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Umesh Nager

Tragedy Crime Inspirational

4  

Umesh Nager

Tragedy Crime Inspirational

लॉकडाउन

लॉकडाउन

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प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की..…..सम्पूर्ण भारत में 14 दिन का लॉकडाउन....।

सब और अफ़रा तफरी मच गई। लोग जल्दी जल्दी अपने अपने घरों की और पलायन करने लगे।

मीडिया वाले अलग अलग जगहों से इस पलायन वाले दृश्य को दिखा रहे थे। उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था मानो देश के कोई युद्ध छिड़ गया हो और लोग देश को छोड़कर अन्य जगह शरण के लिए जा रहे हो। ये दृश्य 1947 से भी भयंकर लग रहा था।

सरकार ने रातो रात सब कुछ बन्द कर दिया था। 

लॉकडाउन में अनेक समाजसेवियों द्वारा लोगो को आवश्यक चीजे मुहैया कराई जा रही थी।

विभिन्न समाजसेवी संस्थाओ द्वारा लोगो की मदद की जा रही थी।

गोवर्धन, एक 15 साल का दुबला पतला किशोर, लॉकडाउन लगने के बाद से ही बड़ा दुःखी था। उसके परिवार की बात करे तो उसके अलावा उसके परिवार में और कोई नही था। लॉकडाउन लगने के कारण उसके लिए एक वक्त का खाना मिलना भी असम्भव सा हो गया था। 

चूंकि वो शहर से दूर स्थित एक पुरानी झुग्गी बस्ती में रहता था इसलिए लोगो का ध्यान उस बस्ती की तरफ कम आकर्षित होता था। लॉकडाउन म कहने कोें तो गरीबो को मदद मिल रही थी लेकिन व्यवाहारिक रूप से इसका लाभ उनको कम मिल रहा था। जो लोग शहर में रह रहे थे सिर्फ उन्हें ही इसका फायदा मिल रहा था।

उसके किसी परिचित ने जब उसे बताया कि शहर में खाने पीने की व्यवस्था की जा रही हैं, तो वो बिना किसी को बताये तुरन्त शहर की तरफ निकल पड़ा। उसके पास कोई साधन भी नही था इसलिए वह पैदल ही निकल गया था।

चलते चलते वह बहुत ही थक गया था। वह भूख और प्यास से व्याकुल हो रहा था। कुछ देर आराम करने के बाद वह उठा और पुनः अपने रास्ते चल दिया।

शहर से पहले कुछ ही दूरी पर एक चेकपोस्ट बना हुआ था,जहाँ पुलिसकर्मी तैनात थे। पुलिसकर्मियों को देखकर वो अचानक से घबरा गया। वो इतना सहम गया था कि आगे नही बढ़ पा रहा था। वो देखने लगा कि पुलिसकर्मी लोगो को शहर जाने से रोक रहे थे। हालांकि कुछ लोगो को पूछताछ के बाद जाने भी दे रहे थे।

कुछ समय पश्चात उसकी हिम्मत बढ़ी और वह चेकपोस्ट की तरफ आगे बढ़ा।

चेकपोस्ट के नजदीक जाते ही पुलिसकर्मियों ने उसे रोका और उससे पूछताछ करने लगे।

एक पुलिसकर्मी ने पूछा-" तेरा मास्क कहा पर है"?

वह पुलिसकर्मी की तरफ इस तरह से देखने लगा मानो उसने इससे पहले मास्क का नाम ही नही सुना हो। हालांकि हकीकत में भी कुछ ऐसा ही था।

उसने डरते हुए कहा-" जी मास्क क्या होता है"?

पुलिसकर्मी ने कुछ गुस्से से कहा -"वही जो मुह पर लगाते हैं"।

वह इस मास्क नाम के शब्द से अभी तक अनभिज्ञ था।

वह इतना डर गया था कि उसके चेहरे से आँशु बारिश की बूंदों की तरह छल छल टपकने लगे।

एक अन्य पुलिसकर्मी ने उससे पूछा-" कहा से आया है तू"?

उसने रोते हुए ही हकलाते हुए स्वर में कहा" बी.. बी.. बिचपुरी से।

पुलिसकर्मी ने उससे फिर से सवाल किया- "शहर क्या करने जा रहा है"?

उसने डरते हुए वो सारी बाते पुलिसकर्मी से बताई जो उसके परिचित ने उसे बताई थी।

उसकी बात सुनकर पुलिसकर्मी ने उसे वापस अपने घर जाने की हिदायत दी तथा उसे शहर नही जाने दिया।

वह बेचारा रोटा हुआ अपने घर की तरफ चलने लगा। जब मंजिल बिल्कुल नज़दीक हो और फिर भी हम उसे ना पा सके तो बड़ा दुःख होता है। 

पैदल चलने के कारण उसे बहुत ही तेज़ भुख लगी हुई थी। वह अपने घर आया और आके सो गया। वह कुछ इस कदर सोया की बेचारा दुबारा कभी उठ ना सका। लगातार भूखा रहने की वजह से वह स्वर्ग सिधार गया।

जैसे तैसे बात मीडिया तक पहुँची और मीडिया वाले उस बस्ती में आये। वे लगातार उस बस्ती के हालात लोगो को दिखा रहे थे।

दूसरे दिन समाचार पत्र के एक कोने में प्रकाशित खबर कुछ इस प्रकार थी..... बिचपुरी बस्ती में 15 साल के किशोर की अज्ञात कारणों से मौत...।

लोगों में भय उत्पन्न हो गया था। बस्ती में लोगो की आवाजाही को रोक दिया गया। बस्ती के लोगो का कोरोना टेस्ट भी किया। पूरी बस्ती को सेनिटाइज किया गया। हालांकि वहां सब कुशल मंगल था। 

मीडिया वाले बार बार उस खबर को दिखाते रहे। परन्तु सबसे बड़ी बात यह थी कि उनमे से किसी ने भी लोगो की आर्थिक स्थिति का जायजा नही लिया। मीडिया की खबरों के परिणाम स्वरूप कुछ दिन बाद वहां कुछ नौजवान आये । उन्होंने बस्ती के लोगों को खाद्य सामग्री जैसे आटा, तेल,सब्जियां आदि प्रदान की। वो एक-एक लोगो को खाद्य सामग्री दे रहे थे और साथ मे उस दृश्य को अपने मोबाइल में कैद कर रहे थे।

जाते वक्त एक नौजवान ने एक अन्य नौजवान की तरफ इशारा करते हुए कहा "हमारे भाईसाहब अब की बार चुनाव लड़ रहे हैं। अबकी बार आपका वोट सिर्फ इनको जाना चाहिए। सब लोगो ने हामी भर ली और वे नौजवान वहा से चले गये।

कुछ समय पश्चात चुनाव के समय उन्होंने उन तस्वीरों के साथ सोशल मीडिया पर लिखा...-लॉक डाउन के समय मैंने लोगों की निःस्वार्थ भाव से सेवा की......।

सच ही कहा भारत में मदद करके वोट मांगना स्वार्थ थोड़ी ना है......।


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