काली जमानत
काली जमानत
ठीक छोटी दिवाली वाले दिन स्कूटर चोरी हो गया। सिर्फ दो या चार मिनट हुए होगें, कोई पार्किंग में से कालीचरण का स्कूटर चुरा कर ले गया। उदास मन से वो घर पहुंचे तो पता चला कि कोई उनके बेटे के हाथ से उसका फोन छीनकर ले गया है। कालीचरण की तो दिवाली ही काली हो गई। वह अपनी छोटी सी दुकान से घर का पालन करते थे। ये चोरियाँ उनके लिए बहुत बड़ा धक्का थीं।
कुछ दिनों बाद की बात है, कालीचरण अपने बेटे के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में बेटे ने अपना फोन छीनने वाले चोर को पहचान लिया। दोनों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। सयोंग से वही चोर कालीचरण
का स्कूटर चुराने वाला निकला। पुलिस पूछताछ में उसके पास से कई गाड़ियाँ व फोन भी बरामद हुए। कालीचरण ने उस चोर को हर हालत में सजा दिलाने की ठान ली ताकि किसी और की दिवाली ऐसे चोरों के कारण काली न हो पाये। चोर सलाखों के पीछे तो पहुँच गया पर दो दिन बाद उसे अदालत से जमानत मिल गई। चोर अपने वकील के पास गया। बातचीत के सिलसिले में चोर ने वकील से कहा कि कोर्ट कचहरी के चक्कर में बहुत पैसा खर्च हो गया, अब बड़ा हाथ मारना पड़ेगा।
सुबह कालीचरण जब अपनी दुकान पर पहुँचा तो वहाँ बहुत भीड़ जमा थी। वहाँ उन्हें पता चला कि उनकी दुकान में चोरी हो गई है।