लाजवाब तरकीब
लाजवाब तरकीब
सीनियर सिटीजन के कटघरे में रवीना पहुँच चुकी थी। आंखों में चश्मा शोभा बढ़ा ही रहा था, पर कुछ दिनों से सब सखियों के बीच बैठने पर भी उसे ठीक से सुनाई नही पड़ता था, बार बार पूछा करती थी। घर मे श्रीमान जी भी कुछ कहते तो एक बार मे बात पल्ले नही पड़ती। पर अचानक कई बातें जो वह मुझे नही बताना चाहते, बेटे बहू से फ़ोन पर धीरे से बोलते वह सुनाई दे जाती। और उस पर दोनो की बहस हो जाती।
ऐसे ही दिन बीत रहे थे, कि बेटी ने कहा, "मम्मी एक ईएनटी डॉक्टर का अपॉइंटमेंट लिया है, आज आप चली जाना।"
समय से रवीना क्लिनिक पहुँच चुकी थी।
"हां तो बताइये मैम, क्या दिक्कत है?"
"डॉक्टर साहब, यूँ लगता है, कुछ कम सुनाई देने लगा है, चेक करिये, कान की मशीन की जरूरत तो नही है।"
"हां, जरूर, आइये, चेक करता हूँ।"
"एक कान में पचास प्रतिशत कमी आयी है, दूसरा ठीक है, पर अभी मशीन की जरूरत नही है, इतनी देर से आप मेरे सब प्रश्नों का सही उत्तर दे रही हैं।"
"फिर मेरे श्रीमान जी क्यों कहते हैं, सुनती नही हो, जाओ मशीन लगवाओ।"
"सुनिये मैम, अगर थोड़ा कम सुनती भी हैं तो ये तो बहुत अच्छी तरकीब बन जाएगी आपके लिए, कम सुनेंगी तो बहस कम होगी, अब इस उम्र में चौबीस घंटे एक साथ रहना ही है। कभी सुनिये, कभी अनसुना करिये, आराम से रहेंगी। मशीन न लगवाइए, जब बहुत जरूरत होगी, मैं लगा दूंगा।"और शानदार तरकीब पाकर रवीना घर की ओर चली।