Nitu Mathur

Inspirational

4  

Nitu Mathur

Inspirational

मां .. एक दबा हुआ सपना

मां .. एक दबा हुआ सपना

3 mins
299


    


अंजू एक संशय और तलाश भरी निगाहों से अपने टेस्ट किट की दूसरी लाईन को देखने का बेसबी से इंतजार कर रही थी। उस एक मिनट के इंतजार में उसने कई सारी प्रार्थनाएं कर ली थीं , उसे लगा की उसकी सारी प्रार्थनाओं का अब उसे अच्छा फल मिलेगा। अंततः , उसने बड़ी सी आंखे खोली जिसमे से आंसू निकल रहे थे, चूंकि उसकी आंखे गीली नम थी, फिर भी वह अपने प्यारे से सपने को सच होता देख पा रही थी, मातृत्व का आर्शीवाद। अपने अंदर पलने वाले उस नए जीवन की भरपूर खुशी में वो अपने रिश्तेदारों और शुभ चिंतकों के चुभने वाले कटाक्ष , जो वो हमेशा हर बार सुनती थी, का दर्द अब भूल गई थी।


 अंजू हर एक नई दुल्हन की तरह एक नए घर और परिवार बहुत से सपने संजोए हुए आई थी। शादी के बाद उसने अपने घर, परिवार, दोस्त और शहर तक छोड़ कर एक नए शहर में एक एक ईंट जमा करके अपना घर बनाया था। उसके पति का हमेशा ही नई जगह तबादला होता रहता था, इसलिए उसका एक जगह स्थिर रहना मुश्किल था। शादी के पहला साल उसे खुशखबरी की ओर मुड़ता दिखाई दिया, लेकिन भाग्य को कुछ और ही स्वीकार था, उसका गर्भपात हो गया था। शारीरिक कष्ट एक तरफ हो गया था, लेकिन भावनात्मक और मानसिक आघात से उबर पाना कठिन था । इलाज के बावजूद वो दुबारा मां बनने में असमर्थ थी। सामाजिक दबाव उसके कष्ट को और भी बढ़ा रहे थे, और फिर लगातार हो रहे मेडिकल टेस्ट जैसे आशा निराशा के बीच युद्ध से दिखाई दे रहे थे।


सोते जागते एक ही सवाल " खुश खबरी कब सुनाओगी ?"

एक बुरे सपने की तरह उसे हमेशा सुनाई देता था। अनेक चिकित्सा प्रणालियों से, इंजेक्शन आदिसे गुजरते हुए एक क्रतिंक की तरह उसके साथ बर्ताव हो रहा था, लेकिन इन सब असफल प्रक्रियाओं के कारण एक अत्यंत भावपूर्ण तूफ़ान उसी पर भारी सा पड़ गया । वो मुश्किल से ही अब मुस्करा पाती थी, उसने स्वयं को एकांत के हवाले कर दिया था। अपने ऊपर हुए कई ईलाज एवम प्रक्रियाओं के बोझ से वो खुद को महत्वहीन समझने लगी थी। वो अंदर से टूट सी गई थी, लेकिन उसके पति" राज" के अलावा कोई भी इसके दुष्परिणामों से अवगत नही था। अंजू को एक ऐसे शक्स की तलाश थी जो उसे दिलासा दे, उसका हाथ पकड़े और उसे अच्छे से समझे।


अपने टेस्ट किट को हाथ में पकड़े हुए, वो सभी पुरानी यादों से जो पहले भी कितने ही टेस्ट के दौरान की थी, याद करके उदास सी हो गई। वो हर दिन अपने मां बनने की प्रार्थना करती रही, और अंततः 7 साल बाद , भाग्य से उसके चेहरे पर मुस्कान थी। भगवान की कृपा से अब उसके अंदर एक नया जीव पल रहा था, और वो मन में जान गई थी कि ये बच्चा उसे एक नया जीवन, नईं पहचान देगा।


अंजू ने ख़ुद को आईने में देखा, अपने आंसू पोंछे और अब कभी खुद को नीचा नहीं समझने का वादा किया। उसे यू अहसास हुआ की पिछले 7 सालों में उसने खुद से कभी प्यार नहीं किया ना ही महत्व समझा , और अब ये सब उसे बदलना होगा। कोई और नहीं बल्कि वो ख़ुद ही अपनी खुशियों की जिम्मेदार है। वो एक नए जीवन की रचना करने में सक्षम है, और उसे खुश रहने का पूर्णत अधिकार है। उसे बिखरे टुकड़ों को फिर से जोड़ने की मिल गई थी, और खुद की नई पहचान बनाने की भी।


मां बनना सबसे बडा सम्मान है, लेकिन ये आपको परिभाषित नहीं करता , और ना ही औरत की काबिलियत को मापने का कोई मापदंड है। खुद को एकांत में दुखी होना अस्वीकार कीजिए। आपको खुद ही अपने परिवर्तन के लिए आगे आना पड़ेगा। आप स्वयं ही अपने प्यार, जोश, शक्ति और परिवर्तन का जीता जागता उदाहरण हैं। खुद से मुहब्बत कीजिए और याद रखिए की आप सभी अपूर्णताओं के बावजूद पूर्णतः सर्वोतम हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational