STORYMIRROR

amit mohan

Children Stories Tragedy

3  

amit mohan

Children Stories Tragedy

गली का पत्थर

गली का पत्थर

2 mins
233


मैं गली का पत्थर हूँ। बीस साल पहले कोई मुझे उठाकर गली के किनारे रख गया था ताकि किसी को ठोकर न लग जाये। तब से मैं ऐसे ही पड़ा हूँ एक बेजान वुत की तरह पर पहले ऐसा नहीं था। मैं पूरी गली में घूमता रहता था। कभी-कभी तो तालाब या खेत तक पहुंच जाता था।

मुझे नहीं पता मैं इस गली में कैसे आया। शायद कोई बच्चा खेलने के लिए मुझे उठाकर इस गली में ले आया था। इसके बाद तो मैं बच्चों का प्रिय बन गया। क्रिकेट खेलने के लिए मुझे ढूंढा जाता और मुझसे ही विकेट बनाया जाता। कई बार तो टॉस करने के लिए भी मेरा प्रयोग होता। बच्चे गिट्टू फोड़ खेलते तो मुझे जरूर लगाते और न जाने क्या-क्या खेल खेलते थे मुझसे।

लड़कियाँ मुझसे गुट्टे खेलती। इक्कल दुग्गल या टीवी खेलन

े के लिए मुझे अपनी गोटी बनाती। बच्चे मुझे मार-मारकर आम-जामुन तोड़ते। इस चक्कर में मैं कई के सिर भी फोड़ चुका था। बच्चे तालाब में मुझे टप्पे खिला-खिलाकर देखते। किसी का पानी पर एक टप्पा, किसी के तीन-चार टप्पे। कोई बच्चा तो 15 -15 टप्पे भी खिला देता था मुझे। खेलने के बाद बच्चे मुझे वहीं छोड़ जाते। जिससे गली में गुजरते लोगों को मुझसे ठोकर लग जाती फिर वो बच्चों के लिए कहते कि काश ये बच्चे न खेलें।

शायद इन्हीं लोगों में से किसी की बददुआ लग गई है बच्चों को। कोई गली में खेलने नहीं आता। अब टीवी पर कार्टून ही देखते रहते हैं। जब से स्मार्ट फोन आये हैं किसी बच्चे ने मुझे देखा तक नहीं है। शायद उन बच्चों को मालूम भी न हो कि पत्थर होता क्या है...?


Rate this content
Log in