किस्सा बरसात के काली रात का
किस्सा बरसात के काली रात का


शाम का वक़्त था। मैं घर के गार्डन में टहलने निकला। मंद-मंद हवा चल रही थी। पेड़ पैर बैठे पक्षियों की चिलचिलाहट मुझे बड़े ही बारीकी से सुनाई दे रही थी। मैं गार्डन में लगे आम के पेड़ के नीचे बैठ गया। वहां बैठे- बैठे मैं बड़े ही ध्यान से एक तोते को देख रहा था। जो पेड़ की डाली पैर बैठा था। वह तोता आम को चोंच मारकर खा रहा था। यह दृश्य देखने में मग्न हो गया। तभी उतने में ही आसमान में काले-काले बादल छा जाते हैं। मुझे पता ही नहीं चलता की कब शाम की रात हो जाती है। रात को खाना खाने के बाद मैं बालकनी में खड़ा था, की तभी जोर-जोर से बादल गरजे। मुझे लगा की अब यह गरज पड़े काले बादल बरसेंगे जरूर।
मैं बालकनी से निकलकर बैडरूम में गया, तभी जोर-जोर से बरसात चालू हुई। मैंने तब घड़ी देखी तो रात के साढ़े दस बज चुके थे। मैं बेड पर लेट गया। न जाने क्यों मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। बस आँख बंद करके के बिस्तर पे लेटे हुए था। तभी जोर से आवाज़ आयी। मैंने बैडरूम का लाइट लगाया देखा और की खिड़की खुली हुई थी। मैंने खिड़की के बाहर झांक के देखा , तो पास से बिल्ली गुजर रही थी। अभी 2 सेकंड के लिए ये तो मेरी साँसे ही रुक गई।
मैं थोड़ा पानी पी लिया और बैठ गया बेड पे। घड़ी में देखा, 12 बज के 20 मिनट हो चुके थे। मुझे नींद तो, आ ही नहीं रही थी। तो मैंने सोचा की, थोड़ी देर बारिश का आनंद ले लूँ। मैं बालकनी में चला गया, बारिश का आनंद लेने बालकनी में हाथ फैला कर बूंदें अपने हाथ मैं पकड़ता और और छोड़ देता था।तभी अचानक मेरी नजर रास्ते पे पड़ी जोर-जोर से बारिश हो रही थी। इतने तेज बारिश में एक लड़की की भीगी-भागी सी अकेले ही चली आ रही थी। रात बहुत हो चुकी थी। तभी उस लड़की की नज़र मुझ पे पड़ गई। वह मुझसे मदद मांगने लगी "हेल्प -हेल्प।" मैं बोला रुको तुम गेट पे आ जाओ।
मैं घर के बहार निकल कर गेट पे गया। उसे घर के अंदर बुलाया। उसे तौलिया दिया।" अरे तुम तो पूरी तरह से भीग चुकी हो" वह खुद को तोलिया से पोछ लेती है। मैने उसे अपना हेयर ड्रायर दे दिया और कहाँ की,"तुम इससे खुद को सूखा लो, मैं तुम्हारे लिए ये चाय लता हूँ, तुमने कुछ खाया है ? कुछ कहोगी क्या ?"वह लड़की नहीं बोली। मैने उसके लिए किचन में जाकर चाय बनाई। उसने मेरी बनी चाय पी ली। बारिश ख़त्म हो गई। वह बोली, "अब मैं जाती हूँ ।" मैने उसको अपना छाता दिया और कहाँ की" इसे तुम अपने साथ रखो।"
वह छाता ले के चली जाती है। मुझे नींद आने लगती है। मैं बेड पे लेट जाता हूँ। पलक -झपकते ही मुझे नींद आ जाती है। मैं सो जाता हूँ।
सुबह मेरी आँख खुल आती है। मैं उठकर सबसे पहले गार्डन में जाता हूँ। मेरे घर के गार्डन में मुझे एक कोने में छाता पड़ा दीखता है, जो मैने कल रात को उस लड़की को दिया था। मैं उस छाते को देख कर चौक जाता हूँ। तभी मैं दौड़ कर किचन में जाता हूँ। मुझे एक चाय की प्याली दिखती है। वह चाय की प्याली पूरी तरह से भरी हुई होती है। मैं सोचने लगा की कल रात को मेरे सामने ही तो उस लड़की ने चाय पी ली थी। अब इस प्याली में चाय कहाँ से आयी।
मैं घर के बाहर निकला। गेट पर गार्ड खड़ा था। मैंने उससे पूछा "कल कहाँ गए थे तुम"? गार्ड बोला में छुट्टी के लिए, आपको चिट्ठी लिखकर घर के पोस्ट बॉक्स में डाल दी थी। आपने पढ़ी ही नहीं। मेरे भतीजे की मौत हो गई, तो मैं वही था। जल्दबाजी में मैं आपको बता नहीं सका।
मैने कल रात की सारी बात गॉर्ड को बताई। गॉर्ड बोले शाबजी मैने भी पड़ोसियों के मुंह से सुना है, कोई लड़की का भूत लोगों को बारिश में भीगता दीखता है। गार्ड बोला शाबजी उस लड़की की कहानी ऐसी है की, वह लड़की एक दिन यहाँ से गुजर रही थी। अचानक से बारिश चालू हो गई और वह पूरी तरह भीग गई। ठण्ड की वजह से कांपते कांपते ही उसकी की मौत हो गई। तबसे वह लड़की का भूत मोहल्ले में दिखाई देता है। लेकिन वह लड़की किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाती।
गार्ड की यह बातें सुनकर, मैं बहुत घबराह गया। मेरे जीवन की यह बात मैं कभी भूल नहीं सकता। मैने तभी पूरे घर में हनुमान चालीसा का पाठ पढ़वाया था।