Gita Parihar

Thriller

1.5  

Gita Parihar

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कमरा नम्बर 1046

कमरा नम्बर 1046

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2 जनवरी 1.20 मिनट पर डाउनटाउन कैंसास सिटी में एक शख्स ने होटल का एक कमरा बुक करवाया।  

सामान के नाम पर उसके पास एक कंघी और टूथब्रश के अलावा कुछ और नहीं था। उसने सबसे ऊपरी मंजिल का कोने वाला कमरा चुना। उसने अपना पूरा नाम रोनाल्ड टी ओवन लिखवाया था। कमरा लेने के बाद वह कभी-कभार ही वहां दिखा था। होटल के स्टाफ को यह बात कुछ अजीब तो लगी,  लेकिन वे किसी मामले में ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहते थे, क्योंकि अक्सर शहर से बाहर के लोग और व्यापारी रात बिताने के ही लिए कमरे लेते थे।

छठे रोज उसका कमरा खून से नहा गया, जैसा कि होटल के स्टाफ ने पुलिस को बताया। पुलिस उसकी मौत से पहले की उसकी गतिविधियों, उसके व्यवहार के बारे में पूछताछ कर रही थी।

मेरी स्ट्रॉन्ग जो कमरे की सफाई कर्मचारी थी, उसने बताया कि जब वह कमरा नंबर 1046 के सामने पहुंची तो उसने पाया कि कमरा अंदर से बंद था। उसके दरवाजा खटखटाने पर ओवन ने उसे कुछ देर बाद आने को कहा। कुछ देर बाद दोबारा जब वह गई तो कमरे में बिल्कुल अंधेरा था, पर्दे खिंचे हुए थे, केवल टेबल लैंप से ही मद्धिम सी रोशनी आ रही थी। ओवन ने उसे हिदायत दी कि वह कमरा लॉक न करे, क्योंकि उससे मिलने कोई आ रहा था, यह कहकर वह खुद कमरे से बाहर चला गया था।

चार घंटे बाद जब मेरी धुले हुए तौलिए रखने कमरा नंबर 1046 पहुंची, तब भी दरवाजा लॉक नहीं था। कमरे में घुसने पर उसने देखा ओवन पूरे कपड़ों में बिस्तर पर लेटा था, शायद सो रहा था। बगल की छोटी टेबल पर एक कागज का टुकड़ा रखा था जिस पर लिखा था, "डोन, मैं 15 मिनट में लौटूंगा, इंतज़ार करना। " .”

दूसरी सुबह जब फिर वह सफाई करने कमरा नंबर 1046 पहुंची तो देखा कि दरवाज़ा बाहर से बंद था। ऐसा तब होता है जब कमरे में कोई न हो। उसने अंदाज लगाया कि ओवन कमरे में नहीं है, उसने मास्टर की से दरवाजा खोला, खोलते ही वह चौंक गई, क्योंकि ओवन अंदर अंधेरे में एक कोने में कुर्सी पर बैठा हुआ था। वह सफाई कर रही थी कि फोन की घंटी बजी, ओवन ने फोन उठाया। "नहीं, डॉन, मुझे भूख नहीं है, मैने अभी -अभी नाश्ता किया है, मुझे भूख नहीं है। "उसने झल्लाहट से कहा।

फोन रखने के बाद उसने मेरी से उसके काम के बारे में, होटल के बारे में पूछा और कहा कि बाकी होटल खासकर पास वाला होटल बहुत महंगा है।

मेरी ने उसके सवालों के जवाब जल्दी- जल्दी दिए और काम खत्म करके बाहर निकली, वह काफी घबरा गई थी, समझ नहीं पा रही थी कि उसका दरवाजा बाहर से कैसे बंद था, जरूर किसी ने उसे उसके कमरे में बंद किया था।

बाद में जब वह साफ धुले तौलिए रखने लौटी, तो उसे कमरे के अंदर से दो आवाजें सुनाई पड़ीं। उसने दरवाजा खटखटाया और कहा कि वह तौलिए लाई है। "यहां काफी तौलिए हैं, जाओ"अंदर से एक भारी ओर तेज आवाज आई।

मेरी ने सुबह सारे तौलिए हटा दिए थे और अंदर एक भी तौलिया नहीं था, यह बात वह जानती थी, मगर वह बिना कुछ कहे लौट आई।  

उसी दोपहर दो और मेहमानों की आमद ने कमरा नंबर 1046 के राज़ को और भी पेचीदा बना दिया। उनमें से एक थी जीन ओवन। उसका रोनाल्ड से कोई रिश्ता नहीं था। वह अपने मित्र से मिलने आती रहती थी, जो कमरा नंबर1048 में ठहरा था। वह रात यहीं गुजारना चाहती थी। उसे कमरा नंबर 1048 की चाबी दे दी गई। यह रोनाल्ड के कमरे से एक कमरा छोड़ कर था। मेरी ने पुलिस को बताया कि देर रात उसके कमरे से ऊंची -ऊंची तेज आवाजें आ रही थीं।

"मैने सोचा, मैं डेस्क क्लर्क को सूचित कर दूं, मगर..

