कातिल (who never murdered) भाग-5
कातिल (who never murdered) भाग-5


अगली सुबह माधवी अपने कमरे मे परेशान सी चहलकदमी कर रही थीं। वो सुबह से दस बार शैलेश को फोन कर चुकी थी लेकिन पूरी घंटी बजने के बाद भी कोई रिप्लाय नहीं आया था।
“ये शैलेश मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहा? यहां इतनी टेंशन चल रही हैं और इनको कोई परवाह ही नहीं है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि पुलिस को उन फोन कॉल्स का सच बता देना चाहिए या नहीं। ये शैलेश भी फोन नहीं उठा रहा तो फिर उन फोन कॉल्स के बारे मे पता कैसे चलेगा?” माधवी फोन मिलाते हुए बड़बड़ा रही थीं।
जब वह फोन करते करते थक गई लेकिन कोई रिप्लाय नहीं आया तो उसे गुस्सा आने लगा। उसने फोन बिस्तर पर पटका और धम्म से बैठ गई। थोड़ी देर तक यूँ ही बैठने के बाद उसे घबराहट होने लगी।
“कहीं उसे भी तो कुछ हो तो नही गया? कहीं उस कातिल ने उसे भी तो....। नहीं नहीं माधवी ऐसा मत सोच। उसे कुछ नहीं हुआ है। कल रात को उसने टेंशन में ओवरड्रिंक की होगी और इसी की वजह से उसकी नींद नहीं खुली होगी। वैसे भी टेंशन में ज्यादा पीने की आदत है।” हाथों को मलते हुए माधवी सोच रही थीं।
अपनी ही सोच में डूबी हुई माधवी धीरे-धीरे चलकर अपने कमरे से बाहर आई और विधान से टकरा गई। विधान उसे देखते ही बोला- “आप यहाँ पर क्या कर रही हैं मॉम? जल्दी चलिए नीचे एसीपी अर्जुन और इंस्पेक्टर प्रिया आये हुए हैं। पता नहीं क्या बताना चाहते है। हम दोनों को साथ में नीचे बुलाया है।”
“क्यों कुछ पता चला है क्या?” माधवी ने पूछा। उसके दिल में घबराहट हो रही थीं कही अर्जुन को उनका सच पता तो नहीं चल गया। “वो तो नीचे जाने पर ही पता चलेगा।” विधान के इतना कहते ही माधवी नीचे की ओर दौड़ी।
नीचे एसीपी अर्जुन प्रिया के साथ उनका इंतजार कर रहा था। माधवी ने सीढ़ियों से उतरते हुए पूछा- “कहिये एसीपी अर्जुन, कुछ पता चला पुरषोत्तम के कातिल के बारे मे?”
“जी उस बारे मे तहकीकात चल रही हैं पर फिलहाल हम यहां पर किसी और सिलसिले में आये हैं।” अर्जुन ने रहस्यमयी ढंग से कहा।
“किसी और सिलसिले में? आखिर बात क्या हैं एसीपी अर्जुन?” विधान ने पूछा और माधवी ने उन्हें सोफे पर बैठने का इशारा किया।
“यह तो आपको मिस्टर विधान ही बता सकते हैं माधवी जी।” यह कहते हुए अर्जुन ने मेज पर एक कागज़ निकाल कर रखा और फिर विधान की ओर देखने लगा।
“व्हाट डू यू मीन एसीपी अर्जुन? इस केस को आप हैंडल कर रहे है तो जो कुछ भी होगा वो पहले आपको ही पता होगा। मैं कैसे बता सकता हूँ कि इस केस में आपको क्या सुराग मिला?” विधान ने कहा तो अर्जुन को हँसी आ गई।
“यू आर राइट मिस्टर विधान लेकिन आपसे जुड़ा हुआ सच तो आप ही बता सकते है ना मिस्टर विधान।” अर्जुन ने कहा।
