Namita Meshram

Abstract

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Namita Meshram

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कोरोना की जंग

कोरोना की जंग

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 आज अस्पतालों में जगह नहीं हैं।

लोग घंटों बाहर इंतजार करते है, पूरे शहर के अस्पताल में परेशान होकर घूमते हैं और किसी अस्पताल के सामने जाकर दम भी तोड़ देते हैं।

कितना आसान था ना पढ़ना।

पर जिसपर बीत रही हैं उनकी सोचिए, पल भर में ज़िंदगी बदल जाती हैं,सब कुछ हाथ से निकल जाता है,किसी का अपना ये दुनियां छोड़कर चले जाता है और कोई कुछ नही कर पाता।

सरकार ने अब तक जो किया उसके लिए हम सब शुक्र गुजार हैं।

पर आज मंदिरों और धर्मस्थलों के निर्माण हेतू कोर्ट कचहरी में लड़ने से बेहतर, अस्पताल और मेडिकल के निर्माण और रखरखाव हेतू ज्यादा ध्यान दिया होता तथा मेडिकल की पढ़ाई को जरा सस्ता करने हेतु लढ़े होते तो और थोड़े ज्यादा डॉक्टर तयार हो पाते और शायद इस परिस्थिति से लड़ने में आज थोड़ी और हिम्मत आ जाती।

ऐसा नहीं है की लोगो में हिम्मत नहीं, पर अस्पताल में जाकर डॉक्टरों के हाथों अपने परिवार जनों को सौप वो परिस्थिति का सामना ज्यादा हिम्मत से कर पाता ना की अपने सामने अपनों को अस्पताल के बाहर तड़पता देख तील तील खुद भी मरता।  

 आज सरकार से एक बिनती हैं,भारत में मंदिरों और धर्मस्थलों की संख्या बहोत ज्यादा हैं, मरीजों के लिए जिस तरह कई लोगों ने अपने होटल्स, स्कूल तक खुले कर दिए वैसे ही अगर वो मंदिरों के द्वार भी खोल दे तो थोड़ा परेशानी कम होगी।

शायद मंदिर में बसी लोगों की आस्था से ही लोगों को बेहतर लगने लगे।


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