क्या हुआ तेरा वादा। ..
क्या हुआ तेरा वादा। ..
"मिहिर क्या हुआ में कबसे बड़बड़ा रहा हूँ और तू सिर्फ सिर हिला रहा हे आज क्या मौन व्रत रखा है "
"नहीं यार मूड नहीं हे यार"
"पर क्यों क्या हुआ सबकुछ ठीक है ना तुम्हारे और मायरा के बीच "
"अरे यार मुझे उससे बात किये हफ्ता बीत गया यार वो फ़ोन नहीं उठाती है ना ही मेसज का रिप्लाई करती है "
"क्या ?"
"हाँ यार समझ नहीं आता "
"अरे तो उसके घर जा ना "
"नहीं यार हमारे रिश्ते के बारे में उसके घर पर पता नहीं और मायरा कहती थी के उसके पापा बहुत स्ट्रिक्ट है"
'ओह्ह्ह पर चुप रह ने से थोड़ी ही कुछ पता चले का शायद वो बीमार हो "
"हाँ यार यही टेंशन हे यार"
"अच्छा चलो हम चलते उनके घर"
"क्या पर "
"तो तू क्या टेंशन लेकर बैठेगा "
"वहाँ जाकर ही पता चलेगा क्या माजरा है वो समझे "
"फिर भी यार डर लगता है "
"क्या तुम भी प्यार किया तो डरना क्या "
"कभी ना कभी तो तुम्हें उनके घर मायरा का हाथ मांगने जाना ही है तो वो दिन आज समझो "
"फिर भी यार मुझे लगता हे जल बाजी में कुछ उल्टा ना हो जाये "
"कुछ उल्टा नहीं होगा चल में हूँ ना दोस्त फिर किस काम के "
"ओके बाबा चलो "
"तुम्हें पता मालूम है ना "
"अरे पता है कई बार मायरा को मैंने ड्रॉप किया है "
"तब डर नहीं लगा तुझे और आज डर रहे हों "
"अच्छा बाबा चलो "
"यही है घर विपुल "
"अच्छा "
मिहिर ने बेल बजायी मायरा की माँ ने दरवाज़ा खोला
"नमस्ते आंटी "
"नमस्ते कौन हो तुम लोग "
"आंटी हम मायरा के दोस्त है कुछ दिनों से वो अपना फ़ोन नहीं रिसीव कर रही है इसलिए मिलने आ गए"
"हाँ आंटी "
"पर बेटा वो तो बाहर गयी है "
"ओ कब तब आएगी ?"
"बेटा बोल नहीं सकती शॉपिंग करने गयी है अगले महीने उसकी शादी है ना आपको बताया नहीं उसने "
"क्या शादी ?"
"हाँ बेटा शादी"
"क्या हुआ बेटा "?
"नहीं कुछ नहीं आंटी उसने नहीं बताया इसलिए झटका लगा "
"मैं भी आप लोगो को अन्दर बुलाना भूल गयी "
"नहीं आंटी हम निकलते हैं"
"अच्छा तुम लोगो के नाम "
"हाँ आंटी में विपुल और ये मिहिर "
"अच्छा बेटा में मायरा को बोल दूँगी "
(ये सब सुनकर मिहिर तो पूरा हिल गया था उसकी पैरो की ज़मीन खिसक गयी थी आँखो में आँसू जम गए थे जैसे मानो ये अब जोर से बरसेगे )
"विपुल मायरा की शादी और मेरा प्यार "
"रिलैक्स मिहिर ये सब कुछ समझ नहीं आ रहा है शायद घरवालों की ख़ुशी के लिए मायरा ने ये सबकुछ किया हो का मुझे मायरा का नंबर दो "
"पर उसने एक बार मुझसे इस बारे में बात क्यों नहीं की "
"वो में भी नहीं बोल सकता उसने ऐसा क्यों किया तुम मुझे उसका नंबर दो दूध दूध और पानी का पानी हो जाएगा "
"पर अब क्या फायदा मायरा मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हे "
"देखो मिहिर टेंशन मत लो मुझे पता है तुम अन्दर से टूट गए हो "
"मैं बात करता हूँ उसे "
"अच्छा लो फ़ोन स्पीकर पर डालना "
