माँ -भाग २
माँ -भाग २
माँ -भाग २
कुछ दिन बाद वो बेंगलुरु में अपने घर वापस आ गए। एक दिन की बात है कि विशु मोहल्ले में किसी बच्चे से लड़ कर घर आया। उसके पीछे पीछे उस बच्चे की माँ भी शिकायत ले कर उनके घर पहुँच गयी। उस बच्चे के मुँह से खून बह रहा था। उसकी माँ ने बताया की विशु ने उसे घूँसा मारा है। मधु ने जब विशु की और देखा तो उसने नजरें झुका लीं। जब मधु को ये यकीन हो गया कि गलती विशु की ही है तो उसने आव देखा न ताव बस विशु के ऊपर धप्पड़ की झड़ी लगा दी। विशु जोर जोर से रोने लगा पर मधु उसे चुप न कराकर वहां से अपने कमरे में चली गयी। अंकित ने मधु का ये रौद्र रूप पहली बार देखा था।
कुछ देर बाद जब अंकित मधु के कमरे में गया तो वो फूट फूट कर रो रही थी। उसे अपने बेटे को मारने का बहुत पछतावा हो रहा था पर वो उसे कुछ सीख भी देना चाहती थी। शाम को मधु ने कहा कि मेरा खाने का मन नहीं है पर जब उसे पता चला की विशु भी खाना नहीं खा रहा तो एक प्लेट में विशु के लिए खाना डालकर उसके कमरे में ले गयी। थोड़ी देर बार जब अंकित उस कमरे में पहुंचा तो माँ बेटा एक दुसरे के गले लग कर रो रहे थे। अंकित के देखते देखते ही वो एक दुसरे को अपने हाथों से खाना भी खिलाने लगे। अंकित की आँखें भी भर आयीं। उसने माँ के रौद्र रूप को ममतामयी रूप में कुछ ही समय में बदलते देखा था।
कुछ दिनों बाद अंकित के घर के पास एक पार्क में एक कुतिया ने पांच बच्चे दिए। कॉलोनी के बच्चे जब पार्क में जाते तो उन बच्चों को परेशान करते थे। कुतिया बच्चों की हिफाजत के लिए जो भी उनके पास से गुजरता उसपर भोंकने लगती। दो चार दिन में उसने एक दो आदमिओं को काट भी लिया। कॉलोनी के लोगों ने इकठ्ठे होकर आपस में ये निर्णय लिया कि म्युनिसिपल कमेटी वालों को बुलाकर कुतिया और उसके बच्चे को वहां से उठवा दें। अंकित को ये अच्छा तो नहीं लग रहा था पर वो कुछ बोल न सका।
थोड़ी देर बार जब वो घर जा रहा था तो उसने देखा वो कुतिया उस के दरवाजे पर ही बैठी है। वो काफी भूखी लग रही थी। अंकित थोड़ा डर भी रहा था कि कहीं ये उसे काट न ले इसलिए उससे बचता हुआ घर में गया। अंदर जाकर वो एक रोटी ले आया और कुतिया को डाल दी। कुतिया ने जल्दी से उसे खा लिया और अंकित के पीछे पीछे घर के अंदर आ गयी। शायद उसकी भूख अभी मिटी नहीं थी। अंकित ने दो और रोटियां और एक मिटटी के बर्तन में पानी लेकर अपने गेराज में रख दिए। कुटिया उन्हें खाकर वहां से चली गयी।
शाम को जब अंकित गेराज में गया तो उसने देखा की कुतिया अपने बच्चों के साथ वहां बैठी है और अंकित के आने पर पूंछ हिलाने लगी। शायद उसे लग रहा था कि अंकित के गेराज में उसके बच्चे सुरक्षित हैं। अंकित की समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। वो घर से एक दूध का गिलास और दो रोटी के टुकड़े ले आया और उसे डाल दिए। कुतिया ने जल्दी से उसे खाया और वहीँ लेट गयी। उसके पांचो बच्चे उसका दूध पीने लगे। अंकित ने गौर से देखा तो लगा उसकी आँख में आंसू हैं | वो बड़े सकून से अपने बच्चों को दूध पिला रही थी। अंकित मन ही मन मुस्कुरा रहा था। उसने रौद्र रूप को ममता में बदलते हुए पहले भी देखा।