कोरोना योद्धा
कोरोना योद्धा


यह कहानी है राजीव और उसकी फैमिली की। राजीव अपने बेटे युग और बीवी भावना के साथ मुंबई के बांद्रा में रहते हैं। युग अभी सिर्फ 4 साल का है और राजीव एक सरकारी डॉक्टर है। तो वह लोग प्लान कर रहे थे कुछ दिनों से कि वह कुल्लू मनाली जाएंगे घूमने के लिए। लेकिन राजीव को छुट्टी नहीं मिल रहा था इसलिए वह नहीं जा पा रहे थे। लेकिन बहुत दिनों के बाद राजीव ने छुट्टी लिया वह भी 1 हफ्ते का एक हफ्ते में जितना घूम सके वह घूम के आने वाले थे। 14 मार्च को उनके फ्लाइट थी मनाली के लिए। लेकिन दूसरी ओर से कोरोना वायरस का दबदबा शुरू होने लग गया था इंडिया में। जाने से पहले राजीव को 13 तारीख को एक फोन आता है कि हॉस्पिटल में आइए इमरजेंसी है। तो राजीव जब हॉस्पिटल में गया था तब एक कोविड19 पॉजिटिव पाया गया। फिर वह अपने काम में रुक गया क्योंकि अभी तक उनको पी पी ई नहीं मिला था इसलिए राजीव दस्ताने और मास्क पहन के ट्रीटमेंट करने लगा था। शाम होते-होते और 4 पॉजिटिव हो गए थे कोविड-19 पॉजिटिव की। फिर राजीव को न्यूज़ मिला कि उनकी छुट्टी रद्द हो गई है। और वहां से पॉजिटिव पेशेंट सिर्फ राजीव के हॉस्पिटल में ही नहीं पूरे इंडिया में बढ़ना शुरू हो गया था। राजीव का घर हॉस्पिटल के पास ही में था तो वह रात को थोड़ा टाइम लेकर घर पर जाकर बोलता है कि हम नहीं जा सकते मनाली के लिए छुट्टी कैंसिल हो गया।भावना बोलती है क्यों - तो राजीव बोलता है की कोरोना पॉजिटिव पेशेंट धीरे-धीरे पढ़ रहे हैं ट्रीटमेंट के लिए जादा डॉक्टर भी चाहिए। राजीव ने और भी कहा भावना को कि -देखो हम मनाली कभी भी जा सकते हैं लेकिन पेशेंट की जान दोबारा लेकर नहीं आ सकते। और मैंने डॉक्टर बनने के बाद शपथ लिया था कि मैं पेशेंट की सुरक्षा करूंगा देखभाल करूंगा। अब मैं इस महामारी के समय पर पीछे नहीं हट सकता । उसके बाद भावना ने भी राजीव को सपोर्ट करते हुए कहा कि जाओ तुम पेशेंट को संभालो मैं घर संभाल लूंगी। आज तुम्हें तुम्हारा डॉक्टर होने का फर्ज निभाना है पूरी शिद्दत से। यह सब केहेके रात का खाना खाकर राजीव हॉस्पिटल के लिए चला गया। फिर उसके बाद कोरोना वायरस के पेशेंट सिर्फ बढ़ते गए। और यह पेंडेमिक भी कह लाया गया विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से। उसके बाद 24 तारीख को पीएम मोदी की तरफ से 21 दिन लॉक डाउन का ऐलान किया गया। पहले थोड़ी देर के लिए राजीव घर में आ भी सकता था लेकिन अब उसको पूरी रात 24 घंटे हॉस्पिटल में रहना पड़ता था भावना और अपने बच्चे को छोड़कर ।राजीव और बाकी डॉक्टर को ppE भी मिलने लगा था। हॉस्पिटल में इसके साथ ही पेशेंट्स पेशेंट भी पढ़ने लगे थे कोविड-19 के । विश्व स्वास्थ्य संगठन और बहुत सारे डॉक्टर भी बता रहे थे कोविड-19 से बचने के लिए उपाय जैसे कि हाथ धोना साबुन से, मास्क पहनना और भी बहुत कुछ। लेकिन आम लोग तो साबुन से हाथ धो लेंगे डॉक्टर लोगों का क्या उनको तो सिर्फ पी पी ई में ही रहना है और नर्स इसको भी। बहुत दिन बाद कुछ टाइम लेकर राजीव अपने घर गया जब वह घर जा रहा था तब कॉलोनी के सभी लोग हाथ ताली देकर राजीव का स्वागत कर रहे थे। राजीव अपने घर पर अंदर भी नहीं गया बाहर से ही सबको देखकर वह आ गया वापस हॉस्पिटल। फिर कुछ दिन बाद राजीव को 2 घंटे के लिए हॉस्पिटल के डॉक्टरस ने ही जाने के लिए राजीव को बोला था घर पर। राजीव जब जा रहा था तब पूरा सुनसान रास्ते के बगल में एक छोटा सा 5 साल का बच्चा मिला राजीव को, पढ़ा हुआ था जमीन पर । तब राजीव चेक करके देखता है कि उसके शरीर बहुत गर्म है शायद बुखार भी आ रहा था । तब राजीव ने सोचा कि अगर इस बच्चे को हॉस्पिटल लेकर गया तो और भी पेशेंट के साथ में ईसको कोरोना हो सकता है और महाराष्ट्र के सभी हॉस्पिटल लगभग भर्ती हो गए थे पेशेंट से। तो राजीव ने सोचा कि इस बच्चे को अपने घर में लेकर जा सकता है क्योंकि राजीव के घर में एक अलग कमरा था जहां इस बच्चे को रखा जा सकता था। इसलिए बच्चे को राजीव ने अपने घर लेकर गया जब बच्चे को लेकर कॉलोनी से जा रहा था राजीव तब कुछ लोग ने राजीव को देख लिया था। उसके बाद राजीव बच्चे को लेकर अपने घर में गया, भावना को सब कुछ बताया और जो एक अलग कमरा था राजीव का वह बच्चे को रख दिया। फिर राजीव ने सावधानी लेकर बच्चे को दवाई दिया उसका ट्रीटमेंट शुरू किया। फिर राजीव ने खुद डॉक्टर की टीम बुलाकर बच्चे का कोरोना वायरस टेस्ट किया और बच्चे का कोना टेस्ट पॉजिटिव निकला। 2 दिन बाद कॉलोनी के कुछ लोग घर में आकर भावना को समझाने लगे कि इस बच्चे को कोरोना है अगर यह बच्चा याहां रहेगा तो कॉलोनी का और बच्चे को भी कोरोना हो सकता है और धीरे-धीरे सारे लोगों पर फैल सकता है कोरोना कॉलोनी में । उसी वक्त पीछे से राजीव आता है और सबको बोलता है कि यह बच्चा यहीं पर रहेगा और उसका ट्रीटमेंट राजीव के घर से ही होगा वह पूरा सावधानी बढ़कर उसका ट्रीटमेंट करेगा कि किसी को भी कुछ पॉजिटिव ना हो । किसी की बात ना मान कर घर से उसका ट्रीटमेंट करने लगा राजीव । हर वक्त 2 घंटे के लिए अपने घर आकर बच्चे को देख कर चला जाता था आपने हॉस्पिटल के लिए। भावना ने भी बहुत मदद की राजीव की। कुछ दिन बाद राजीव ने बच्चे का फिर से घर में ही टेस्ट करवाया और बच्चे का टेस्ट दो बार ही नेगेटिव निकला उसके बाद बच्चे को एक एन जी ओ मे दे दिया क्यों कि इस बच्चे का कोई भी नहीं था।