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कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा "दीपक"

Abstract Drama Romance

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कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा "दीपक"

Abstract Drama Romance

जमशेदपुर की रानी

जमशेदपुर की रानी

5 mins
280

 गलत तुम नहीं गलत तुम्हारे अंदर बैठा ना पिघलने वाला दिल है क्यूँकि उसे उन सारे दर्द का अहसास नहीं है जिससे वो गुजरा नहीं जैसे वो नहीं जानता किसी को टूटकर चाहने के बाद बिछड़ने का दर्द, वो एक-दूसरे को धोखा देने का दर्द, वो नहीं जानता किसी के करीब होते हुए भी बात ना होने का दर्द। ये सारे दर्द वही जानता है जिसने उस कठोर दिल के आगे खुद की इच्छाओं का गला घोट दिया उसके सामने समर्पण कर दिया। अब ये तुम्हारा कठोर दिल संभाले तुम्हारे ईगो को, बचाए तुम्हारी इज्जत को।लेकिन सुनो! जबभी अकेले दिल का खालीपन तुम्हें सताएगा तुम्हें जरूरत किसी के दूसरे दिल की जरूर पड़ेगी फिर चाहे वो दिल अपनों का हो या जो अपनों से बढ़कर हो जाते है उन परायों का।

समझ नहीं आ रहा है कि ये दूरियाँ है या अपनापन।पहले नींद खुलते और सोने से पहले मेरे प्यार की जरूरत थी मेरी आवाज़ जो तुम्हारा दिनभर साथ देती थी मेरा चेहरा देखकर तुम्हारा पूरा दिन अच्छा जाता था। पर आज वक्त ऐसा है कि इन सबकी तुम्हें जरूरत नहीं रह गई।पता है जब उसका अपना कोई उससे बात ना करे तो दिल में एक अजीब सा दर्द होता है जिसे सहन करना और समझ पाना भी मुश्किल हो जाता है मन सिर्फ अकेले रहने का करता है मन में अजीब अजीब ख्याल आने लगते है दुनियाँ सारी मतलबी लगने लगती है किसी दूसरे से बात करने का मन नहीं करता है सारी चीजों पर चिड़चिड़ाहट सी छा जाती है।मन सोचता है कि काश यार भगवान ने ऐसा हमको बनाया ही क्यूं अगर हम घमंड करना भी चाहे तो किस चीज पर करें। क्या हमको प्यार करने का और प्यार से जीने का हक़ नहीं है क्या किसी की दो प्यारी बातों को साथ रहने का हक़ नहीं है।हम हनुमान बनकर सीना चीर के अपना प्यार तो दिखा नहीं सकते और ना ही आज के युग में Practically ऐसा संभव है पर इतना जरूर है, मेरे मरने के बाद अगर तुम मेरी मेमोरी को देखोगी ना तो उसमें तुम्हारे अलावा और कोई नहीं होगा।

तुम बात करती हो तो लगता है एक नयी उम्मीद हो तुम,Chat के पीछे से तुम्हारे मन की हंसी देख नहीं सकते पर महसूस कर सकते है,चेहरा तो देखा नहीं तुम्हारा पर दिल खोलकर बात करना ही तुम्हें चांद से ज्यादा खूबसूरत कर देता है,दुनियाँ भले ही लडकियों पर संस्कारी डंडे चलाती हो पर मुझे तुम आजाद पंछी की ही तरह पसंद हो,तुम्हारा अतीत कुछ भी रहा हो पर जो वर्तमान में हो तुम वही सही है,रहती भले ही हमसे दूर हो पर तुम्हारा देशीपन और औघड़ शब्दों का मुख से निकलना मेरे पास होने का अहसास देता है, तुम जैसी हो बहुत अच्छी हो बहुत पसंद हो,तुम्हें जो मोह माया लगती है असल में वो तुम मेरे दिल में पनप रहा रासायनिक पदार्थ हो।तुम्हारे लिए मैं बहुत तेज हो सकता हूँ पर प्रेम की रेल में उतना ही पीछे हूँ। तुम पागल कहती हो सही है क्यूँकी दुनिया की नहीं मैं दिल की सुनता हूँ। पता नहीं तुम किसी को चाहती हो या नहीं अगर नहीं तो शायद कोई तुम्हें तुम्हारे जैसा न मिला....कईयों की चाहत भी होगी तुम पर मुझे मेरे जैसा तुम मिल गया...मजाक करने की और भाई बनाने की आदत है तुम्हारी पर एक बार की निराशा से तुम अपने आप से मुँह तो नहीं मोड़ सकती। तुमने बोला था उस दिन कि जिज्ञासा है तो सब्र रखो उस दिन से फिक्र के साथ सब्र कर रहे है...पर मन में अगर थोड़ा भी कुछ अगर हो अपने आप से नजरें चुरा लेना पर दिल से नहीं Direct न सही Indirect ही बता देना हम समझ जायेगें अमा अब इतने भी पागल नहीं है जितना समझते हो.....कहते है उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता ये भी कहा जाता है एक-दूसरे से मिलना उसके द्वारा ही डिसाइड होता है अगर ये सब सही है तो हम गलत कैसे??? क्यूँ आपसे मुलाकात हुई एक दूसरे को जानते तक न थे ?? क्यूं बस चार बातों मे ही हम दोनों इतना close हो गए जैसे कि बहुत दिनों से बात होती हो??? शायद उसी की योजना है हम दोनों की नजदीकियों को बढ़ाने का,एक-दूसरे को समझने का.......हाँ अब यारा ये मत कह देना कि कितनों को ये dialogue चिपकाया है मैं pure hearted तुम्हारे लिए हमेशा साथ हूँ। फ़िर से- "आई लव यू" ....मिस्टर KP को तुम्हारा इंतजार है...

मन मायूष है पर करें तो क्या करें, उदास तेरा गुस्सा नहीं करता बल्कि तेरी बोली करती है। एक तरफ तो तुझे मुझसे बहुत प्यार है फ़िर गुस्से में क्षण भर में उसी प्यार की ऐसी-तैसी कर देती हो चलो फिरभी मैं इससे उदास नहीं क्यूंकि शायद ये पिछ्ले कर्म का फल है। उदास हो जाता हूँ तब, चुप हो जाता हूँ तब जब कहती हो कि हमें प्यार ही नहीं, मुझे मिलना ही नहीं, मुझे ये सब पसंद ही नहीं भले ही ये गुस्से में कहती हो या झूठ पर ये शब्द मेरे मन में छूरी चला देते है। इन शब्दों के आगे मेरे प्यार की अहमियत तक होती है जिस प्यार को मैं अपनी पलकों पर सजाना चाहता हूँ उसका बिस्तर बिछाने से पहले उजाड़ देती हो। मन को कष्ट है बहुत आज मन से अच्छा न महसूस हो रहा बस इसी तीन चीजों से- हमें प्यार ही नहीं, मुझे मिलना ही नहीं, मुझे ये सब पसंद ही नहीं .....जिस प्यार को इतना संजोये है उसको तोड़ने में जरा सा दर्द न होता तुमको ? हर बात पर ये कहना जरूरी है क्या...


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