“ये सब क्या हो रहा है एसीपी अर्जुन? क्या कोई मुझे बतायेगा कि ये सब चल क्या रहा है। आपको जो भी कहना हैं, साफ साफ कहिए।” समझ ना आने वाली बातों से परेशान माधवी ने पूछा।
अर्जुन ने विधान की ओर देखा। “अच्छा, क्या है मेरा सच? मुझे तो पता नहीं शायद आपको पता हो। सो आप ही बता दीजिए मेरा सच।” विधान ने कुछ चिढ़ते हुए कहा।
फिर विधान की ओर देखते हुए अर्जुन ने माधवी से कहना शुरू किया- “दरअसल क्या है ना माधवी जी, आपके ये सुपुत्र मिस्टर विधान सिंघानिया एक काबिल बिजनेसमैन ही नहीं बल्कि एक अच्छे स्क्रिप्ट राइटर भी है।”
“व्हाट नॉनसेंस आर यू टॉकिंग अबाउट एसीपी? मैने कौन सी स्क्रिप्ट लिखी हैं? शायद आप भूल रहे है कि मैं एक बिजनेसमैन हूँ, कोई स्क्रिप्ट राइटर नही।” विधान को गुस्सा आने लगा।
“आप बिल्कुल सही कह रहे है मिस्टर विधान कि आप कोई स्क्रिप्ट राइटर नही है लेकिन ढाई साल पहले अपने डैड के एक्सीडेंट की स्क्रिप्ट तो आपने ही लिखी थी। एम आई राइट ओर एम आई राइट मिस्टर विधान?” अर्जुन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
इतना सुनते ही माधवी और विधान चौक गए। विधान गुस्से में खड़ा हुआ और उसके साथ अर्जुन और प्रिया भी खड़े हो गए। विधान ने गुस्से में अर्जुन की जैकेट का कॉलर पकड़ लिया। यह देखकर माधवी और प्रिया दोनों को एक दूसरे से छुड़वाने की कोशिश करने लगे।
“देखो एसीपी मैं बहुत देर से तुम्हारी बकवास को इग्नोर कर रहा हूँ तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हारे मन में जो आएगा तुम कहते जाओगे और हम सब चुपचाप सुनते रहेंगे।” अर्जुन ने अपना कॉलर विधान से छुड़वा लिया था।
“आठ दिन तक जब तुम्हें कातिल के बारे में कोई सबूत नहीं मिला तो तुम मुझपर उल्टे सीधे एलिगेशन्स लगा कर अपने प्रमोशन के लिए मुझे मेरे ही डैड के मर्डर केस में फँसाना चाहते हो। जानते हो इसका अंजाम क्या हो सकता है।” विधान ने अकड़ कर कहा।
“तुम्हारी किस्मत अच्छी है मिस्टर विधान कि तुम इस वक्त अपने घर में हो, मेरे लॉकअप में नही वरना तुम्हारी इस हरकत का जवाब मैं तुम्हें अपने तरीके से देता। और रही बात तुम पर झूठे एलिगेशन्स लगाने की तो मेरे पास उस कार ड्राइवर का बयान और उसका बैंक स्टेटमेंट हमारे पास है जो उस एक्सीडेंट को एक साज़िश साबित करने के लिए काफी है इसलिए बेहतर होगा कि तुम हमारे सामने सारा सच बोल दो।” अर्जुन का पारा सातवें आसमान पर था।
विधान ने मेज पर रखें उस कागज़ को देखा जो उसी कार ड्राइवर का बैंक स्टेटमेंट था, जिसका उस दिन एक्सीडेंट हुआ था। कागज़ देखकर विधान के पास अब सच बताने के अलावा और कोई रास्ता नही था।
“तुम ठीक कह रहे हो एसीपी, यह कोई एक्सीडेंट नही बल्कि एक सोची समझी साज़िश के चलते हुआ था। यह प्लान डैड ने मेरे साथ मिलकर बनाया था हमारे बिजनेस राइवल मिस्टर रॉय को बदनाम करने के लिए। क्योंकि डैड की सोशल इमेज एकदम क्लियर है तो उनकी बात पर हर कोई आसानी से यकीन कर लेता।”
