खौफ
खौफ
आदित्य कुछ दिनों से नींद पूरी नहीं कर पा रहा था.जब भी वो सोने की कोशिश करता, उस के आँख के सामने वो भयानक मंजर तांडव करने लगता.थकी हुई आंखें, बेसुध हुआ शरीर और तड़पता हुई रूह लाचारी की चरमसीमा पर थे.ये हाल पिछले दो दिन से है. रिसर्च इंस्टिट्यूट में वैज्ञानिक होना सब के बस की बात नहीं. होनहार छात्र, कामयाब वैज्ञानिक और एक महात्वाकांक्षी इंसान.इंसान.... अक्सर अपनी हैसियत भूल जाता है.
उसे मज़ा आता है श्रृष्टि के नियमों के साथ खिलवाड़ करने मे. जिसे वो खुश होकर रिसर्च कहता है.ऐसा ही कुछ आदित्य करना चाहता था. मगर वो जानता नहीं था के ये खेल उसकी जिंदगी को मौत से भी बदतर बना देगा.कुछ महीनों पहले की तो बात है. आदित्य खुशी से पागल हो रहा था. उसकी सालो की मेहनत रंग लाने वाली थी.उसने चुपचाप अपने आप को इंजेक्शन दिया और बेहोश हो गया.
सूरज आर्मी की परिक्षा पास कर यूनीफॉर्म मे है और हस्ते हस्ते अपने भाई को सीने से लगा रहा है. घर खुशियो से झूम उठा है. आदित्य ने जोरों से अपने भाई को गले लगाने की कोशिश की और उसकी आँख खुल गई. वो हैरान हो गया. अस्पताल का बैड, ग्लूकोज़ की बोतल और आसपास बहुत सारी मशीन. उसे समझ में आया के वो सपना देख रहा था.उसने अपनी असिस्टेंट को देखा और बड़े अचम्भे से पूछा के वो अस्पताल में केसे पहुंचा ?
रोशनी: "आप को सचमुच याद नहीं क्या हुआ था?"
आदित्य: "मतलब, क्या हुआ था?"
रोशनी: " मैं सोमवार सुबह जब लैब में आई तो आप जमीन पर बेहोश थे. मेने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई और आपको अस्पताल लेकर आई. आपकी धड़कने बहुत ज्यादा तेज थी और साँस भी रुक रुक कर चल रही थीं. डाक्टरों को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था. अच्छा है के आप ठीक है. 3 दिन से डाक्टरों की टीम आपको बचाने मे लगी है."
आदित्य: हैरान होकर, "तुम ये कहना चाहती हो के मैं तीन दिनसे बेहोश था. "
"हाँ सर," रोशनी.
आदित्य को कुछ समझ नहीं आ रहा था. उसका सर दर्द दे रहा था और नींद आने लगी.
चिंटू साइकिल चला रहा था और अचानक से एक कार ने जोरों से टक्कर मारी. वो बेहोश हो गया. एंबुलेंस में उसे अस्पताल लाया गया. चिंटू बच गया मगर उससे 6 महीना आराम के लिए कहा गया.आदित्य फिरसे चौंक कर उठ गया. पूरी तरह पसीने में नहाया हुआ. इतना बुरा सपना. उससे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था. आदित्य को कभी सपने नही आते थे लेकिन उस इंजेक्शन के बाद वो जब भी सोता उसे एक नया सपना आता.हर नींद के साथ एक नया सपना. यार, रिश्तेदार, परिवार सारे अपने सपने मे आने लगे और हर सपने के साथ एक नई घटना.
पहेले आदित्य परेशान हो गया लेकिन फिर धीरे धीरे उसे सहज ख्वाब समज कर भूलने की कोशिश करने लगा.वक़्त निकलता गया और आदित्य सपनों को सहेज समझ कर भूलता गया.सफेद शर्ट, ग्रे कोट, बड़ीया परफ्यूम. आदित्य सुबह सुबह तैयार हो गया. उसकी खुशी की कोई सीमा नहीं थी. आखिर क्यूं ना हो आज उसके भाई को आर्मी में अफसर की पोस्ट मिलने वाली थी. सूरज के साथ वो आर्मी कैम्प पर पहुचा.
जगमगाती रोशनी, बैंड की शानदार आवाज और तालियों के आवाज के बीच सूरज को सन्मानित किया गया.आसपास का माहौल देखकर आदित्य को ऐसा लगा के उसने ये जगह पहले देखी है मगर वो जिंदगी में पहेलीबार आर्मी कैम्प में आया था. वो सोचना छोड़ भाई के साथ खुशी महसूस करने लगा. कुछ दिन मे सूरज की पोस्टिंग होनेवाली थी और आदित्य ने बचे दिन भाई के साथ बिताए.
आदित्य अपने काम मे था और अचानक से उसे याद आया आज मिहिर का जन्मदिन है. मिहिर आदित्य का बचपन का दोस्त था. और आदित्य कभी उसका जन्मदिन भूलता नहीं . आदित्य ने सब कुछ छोड़ कर मिहिर को फोन लगाया.दोस्तो के साथ एक पल दुनिया के सारे ग़म भुलाने के लिए काफी है. बहुत सारी बातें, पुरानी यादें और मस्ती चली. आदित्य ने पूछा "घर पर सब कैसे है. "
मिहिर: "यार, मैंने बताया नहीं . कुछ दिनों पहले चिंटू के साथ हादसा हो गया. किसी कार वाले ने उसकी सायकिल को टक्कर मारी. बहुत ज्यादा खून बह गया था. वो तो एम्बुलेंस आ गई और वो अस्पताल वक़्त पर पहुंच गया. अभी ठीक है लेकिन 6 महीने का आराम बोला गया है."
आदित्य वापस हैरान हो गया. उसे हर एक बात याद आने लगी. इंजेक्शन, 3 दिन अस्पताल, सारे सपने और हकीकत मे होने वाली घटनाएं , उसे यकीन
नहीं हो रहा था के उसका रिसर्च काम कर रहा है. इंसान अपने दिमाग को इतना तेज कर दे के उसे भविष्य दिखने लगे.उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.मगर ये खुशी लंबी नहीं चली. धीरे-धीरे सारे सपने सच होने लगे. वो अपनों की खुशियों के साथ-साथ दर्द, चीखें और बेबसी भी पहेले ही देख लेता. सब देखने के बावजूद ना वो उसे बदल सकता और नहीं किसको बता पता.
आशीर्वाद अभिशाप में बदल रहा था. अब आदित्य हर नये सपने साथ बेचैन और लाचार मेहसूस कर रहा था. उसे समज मे आ गया के इंसान चाहकर भी भगवान नहीं बन सकता.अभीतो उसे सबसे भयानक सपने का सामना करना था जिसके बारेमे उसने सोचा तक नहीं था.
आदित्य लैब में काम रहा था और अचानक से धमाका हुआ. वो स्ट्रेचर में लेटे मौत और जिंदगी की जंग लड़ रहा था और डाक्टर उसे ऑपरेशन थिएटर की तरह ले जा रहा था. इस ख्वाब के बाद आदित्य सोया ही नहीं. वो सपने में अपनी मौत नहीं देखना चाहता.उसकी हालात जिंदा लाश की तरह होगई. उसने अपने आपको घर मे बंद कर दिया. वो मरना नहीं चाहता था. मगर बगैर सोये कोई कितने दिन जिन्दा रह सकता है.मौत का खौफ मौत से ज्यादा भयानक होता है. अब वो हर पल मर रहा है.