"अच्छा रिंग जा रही हे रिसीव किया "
"हेलो
"
"हाँ "
"हेलो मायरा "
"हाँ कौन "
"मैं विपुल बोल रहा हूँ "
"विपुल "
"हाँ मिहिर का दोस्त"
"मायरा तुमने मिहिर के साथ ऐसा क्यों किया "
"क्या किया
"तुम्हारी शादी तुम तो मिहिर से प्यार करती होना ना, वो बिचारा तुम्हें फ़ोन करके थक गया और तुम उसका फ़ोन उठा रही हो और मैं उसकी तड़प नहीं देख सकता इसलिए मैंने तुम्हारा नंबर उससे लिया, क्या हुआ जो तुमने इतना बड़ा कदम उठाया बात क्या है ? क्या मिहिर से कुछ भूल हो गयी बोलो।"
"देखो विपुल कुछ भूल नहीं हुई उससे पर पहले मेरे घर में हमारे बारे में पता नहीं था और एक रिश्ता आया वो भी अच्छा खासा जिसे मैं ना नहीं कर सकी जो मिहिर के पास नहीं है वो उसके पास है, वेल सेटल हे NRI है स्वभाव से भी अच्छा है, जो मिहिर अगले दस सालों में कमायेगा वो उसके पास आज है, तो मैं उसे ना कैसे करूँ, आफ्टरऑल मैं मिहिर के साथ कितने दिन स्ट्रगल करती, उसकी जॉब भी कुछ खास नहीं है, मेरा फ्यूचर भी है न मेरे कुछ सपने भी हैं और ये मैं मिहिर के साथ नहीं पूरा सकती और मेरे नसीब ऐसा ही लिखा है तो मैं भी मजबूर हूँ।"
"पर तुम प्यार करती हो ना उसे"
"हाँ पर सारी ज़िन्दगी प्यार खा कर तो नहीं जी सकते, मेरी ज़िंदगी स्ट्रगल से नहीं गुजरना चाहती हूँ "
"पर मिहिर के बारे में एक बार भी सोचा तुमने उसे तुम ने क्यों नहीं बताया "
"मालूम है वो टूट जायेगा पर वो समझ भी लेगा और मैं उसे कल बताने वाली हूँ "
"समझ लेगा ये तुम इतने आसानी से कह दिया पर तुमने सोचा है उस पर क्या बीतेगी "
"देखो ज़िंदगी में कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, माफ़ करना पर सिर्फ प्यार है इसलिए मैं अपनी ज़िन्दगी दाँव पर नहीं लगा सकती अच्छा हुआ तुमने फ़ोन किया समझाओ मिहिर को की उसे भी कोई और मिल जाएगी वो मेरे नसीब नहीं था तो। "
"इतना आसान सा लगता है तुम्हें ये "
"देखो विपुल मुझे जो कहना था वो मैंने कह दिया अब तुम मुझे फ़ोन मत करो "
"अच्छा नहीं करुँगा पर तुमसे भी गुज़ारिश है मिहिर को फ़ोन मत करो मैं उसे बता दूँगा "
(विपुल ने फ़ोन काट दिया उसने मिहिर की और देखा तो वो हतबल हो चुका था )
"मिहिर "
"विपुल वो दिन आज भी मुझे याद है जिस दिन उसने मुझसे वादा किया था कैसी भी सिचुएशन हो वो मेरा साथ कभी नहीं छोड़ेगी, तो आज क्या हुआ तेरा वादा मायरा "
"यार जाने दे नहीं थी वो तेरे नसीब में भूल जा "
"भूल जाऊँ विपुल "
"है भूल जा "
"इतना आसान होता है "
"आसान नहीं है पर तुम्हें हिम्मत से आसान करना पड़ेगा "
"पर कुछ समझ नहीं आ रहा है विपुल "
"देखो मिहिर अगर वो तुम्हें भूल कर अपनी ज़िंदगी की नयी शुरुआत कर सकती है तो तुम क्यों पीस रहे हो, भूल जा तेरी ज़िन्दगी उसे भी बढ़िया होगी देख लेना, चल घर चल वहाँ तुझ पे जी जान से प्यार करने वाली तेरी माँ राह देख रही है।"