“हमने इस काम के लिए अपने ड्राइवर को तैयार किया। हमारा प्लान था कि किसी तरह मिस्टर रॉय के ड्राइवर को डैड की कार से छेड़छाड़ करने के लिए उकसा कर अपनी कार का छोटा सा एक्सीडेंट करवाया जाए जिसका इल्जाम मिस्टर रॉय पर आएगा।”
“सब कुछ हमारे प्लान के मुताबिक हुआ। हमारे ड्राइवर ने मिस्टर रॉय के ड्राइवर से दोस्ती बढ़ाकर उसे भड़काया और उसने भी वहीं किया जो हम चाहते थे। उसने गाड़ी के टायर्स लूज कर दिये जिसकी वजह से वो एक्सीडेंट हुआ लेकिन हमें यह आइडिया नहीं था कि उस बेवकूफ़ ने गाड़ी के चारों टायर्स ही लूज कर दिए जिसकी वजह से यह एक सीरियस एक्सीडेंट में कन्वर्ट हो गया। थैंक गॉड उस वक्त दीप्ति वहाँ पहुंच गई नही तो......” विधान सोफे पर बैठकर कहानी सुना रहा था जिसे सुनकर सभी हैरान रह गए सिवाय अर्जुन के।
“फिर हमने जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ। मीडिया के जरिए यह बात फैल गई कि मिस्टर रॉय ने डैड को रास्ते से हटाने के लिए अपने ड्राइवर का इस्तेमाल किया। उसके बाद तो जैसे हमारे बिजनेस को चुनौती देने वाला कोई बचा ही नहीं। हमने अपने ड्राइवर के अकाउंट में पचास लाख रुपये भी ट्रांसफर किये क्योंकि वो डैड का सीक्रेट पार्टनर इन क्राइम था। किसी के बारे मे कोई भी बात, किसी की कोई भी कमजोरी पता करके वो डैड को बताया करता था जिसका फायदा उठा कर डैड उन्हें अपने रास्ते मे आने से रोक लिया करते थे और अब उनका यह पार्टनर उसी एक एक्सीडेंट की वजह से बिस्तर पर अपने दोनों पैर कटवा कर लाचार पड़ा था।” विधान की कहानी पूरी हो चुकी थीं।
“तो क्या दीप्ति इस एक्सीडेंट की सच्चाई जानती हैं? क्या वो भी इन सब में तुम्हारे साथ शामिल है?” अर्जुन ने पूछा।
“पहले तो उसे कुछ भी नहीं पता था लेकिन एक साल पहले उसने हम दोनों कन्वर्सेशन सुन ली थी जब हम अपने लिए उस ड्राइवर की जगह एक नया आदमी ढूंढ रहे थे जो हमारे लिए काम कर सके और ईमानदार हो। तब उसने हमसे हमारे लिए यह सब करने के लिए कहा। पिछले साल में उसने ईमानदारी से इस कम्पनी के लिए काम किया था इसलिए डैड ने उसे अपने इस काम मे भी इन्वॉल्व कर लिया। उसके बाद तो जैसे उसने उस ड्राइवर को भी पीछे छोड़ दिया। उसकी वजह से हमारे सारे इनलीगल काम चुटकियों में होने लगे। इसी वजह से डैड उसे काफी दिनों से बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स में शामिल करना चाहते थे लेकिन मॉम इसके लिए तैयार नही थी। फिर डैड ने पिछले हफ्ते उसे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स में शामिल कर ही लिया।” विधान ने राज खोला।
