खून की प्यासी
खून की प्यासी
"बाबु घर पर हैं?" साहिल ने दरवाज़े पर खटखटाते हुए पूछा
एक औरत ने दरवाज़ा खोला "वो अभी बाहर गए हैं, तुम कौन हो?"
साहिल ने अपना नाम बताया और कहा जैसे ही वो घर आएँ उनसे कहना मुझे कॉल करें।इतना कहकर वो अपने खदम जल्दी जल्दी से घर की तरफ़ ले गया।"और क्या सामान लूँ, कहीं कुछ छूट तो नहीं गया" साहिल बड़बड़ाता हुआ चल रहा था।
साहिल ३० साल का एक खूबसूरत नौजवान था, उसकी एक बहन शादी के बाद उसी शहर में रहती थी, साहिल हमेशा कमाने के लिए शार्टकट रास्ते ढूंढता था।वो कोई एक काम ना करता था, कभी कपड़ों के दुकान में तो कभी मोबाइल सेरविसिंग में, कभी कंंस्ट्रेशं का कांट्राक्ट् लेता तो कभी माट्रिमोनियल का।
ऐसे ही कहीं एक सेठ से दोस्ती हो गयी, वो साहिल के बारे में सब जानता था। एक दिन उसने साहिल को अपने घर पर खाने को बुलाया। खाने के बाद सेठ ने अपनी बात शुरू की "देखो साहिल मैं तुम्हारे बारे में सब जानता हूँ और ये भी जानता हूँ के तुम बहुत कमाना चाहते हो, तो मेरे पास एक ऐसा काम है जिससे तुम करोंड़ों में खेलोगे"।साहिल की खुशी का ठिकाना ना रहा और पूछा "बताओ सेठजी कैसे होगा ये सब, क्या मेरे सब सपने पूरे होंगे?"
सेठ साहिल के पास आकर बैठ गया और कहा "हाँ! तुम्हारे सब सपने पूरे होंगे पर इस काम के लिए तुम्हारे साथ एक और आदमी भी चाहिए जिसपर तुम भरोसा कर सको और ये सब बातें राज़ में रखे"साहिल कुछ देर सोचा और कहा "आप बस काम बताओ, आदमी मिल गया"।
"कौन है वो" सेठ ने हैरानी से पूछा।
"मेरे जीजाजी असद, वो मेरा साथ देंगे आप सिर्फ़ काम समझाओ" साहिल ने जल्दी से जवाब दिया।
"ठीक है कल अपने जीजाजी के साथ आना मैं समझा दूंगा" सेठ ने इतना कहकर साहिल को दरवाज़े तक छोड़ आया।दूसरा दिन साहिल अपने जीजाजी को मनाकर सेठ के पास लेकर गया, वहाँ सेठ भी बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था और उसको यक़ीन भी था के साहिल ज़रूर आयेगा।
साहिल को देखकर वो सेठ बहुत खुश हुआ और वो दोनों को लेकर अपने एक प्रेतवाधित पहाड़ी पर ले गया जहाँ पर उसका एक और घर था और वहाँ एक बहुत बड़ा पेड़ था, उसको दिखाकर सेठजी ने कहा "इस पेड़ के नीचे बहुत सारा खज़ाना है उसमे बहुत सारा सोना छुपा हुआ है अगर तुम निकाल सको तो हम दोनों 50-50 बाटलेंगे"।
साहिल ने कहा "इतनी सी बात, मैं इतना भी काहिल नहीं हूँ के खुदाई भी ना कर सकूँ, सेठजी खज़ाना अभी निकाल लेते हैं"।
सेठ ने साहिल को रोकते हुए कहा "रुको ये इतना आसान नही, इतनी आसानी से नही निकलेगा, उसके लिए कुछ करना है, एक बड़ी शक्ति ही उसको निकाल सकती है और ये काम के लिए बाबू का यहाँ होना बहुत ज़रूरी है"।
"कौन बाबू" साहिल ने पूछा।
सेठ ने बाबू के बारे में बताया "बाबू के पास कुछ शक्तियाँ हैं, अगर उसको मनालें तो ये काम हो जायेगा"।
"ठीक है आप उनसे मिला देना, मैं बात करूँगा" साहिल ने भरोसा दिलाते हुए कहा।
सुबह होते ही सब बाबू के पास गए और सेठ कुछ कहने से पहले ही बाबू साहिल को देखकर मान गया और कहा "अब तेरा काम हो जायेगा, कल की रात बहुत अच्छी है, सब सामान लेकर आ जाना और तुम!!क्या नाम है तुम्हारा, आज शाम तुम मेरे घर आना" बाबू ने साहिल की तरफ़ इशारा करते हुए कहा
"जी, मैं आ जाऊँगा" इतना कहकर सब वहाँ से निकल गए।
घर जाकर असद ने साहिल को बहुत समझाया "मुझे ये सब कुछ ठीक नही लग रहा है, छोड़ दो ये सब, अगर तुम्हारी दीदी को पता चलेगा तो वो मुझे छोड़ेगी नही और तुम ..."
