कोई भेद नहीं
कोई भेद नहीं
सोसाइटी में गोकुल अष्टमी पर जब कार्यक्रम रखा गया तो सबसे छोटा बच्चा वसीम ही था। सबके प्रेम को देखते हुए राबिया नन्हें वसीम को कृष्ण बना कर निकली तो आपा ने टोका की क्या गजब कर रही हो, कुरान पढ़ने वाली तुम बेटे को गीता का उपदेशक बना कर ले जा रही हो।
राबिया ने आपा से कहा कि मैंने कभी गीता और कुरान को लड़ते नहीं देखा और जो लोग इनके नाम पर लड़ते हैं ना उन्हें कभी गीता या कुरान पढ़ते नहीं देखा। कोई भी मजहब प्रेम और सौहार्द को खत्म करना नहीं सिखाता है। वसुधैव कुटुम्बकम यानी दुनिया एक परिवार है बस वेशभूषा अलग है।
