Akshayakumar Dash

Abstract

1  

Akshayakumar Dash

Abstract

खिड़की

खिड़की

3 mins
305


आसमान साफ बाहर झांक कर देखता तो सामना बाले घरके छतपर एक युवती पौधे को पानी देती ।नीली साड़ी और नीला रंग की मैचिंग कपड़े अपनी गोरी चेहरो असमांन की परी तरह लगती।जुगल उनकी तरफ नजर डाला तो लड़की अपनी खूबसूरत चेहरे से शर्मा गई।थोड़ा आड़ में तिरछी नजर से देखी। कौन है यहां, खिड़की की तरफ फिर देखी, मन मे सोचा यहाँ पर कोई नया किराये बाले युवक आया है।फिर सोची नहीं तो घर वाला हो सकता है।खड़े रहकर खिड़की की तरफ नजर डाली। युवक बिल्कुल अकेला और यहाँ क्या करता, फिरसे देखी। अभी दोनोंका नजर मिलगया। जुगल घबरा गया, क्योंकि कोई देखेगा तो , फिर मनको दृढ़ कर अपना हात उठाकर बाय बाय किया। लड़की समझगई ,अपनी मुखड़े में हँसकर बोली बाय बाय।प्रेमका सिलसिला मिल गया जुगल को।जुगल फिर बोला ,कुछ, लेकिन दूरी में अबाज नही पहँचा। फिर भी दोनो समझ गए यह तो पहला प्यार है।जुबती ने पानी देनेके बाद फिर थोड़ा नजर सामने बाला खिड़की के तरफ मार कर चली गयीं। जुगल देखता छत के ऊपर अपना मन को चोरने बाली को फिर देखने चाहता। शाम हो गई। आसमान काफी अंधार छा गई। अभी अभी देखता जो पेड़ पौधे नीला रंग की साड़ी पहनी हुई अप्सरी सब कुछ अंधार लगता।लेकिन मन मे उनका दीप की तरह आलोकित । अपना प्राण में उजियाला जैसे सूरज की पहली किरण धरती पर ।

रात आ गई। जुगल सुइच टिपकर बती लगा ली। चेयर पर बैठकर सोचने लगा।चेहरे पर नया प्रेम का रंग। प्रेमिका पहला सोपान मधुर लगता हर बक्त गुलाब जैसे।

     सुुुरज के किरणें से सुबह आगई। जुुगल नीद से जाग कर खिड़की की तरफ ध्यान रखें तो देखा यों ही निली साड़ी बाली लड़की ने खिड़की की तरफ निसान देेेरख रही। उठकर बैठ जुगल। फिर अपना हाथ उठा कार बाय बाय कीया। लड़की भी ऐसा करने लगई। मालूम पैड ज्यसे मिलगया चांद। लड़कीने मुस्क्करा नजर देेेेेकर चलगयीं। जुगल उठकर चलगया बार्थरम । सुबह सुुुबह अपना काम खतम कर दिया जुगल ।बाह पडे अपना ऑफिस।

आज संनडे। अपना काम पर छुटी । जुगल साम को अपने घर अकेला था।। इसी समय अपना कमरे की तरफ लॉक का अबाज सुना। दरब्याखोलकर देखा कि यही लड़की ए जो छत पर दिखारहा था । अदर आनेका कहा। लड़कीने अपना रूम में बैठी । जुगल नेे कहा, आपकी नाम।मेे सरिता। यह हैैै हैैम मेरे माम््के साथ रहती हूँ। आप चाहिए तो हमरा घर आसकते है।मेरी मामा आपको मिलोगेंठीक है में जरूर जाएगा। आप क्या ,इतना कहते सरिताने कही। मैं जसोदा हास्पिटल पर काम करताहूँ। मेरे पिताजी सेंट्रल गॉव पर काम करते थे। उनका देहांत होगया। मै उनका एक बेटी, आप चाहिए तो हमारा घरपर रहसक्ते। जुगल को लेकर लड़की ने अपना घरपर लिया।अपनी मम्मी खुस होकर बोले ,आपका नाम जुगल किशोर है। आप हास्पिटल में डॉक्टर है। मेरी लड़की आपके बारेमे सबकुछ बोली। चाहेगे तो हमारा घरपर रह सकते। इतना कहकर रोसैया ने कुछ खानेका प्लेट लेकर अपहुँचा। जुगल देखाकि सामने प्लेट में सारी फूड्स और दूसरी प्लेटमे कुछ गरम पकोड़ी लेकर सरिता खानेके लिए बोली। जुगल सरिता से बात हुई। सरिता की ममी आकर जुगल को कूछ फोटो देखाया।यह फाटो था सरिता की, बचपन से सरिता अपना पिताजी के लिए प्यारी थी। जुगल को अपनी ममी सरिताकि बारे में सबकुछ बताया। सरिता जसोदा हास्पिटल में गायनिक डॉक्टर है। मैनेमें पांच लाख बेतन । चाहेंगे तो आपके साथ जीबन साथी बोनोगी। जुगल प्रस्तापको मंजूर किया। खिडकी प्यार का मंजिली बता दिया। 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract