मेरे कान्हा
मेरे कान्हा
कहे कोई मैं देवकी,
कोई कहे मैं यशोदा,
रूप ऐसा "मेरे कान्हा " का,
नयनो में समा लुँ मैं सदा,
आँखों में नटखटपन,
होंठों से पर प्यारी सी मुस्कान,
खुशियों में डुबेगा हर लम्हा,
अपने नन्हों कदमों से,
जब आएगें "मेरे कान्हा"
मधूर प्रेम की खुशबू
ऐसी फैली चारो ओर,
देख के मुखड़ा, अपने गोविन्द का,
हम गोपियाँ भी हो गई भाव- विभोर,
सुन के धुन मुरली की तेरी,
मन पावन हो जाए,
मोर-मुकुट धारी "मेरे कान्हा "
बन के तेरी राधा,
दिल मेरा भी इतराए,
कृष्ण -हरे, गोविन्द -हरे,
कह मीरा भी नहीं इतराती हैं,
रूप सलोना, ऐसा तेरा,
सबके मन को लुभाती हैं,
चल दूँ मैं संग तेरे,
तेरी नगरी, तेरे द्वारे,
नैया मेरी, "मेरे कान्हा",
अब तेरे हवाले, तेरे सहारे,
मुरली - मनोहर, नन्दलाल मेरे,
तेरे आने की खुशबू,
जग को महकाए,
अब तो धर, इस धरा पे ,पाँव तेरे,
के, इन्तजार हमारा भी खत्म हो जाए।