“माधवी जी, क्या आप इस बारे में जानती थी?” अर्जुन ने पूछा लेकिन उसे कोई जवाब नहीं सूझा। वो यह बात जानकर सदमे में थी कि दीप्ति को बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स में शामिल करने की वजह ऐसी भी हो सकती हैं।
“अब मैं आपसे क्या कहूँ एसीपी अर्जुन। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि पुरषोत्तम ऐसा कुछ भी कर सकते थे। अगर मुझे यह सब पता होता तो मैं उन्हें ऐसा कभी करने ही नहीं देती।” माधवी ने कहा।
वहाँ से निकलने के बाद प्रिया और अर्जुन जीप के पास खड़े हुए थे। प्रिया ने अर्जुन से कहा- “अर्जुन आई कांट बिलीव इट, ये सिंघानिया तो राम के भेष में रावण निकला।”
“इसमें इतना चौंकने की जरूरत नहीं है। आज कल दुनिया रावण की ही पूजा करती है प्रिया।” अर्जुन ने मुँह में मिंट डालते हुए कहा।
“तो क्या हम विधान को अरेस्ट नहीं कर सकते नकली एक्सीडेंट प्लान करने के जुर्म में? उसने खुद ही तो अपना क्राइम कन्फेस किया है।” प्रिया ने पूछा।
“नही केवल उसके कह देने भर से कुछ नही होगा। उसके लिए हमें सबूत ढूंढने होंगे। इसी वजह से तो उसने अपने सारे कारनामे हमारे सामने खोल दिए क्योंकि वह जानता है कि उसके खिलाफ सबूत मिलना इतना आसान नहीं।” अर्जुन ने कहा
“लेकिन वो बैंक स्टेटमेंट और ड्राइवर का बयान भी तो है और मिस्टर रॉय से भी तो हेल्प ली जा सकती हैं।” प्रिया ने याद दिलाया।
बैंक स्टेटमेंट में ड्राइवर के घर के लिये लोन के तौर दिये गए थे। बयान वाली बात झूठी थी और मिस्टर रॉय ने सुसाइड कर लिया। अर्जुन ने बताया तो प्रिया का मुंह खुला का खुला रह गया।
“क्या? मिस्टर रॉय ने सुसाइड कर लिया। कहीं ऐसा तो नहीं कि कोई उनकी मौत का बदला सिंघानिया फैमिली से ले रहा हो?” प्रिया ने शक जाहिर किया।
नही मर्डर की इस प्लानिंग के लिए इतना कम वक्त नही लग सकता। यह तो कोई और ही है। वैसे भी सिंघानिया की साज़िश और मिस्टर रॉय की डेथ के बाद उनका परिवार सड़क पर आ चुका है। अर्जुन ने बताया तो प्रिया का मुंह लटक गया।
तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया जिसे पढ़कर वो खुश हो गई। जब अर्जुन ने इसकी वजह पूछी तो वह खुश होते हुए बोली- “तुमने जो काम दिया था वो पूरा हो चुका है। अब हम जल्दी ही कातिल की ओर बढ़ेंगे।”
“क्या बात है। एक दिन पहले ही पूरा हो गया। चलो अभी चलते हैं शाम तक पहुंच जाएंगे।” अर्जुन ने कहा तो प्रिया ने मना किया क्योंकि आज कमिश्नर साहब के घर पार्टी थीं। यह सुनते ही अर्जुन शरारती लहजे में बोला- “आप मेरे साथ चलना पसंद करेंगी मिस प्रिया?”
इस पर प्रिया ने नाराज़गी जताते हुए कहा- “यह कब तक चलेगा अर्जुन? इससे अच्छा तो तुम कॉलेज में थे।”
“डोंट वरी मिसेज प्रिया बिष्ट आप जो चाहती हैं वो जल्दी ही पूरा होगा। फिलहाल पार्टी के लिए तैयार होने चलते हैं।” इतना कहकर अर्जुन हँसने लगता हैं।