ख़ुशी क्या है और खुश कैसे रहे
ख़ुशी क्या है और खुश कैसे रहे
एक जोड़ा खुशी-खुशी अपना जीवन बिता रहा था। किसी वजह से उनकी खुशियाँ जाती रही। तभी उन्होंने सुना कि पास के गाँव में एक महात्मा आए हैं, जो लौगों की तकलीफ दूर करते हैं। ते दोनों उनके पास गए। महात्मा ने कहा कि तुम विश्व-भ्मण पर जाओ और पूरी तरह से खुश पुरुष व महिला का कोई जोड़ा ढूंढ कर लाओ। अगर तुम्हें कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाए तो उसके कपड़े का एक हिस्सा ले आना और उसे हमेशा अपने पास रखना। इसके बाद तुम हमेशा खुश रहोगे।
वे दोनों अपनी यात्रा पर निकल पड़़े । एक जगह जाकर उन्हें पता चला कि राज्यपाल और उसकी पतनी सबसे ज्यादा खुश हैं। वे उनके पास गए और पूछा- “क्या आप सबसे
ज़्यादा खुश हैं ?’ उन्होंने जवाब दिया- “हाँ, हम हर हाल में खुश है, बस हमारे कोई संतान नहीं है।
यह सुनकर उन्होंने अपनी यात्रा आगे बढ़ाई। एक जगह पहुँचकर पता चला कि वहाँ सबसे ज़्यादा खुश रहने वाला जोड़ा रहता है। वे दोनो उसके पास गए और पूछा- “क्या आप
सबसे ज्यादा प्रसन्न रहते हैं? उस जोड़े ने जवाब दिया- “हा, हम खुश रहते हैं लेकिन एक ही दुःख है, हमारे बहुत सारे बच्चे हैं, जिनके कारण हमारी जिन्दगी अस्त-व्यस्त हो गई
है । वे दोनों कहाँ से भी निराश होकर चल दिए।
चलते-चलते वे रेगिस्तान पहुँच गए वहाँ एक गड़रिया भेड़े चरा रहा था। दूर से उसकी पत्नी और बेटी खाना लेकर आए, वे तीनों मिलकर खाना खाने लगे । यह देखकर
उन्होंने गड़रिये से भी वही सवाल पूछा । गड़रिये ने माना कि वह सबसे ज्यादा खुश है। उन दोनों ने उसकी शर्ट का टुकड़ा माँगा । गड़रिये ने कहा कि अगर मैं तुम्हें अपनी शर्ट का
टुकड़ा दे दूँगा तो मैं व्या पहनूगा। मेरे पास एक ही शर्ट है।
हताश होकर वे दोनों महात्मा के पास लौट आए और उन्हें अपने अनुभव बताए। महात्मा ने कहा कि तुम्हें समझ आ गया होगा कि दुनिया में कोई भी पूरी तरह से खुश
नहीं है। अगर खुशी दूंढनी है तो बाहर नहीं अपने अंदर ही ढूंढो।
