Bhagwati Saxena Gaur

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दीवाली

दीवाली

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रवीना दिल्ली में कनॉट प्लेस में एक बड़े आफिस में असिस्टेंट मैनेजर की पोस्ट में कार्यरत थी। 1980 का समय था, घर मे मम्मी और भाई रहते थे। दीवाली की तैयार एक महीने से चल रही थी, दोनों भाई बहन मिलकर घर की साज सज्जा की बहुत से सामान नये लाये थे। सोफे, टेलीविज़न सब नया आया था, जबकि मम्मी हमेशा रोकते रहती थी, तुमलोग कुछ सेविंग नहीं करते, दिखावे में बहुत खर्च करते हो। पर भाई बहन का घर के प्रति बहुत लगाव था। 


दीवाली में मम्मी ने दो दिन पहले से बहुत सारी डिशेस बना डाली। गुजिया, पापड़ी, मीठे खुरमे, दही बड़े सब अकेले बनाये और मोहल्ले के लोगो को भी दीवाली के दूसरे दिन आने को बोल दिया। अब दो दिन पहले समस्या उठी, सब स्टील के ही बर्तन थे, और रवीना परेशान हो उठी, मुझे तो ला ओपला का सेट खरीदना है, कितना सुंदर लगता है।

भाई के सामने प्रस्ताव रखा। पर उसने भी कहा, अब तो कोई बजट नहीं है।


एक दिन पहले जब आफिस से घर आयी तो उसके हाथ में इतना समान देखकर मम्मी और भाई चकित रह गए। सबके गले लगी और बोली, "जानती हो मम्मी, ईश्वर मेरी हर इच्छा पूरी करता है, आज आफिस से दीवाली गिफ्ट में पूरा सेट और मिठाई का डिब्बा मिला।"


"अरे वाह, बेटी, बहुत खुशी की बात है। मिठाई तो खा लो, ये सेट संभाल कर रख दो, एक दो वर्ष में शादी तय होगी ही, तब तुम ले जाना।"


"नहीं बिल्कुल नहीं, अब दीवाली की इसी में पार्टी होगी, हूरे... "

वह यादगार दीवाली, वह रवीना अपने उम्र के छठवें दशक में भी नहीं भूल पायी।



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