मेरा प्यार मेरा आत्म सम्मान

मेरा प्यार मेरा आत्म सम्मान

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यही वो पेड़ है आज गुलाबी फ़ूलों से लदा हुआ उन दिनों मौसम की मार से सूखा पड़ा था ठीक हमारे रिश्ते की तरह। इसी पेड़ के नीचे तुमने कितनी आसानी से अपने दिल की बात कह दी थी

"अब हम साथ नहीं रह सकते, पहले जैसी बात नहीं रही"।

हाँ पहले जैसी बात नहीं थी क्यूँकि तुम्हें आर्टिस्ट बनना था और मैं दिन रात मेहनत कर रही थी गृहस्थी चलाने के लिए। शायद प्यार दिखाने का वो तरीका तुम्हें पसंद ना आया पर आज इन पेड़ों पर आई बहार देख कर खुश हूं, मेरी जिन्दगी में अब बहार है मेरे स्वाभिमान की, आत्मसम्मान की और खुशियों की। 


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