फिर मैने नहीं किया, "मेरी ने बताया।

 इसके अलावा, उस रात वहां एक पेशेवर औरत भी थी, जो अक्सर पैसे देकर रातों को बुलाई जाती थी। उसने बताया कि उसे कमरा नंबर 1026 में बुलाया था मगर वहां तो कोई था नहीं, वह कुछ इंतज़ार करने के बाद लौट गई थी। " 

अब इन दोनों औरतों के बयानों से ही कमरा नंबर 1046 के गेस्ट की किस्मत तय होनी थी।  

दूसरे दिन बेलब्वॉय को टेलीफोन ऑपरेटर का फोन आया, "सुनो, कमरा नंबर 1046 का टेलीफोन 10 मिनट से हुक से हटा हुआ है, उन्हें बताओ की ठीक से रख दें। "बेलबोय जब चेक करने ओवन के कमरे की ओर गया तो देखा कि कमरा बंद है और, "डोंट डिस्टर्ब"की प्लेट कुण्डी से लटक रही है। उसने दरवाजा खटखटाया।

अंदर सेओवन ने कहा, "अंदर आ जाओ। "

 बेलब्वॉय ने दरवाजे की नोब घुमाई, वह नहीं खुला, "सर, आपका दरवाजा अंदर से बंद है, कृपया खोलें", उसे कोई उत्तर नहीं मिला। बेलब्वॉय ने दोबारा दरवाजा खटखटाया और इस बार चिल्लाकर कहा कि फोन को रिसीवर पर रख दें। उसने सोचा शायद ओवन ने ज्यादा पी ली थी और फोन हुक से गिर गया होगा।

डेढ़ घंटे के बाद दोबारा टेलीफोन ऑपरेटर ने फोन मिलाकर बेलब्वाय को बताया कि अभी भी कमरा नंबर 1046 का फोन हुक पर नहीं था।

इस बार बेलब्वाय मास्टर की लेकर ओवन के कमरे में दाखिल हुआ। उसने देखा कि वह बिस्तर पर औंधा पड़ा था, शायद ज्यादा नशे में था, उसने फोन को रिसीवर पर रखा और दरवाजा बंद करके लौट आया। इस बात की सूचना उसने मैनेजर को दी थी।

एक घंटे बाद टेलीफोन ऑपरेटर की ओर से फिर सूचना मिली कि फोन को फिर से हुक से हटा दिया गया है, वैसे इस बीच कहीं बातचीत नहीं हुई थी।  

इस बार बेलब्वाय ने जो देखा, उसके होश उड़ गए। ओवन अपना सिर पकड़ एक कोने में गिरा पड़ा था, उसके सिर और हाथों में चाकू के अनेक घाव थे, चादर, तौलिया खून से सना हुआ था, दीवारें खून से रंगी हुई थीं। कमरे में खून ही खून था। बेलब्वॉय ने फौरन पुलिस को सूचना दी। पुलिस उसे अस्पताल ले गई। पाया गया कि उसे बहुत यातना दी गई थी। उसके, पैर, हाथ, गर्दन को किसी तार से जकड़ दिया गया था, उसकी छाती पर कई वार किए गए थे। उसका फेफड़ा पंक्चर हो गया था और खोपड़ी टूट गई थी। अस्पताल पहुंचने के कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों नेउसकी मौत का जो समय बताया वह बेलब्वाय के

 पहली बार उसके कमरे में जाने के काफी पहले का समय था। फोन रिसीवर से शायद तब गिरा होगा, जब उसने मदद के लिए उसे उठाने की कोशिश की होगी।

कमरे में कोई कपड़े नहीं थे। कुछ भी ऐसा नहीं था जिसे ओवन के साथ जोड़ा जा सकता। होटल के साबुन और टूथपेस्ट भी गायब थे। किंतु हत्या का कोई भी हथियार मौजूद नहीं था केवल टेलीफोन के रिसीवर पर कुछ फिंगरप्रिंट थे, जो कभी भी पहचाने नहीं जा सके, कि किसके थे। तफ्तीश में यह भी सामने आया कि रोनाल्ड टी ओवन नाम का कोई शख्स यू एस में कहीं नहीं रहता था। लोगों से भी अपील की गई कि अगर वे कुछ भी उस शख्स के बारे में जानते थे, तो मदद के लिए आगे आएं, मगर नतीजा कुछ नहीं निकला।

पास के उस होटल से जिसके बारे में उसने जिक्र किया था कि बहुत मंहगा था, कुछ दिनों बाद एक खबर मिली कि उस हुलिए का आदमी 1 जनवरी को एक दिन के लिए युगीन के स्कॉट के नाम से रुका था। इस नाम की खोजबीन का नतीजा भी सिफर निकला। इस नाम का कोई आदमी रिकॉर्ड में नहीं था।

अगले कई महीनों में बहुत से लोगों ने उसकी शिनाख्त की कोशिश की मगर किसी से भी कोई ठोस सबूत नहीं मिले। आखिर में उसके अंतिम संस्कार का फैसला लिया गया। उस मौके पर कुछ गुलदस्ते मिले जिन में से एक पर लिखा था, " सदा के लिए प्यार - लूसी। " 

एक साल और बीत गया। इस बार किसी मिली नाम की एक महिला ने दावा किया कि वह उसकी मां थी। उसका बेटा कई वर्षों से गायब था। उसका नाम आर्टेमिस जी ट्री था। वह कैंसास सिटी के दूसरे हिस्से में रहती थी। कोई और सबूत न होने के कारण पुलिस ने उसकी बात को मान लिया।

आज तक यह केस सुलझ नहीं पाया है। हर साल नए सुराग मिलने पर केस को खोला जाता है, मगर ऐसा लगता है कि केस नंबर 1046 का रहस्य कभी नहीं सुलझेगा। हत्यारे आज़ाद घूमते रहेंगे।


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