साहिल ने असद की बातों को काटते हुए कहा "अब मैं पीछे नही देखूंगा, मुझे सिर्फ़ आगे बढ़ना है, अभी बाबू के घर भी जाना है, मैं चलता हूँ"।
"तुम अकेले नही जाओगे, मैं भी साथ चलूँगा" असद भी तैयार हो गया।
बाबू के घर पहुँचे, वहाँ बहुत सारी औरतें थी, ये दोनों देखकर हैरान रह गए और एक औरत से पूछा
"बाबू कहाँ हैं?"
वो औरत ने जवाब दिया "वो तैयार हो रहे हैं, आप लोग अंदर महफ़िल में बैठो वो आजायेंगी"।
उस औरत के जवाब ने उन दोनों को और उलझन में डाल दिया और वो अंदर महफ़िल में गए, वहाँ बहुत सारे लोग इखट्टा हुए थे। इन दोनों को कुछ समझ में नही आ रहा था के यहाँ क्या हो रहा है।इतने में दूसरे दरवाज़े से औरतों ने एक दुल्हन की तरह सजी औरत को लेकर आये, वो सारी औरतें उसको तैयार करने के लिए आये थे।वो औरत बीच महफ़िल में आकर बैठ गयी और अपना दुपट्टा उठाकर फेक दिया।संगीत शुरू हुआ और वो नाचने लगी। जब उसकी नज़र साहिल पर पड़ी तो और जोश से नाचने लगी और उसके पैरों के घुंघरू टूटने लगे।वो सामने आती रही और साहिल को छूती रही।साहिल घबरा गया और आवाज़ों से उसका सर चकराने लगा।
वहाँ पर बैठा एक आदमी वीडियो बनाने के लिए मोबाइल निकाल ही रहा था के उस औरत ने तलवार उठाकर उसकी गर्दन पर रख दिया और वो आदमी डर के मारे अपना फोन फेक दिया, उस औरत का चेहरा गुस्से से और डराउना हो गया।ये सब देखकर साहिल बहुत डर गया, वो नाचते हुए साहिल के सामने चंचल अदाओं के साथ आती रही और छूकर चली जाती थी।साहिल को अब उसका चेहरा जाना पहचाना लग रहा था और बोल उठा "ये तो बाबू है"।
पास बैठे एक आदमी ने साहिल को चुप कराकर कहा "ये अम्मा हैं!! यहाँ बातें करना मना है और अगर कुछ पूछना है तो नाच खतम होने के बाद पूछ लेना"।
साहिल और असद बहुत घबरा गए, वो वहाँ से भागना चाहते थे पर सब दरवाज़े बंद। वो दोनों धीरे धीरे बाहर जाने के दरवाज़े की तरफ़ खिसकते रहे और दरवाज़ा खुलने का इंतज़ार कर रहे थे।बाबू नाचते नाचते बैठ गया और औरत की आवाज़ में पूछने लगा "जल्दी जल्दी बताओ क्या काम है?"
