कब्बाली डा
कब्बाली डा
मैं: एक चाय देना भईया...!!!
कुमार: राजा सर “रजनीकांत सुपर हीरो सर, फुल एक्शन, स्टाइल. कबाली सर बुक टिकेट।”
मैं चाय का कप हाथ में लिए उसकी टूटी फूटी हिंदी + अंग्रेजी + तमिल सुनता और चाय का रस लेता।
कुमार: “ओके सर, कबाली डा ....!!!!”
और वो अपनी चाय की ट्रोली ले गया।
कुमार हमारे कैंटीन के डिलीवरी पर्सन और रजनीकांत के डाई हार्ट फैन। जब भी इनसे मुलाकात होती तो रजनीकांत के बारे में बताने लगते। कबाली मूवी आने में जब 6 महीने का वक्त था तब ही से वो शुरू, “ राजा सर कबाली मूवी फुल एक्शन मूवी है। फ्रेंड्स के साथ देखना सर।"
तब एडमिन ने उसकी इस कमजोरी का फायदा उठाया और जैसे ही वो चाय देने आता तो मैं कुमार को बोलता, “काबाली डा... रजनीकांत सुपरस्टार” और कुमार इतना खुश होता की चाय के साथ बिस्कुट का पैकेट भी पकड़ा जाता।
एक बार तो वाक्या ये हुआ की अपन कंप्यूटर पर बैठे काम कर रहे की वो आया... “सर, राजा सर, प्लीज कम आउटसाइड।"
मैं बहार गया तो उधर कुमार के साथ एक जनाब थे।
कुमार: “मुरली राजा सर फुल रजनी फैन।”
और मुरली भी बड़ी उत्सुकता से मुस्कुराते हुए मुझसे हाथ मिलाने लगा। मुरली: सर आई मुरली सुपरस्टार रजनीकांत फैन।
कुमार: ओके राजा सर...वन्नाक्कम !! चाय देना है थर्ड फ्लोर पे।और ट्रोली लिए कुमार और रजनीकांत मेरे दिमाग में अपनी एक ख़ास पहचान लिए उस संकरी गली में निकल लिए।
यहाँ तो मैं बस इतना ही कहना चाह रहा हूँ की यादों में घर करने वाले जरुरी नहीं की ख़ास हो दुनिया में अदब और आदर से मिलने वाले साधारण लोग भी ख़ास बन जाते हैं।