मेरे माँ-पापा और हमारे अंश का ख्याल मुझसे बेहतर रखा। खुद बच्चों को ट्यूशन दिया पर मुझे नहीं पता चलने दिया की घर पर पैसों की जरूरत है। कोई परेशानी मुझ तक पहुँचने भी नहीं दी। इसलिए मैं गर्व से कहता हूँ, मेरी पत्नी, मेरी प्रेरणा है। तुम्हारे बिना मैं खुद की कल्पना भी नहीं कर सकता। वादा करो हमेशा यूूँ ही हर कदम पर मेरा साथ दोगी। और सीमा को अपने बाँहों में भर लेता है।

ये सब देखकर वहाँ मौजूद सभी लोगों की आँखें नम हो जाती हैं।

बात तो बिल्कुल सही हैं, वो एक पत्नी ही होती है जो हर कदम पर, हर सुख-दुख में अपने पति का साथ देती है और अपने प्यार और अपनत्व से परिवार को सींंचती हैं। बिना कोई शिकायत करे, अपने सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है। अपने लिए कुछ नहीं चाहती, पर पति और परिवार वालों की हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखती है।


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