एक एक करके सब उसके पास गए और वो सब के सर पर हाथ रख कर भेजती रही।बाबू की नज़रें प्यासी निगाहों से साहिल को ढूंढती रही पर वो छुप कर बैठा हुआ था और जैसे ही दरवाज़े खुले वो दोनों वहाँ से भाग गए।दूसरा दिन साहिल ने सेठ से जाकर सारा माजरा बताया।
सेठ ने कहा "ये सब तो मैं जानता हूँ और मैंने कहा भी था उसके पास बहुत सारी शक्तियां हैं, अच्छा हम शाम को मिलते हैं, तुम अभी बाबू के घर जाकर सामान की लिस्ट तैयार करलो"।
असद साहिल को सम्झाता ही रहा "ये सब ठीक नही लग रहा है, ये सब खतम करो"। तुमने देखा ना वहाँ का माहौल, कोई डराउना दृश्य से कम ना था"।
नही, मैं ज़रूर जाऊँगा, ज़रा हमारे फ़्यूचर के बारे में भी सोचो, इतना पैसा कमाने के लिए कितने साल लग जाते हैं और आज अगर हम नही गए तो उम्र भर पछतायेंगे" इतना कहकर साहिल बाबू के घर चला गया।बाबू घर पर नही था और उसने बाद में कॉल करके सारे सामान की लिस्ट दे दी।
अंधेरा होने को था सब पहाड़ी के घर को पहुँच गए, बाबू भी आ गया। पूरी तरफ़ से अंधेरा छा गया था।अंधेरे में एक दूसरे के चेहरे भी नही दिख रहे थे। सेठ ने दो इमर्जेंसी लैट्स लाये, एक पेड़ के पास रखा और दूसरा बाबू के पास।
बाबू ने सब सामान इकट्टा करदिया , पहले तो माथे पर बड़ा सा सिंदूर लगा लिया बाद में सब सामान अपने साथ लेकर घेरा डालकर बैठ गया।
वो कुछ पढ़ता गया, साहिल और असद को ज़मीन खोदने के लिए कहा, ज़मीन खोदते खोदते आधी रात हो गयी, साहिल काम में इतना संलग्न हो गया था के उसने किसीको भी ना देखा सिर्फ़ खज़ाने के निकलने का इंतज़ार था, असद थक रहा था उसने कुछ देर बैठने को चाहा, उसकी नज़र बाबू पर पड़ी और वो साहिल को क़ातिलाना नज़र से देख कर मुस्कुरा रहा था, असद ने जब सेठ को देखा तो वो भी मुस्कुरा रहा था, उसको समझ नही आ रहा था के क्या करें।
असद ने साहिल का हाथ पकड़ कर खींचने लगा "अब बस करो चलते हैं, यहाँ कुछ नही है"। साहिल को किसीकी आवाज़ नही सुनाई दे रही थी इतने में बाबू पीछे से छुरी लेकर साहिल की पीठ पर छोंकने आया, असद ने उसको अपनी तरफ़ खींच लिया, साहिल बाबू को इस हालत में देखकर हैरान रह गया।
बाबू का चेहरा डराउना हो गया था, असद साहिल को खींचता हुआ बैक पर बिठा कर ले गया। सेठ के पैरों में इतनी ताकत नही थी के वो भागकर पकड़ सके और बाबू के रूप रही एक प्यासी आत्मा साहिल के खून की प्यासी हो रही थी, वो चिल्लाने लगी "इतना भला नौजवान हाथ से निकल रहा हैं पकड़ लो उसको, नही तो मैं तुम्हें कुछ नही दूंगी"। सेठ ने बहुत कोशिश की पर पकड़ नही पाया।साहिल और असद दोनों वहाँ से फ़रार हो गए।
बाबू पर एक प्यासी आत्मा का साया था, वो इन्सानों को दौलत की लालच दिखाकर उनका खून चूस लेती थी और वो नौजवानों की प्यासी थी। साहिल को देखते ही अपना शिकार बना लिया था और कैसे भी करके उसको हासिल करना चाहती थी।असद साहिल को लेकर घर चला गया, उन दोनों को अभी भी यक़ीन नही हो रहा था के वो मौत के मुह से बचकर आए हैं, सिर्फ़ वही डराउना दृश्य उनकी नज़रों के सामने घूम रहा था...