STORYMIRROR

Archana kochar Sugandha

Inspirational

4  

Archana kochar Sugandha

Inspirational

क्यों बेकसूरों को संहारा है

क्यों बेकसूरों को संहारा है

1 min
278

एक जननी की संतान शक्ति प्रदर्शन के लिए खड़े सीना तान

मचा रखा हैं घमासान

कृत्य पर शर्मिंदा हुआ नीला आसमान।


धरती माँ का कलेजा छलनी हो जाता है

जब कोई युद्ध का बिगुल बजाता है

मिल बाँट के दोनों खा नहीं सकें

जो मिला वो भी पचा नहीं सकें।


गरजती गोलियों की बौछार 

शोला बरसाते मिसाइल-बम धारदार

वाणी को बनाया शमशीर

फाड़े सीना खड़े दोनों वीर।


शक्ति प्रदर्शन के खेल में

सर्वशक्तिमान का ताज

ना हमारा है, ना तुम्हारा है

केवल खुदा का चमन बहारा हैं।


यह तख्तोताज ना साथ चला हैं,

ना साथ चलेगा क्यों बेकसूरों को

इसके नाम संहारा हैं...? 


खून की इबादतों से तख्तों ताज सजाने वालों

ना जाने कितनी जिंदगियों को उजाड़ा हैं। 

सूनी हुई बहनों की राखियाँ बिन भाई

बलैया लेने को तरसती बेबस माई


बेबस, मायूस, कातर निगाहों से ताँकती बेवा की वफाई

बाबा ने मन्नतों से जीवन जोत को संवारा था।

शक्ति प्रदर्शन के इस खेल में यह क्षण भंगुर

बल-छल साथ चलने वाला ना हमारा है,


ना तुम्हारा है केवल खुदा का चमन बहारा हैं।

क्यों बेकसूरों को इसके नाम संहारा हैं-----?                             


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational