लव सियाप्पा
लव सियाप्पा
अहमदाबाद
एक लड़की मुंह पर चादर ओढ़े सोयी है। अलार्म तीन बार बज के अपने आप बंद हो गया। फिर भी इनकी निंद में कोई फर्क नहीं पड़ा है। ये हे हमारी मीठी नटखट, प्यारी, नाजुक सी। 12 th की स्टुडेंट। मीठी की फैमिली में उसके माँ- पापा और उसकी जान उसकी बड़ी बहन अवनी। दो प्यारी सी दोस्त नीशा और अंकिता। दोनों ही हमारी मीठी के दिल का हाल जानती है।
उठ जा मीठी कितना सोएगी ...उठ जा बेटा स्कूल बस भी चली जायेगी और अभय भी चला जायेगा।
अभय का नाम सुनते ही फटाक से वह बेड से उठ खड़ी हुई। अब माँ को कौन समझाये कि स्कूल बस छूटना तो एक बहाना है, उनके होनेवाले दामाद के संग जो जाना है।
वह तुरन्त भागकर अपने सामने वाले फ्लैट में गई और नीशा जो उसकी फ्रेंड थी और उसके साथ ही उसकी क्लास में पढ़ती थी। और तो और उसके हीरो की बहन भी थी। उसे आवाज़ लगाकर कहा मेरे लिए रुकना, मैं आज स्कूल चल रही हूँ " और बिना जवाब सुनें घर तैयार होने भाग गई।
तैयार होकर वह घर से बहार निकली तो पता चला अभय और नीशा नीचे जा चुके थे। वह फटाफट नीचे उतरी तो दोनों उसे गुस्से से घूर रहे थे। अभय मीठी को देखते ही फट पड़ा " ये क्या तेरा हर रोज का नाटक है। हर दूसरे दिन तेरी बस चली जाती है। तेरे चक्कर में ये भी बस छोड़ देती है और मुझे तुम दोनों को अपने साथ लेकर जाना पड़ता है।
मीठी अब बस चली जाती है तो मैं क्या करुं और तुझे किसे लेकर जाना था जो इतना गुस्सा कर रहा है। चल जल्दी चल वरना तेरे भाषण में स्कूल में लेट हो जायेगा।
अभय को मीठी पर इतना गुस्सा आ रहा था फिर भी वह चुप होकर बाइक चलाने लगा।
ये हे मीठी का क्रश उसका प्यार अभय सेकेंड इयर का स्टुडेंट। 6 फिट उंचा, डेसिंग पर्सनॉलिटी। पढ़ाई के साथ साथ हर स्पोर्ट्स में अव्वल। लेकिन मीठी को जो अभय में सबसे ज्यादा पसंद है वो है उसकी अमिताभ बच्चन जैसी गहरी आवाज़।
अभय की फैमिली में उसकी दादी, माँ- पापा, बड़ा भाई समर और छोटी बहन नीशा थे।
अभय और मीठी के पिताजी भी बचपन के दोस्त है और एक ही बिल्डिंग में एक ही फ्लोर पर आमने सामने रहते है। बिजनेस में भी दोनों पार्टनर है।
कहते है ना की हर एक फ्रेंड कमीना होता है लेकिन जीने के लिये बहुत जरूरी होता है। ऐसे ही अभय के तीन दोस्त थे। अलय, समीर और गौरव। ये गौरव का और हमारी मीठी का 36 का आंकड़ा है। लेकिन अलय से मीठी की बड़ी पटती है।
पत्ता पत्ता, बूटा बूटा, हाल हमारा जाने है,
जाने न जाने गुल ही ना जाने,
बाग तो सारा जाने है।
यहीं हाल हमारी प्यारी सी मीठी का था। अभय अभी मीठी के अपनी तरफ के प्यार से अनजान था। इसी लिये नयी नयी लड़कियों से इनकी फ्रेंडशिप होती रहती थी और मीठी के दिमाग का पारा हाई होता रहता था।
मीठी और अभय का घर बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर था। इसलिये ज्यादातर तीनों टेरेस पर ही गप्पे लड़ाते मिल जाते थे। शाम को मीठी और नीशा टेरेस पर बैठे बातें कर रहे थे।
नीशा- यार भाई बहुत गुस्सा था आज सुबह। तू यार ऐसा मत कर मुझे डांट पड़ती है उनकी।
मीठी- हां... तो मुझे कौनसा गले लगाता है वह, मुझे भी तो डांटता ही है। अभी आज मैं उसे दिख गयी ना तो बरसात होनी पक्की है मुझ पे। वैसे भी कितना एरोगेंट और गुस्सैल है तेरा भाई। फिर ( मासूम सा फेस बनाकर ) लेकिन में क्या करुं जैसे ही उसकी आजूबाजू मधुमक्खियों को मंडराते देखती हूं ना तो मेरा दिमाग घूम जाता है।
नीशा- गुस्सैल और एरोगेंट है तो क्यूं प्यार करती है उससे छोड़ दे उसका पीछा। बोल तो सकती नहीं है कुछ होशियारी मारती है।
दोनों बात ही कर रही थी की अभय वहाँ उनके पास आया।
क्रमश

