PRAVEEN KUMAR BASHAK

Inspirational

4.0  

PRAVEEN KUMAR BASHAK

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जल और जाति

जल और जाति

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जब मैं या देखता हूं, कि अभी के समय में जाति कितनी बड़ी चीज हो गई। जाति के लिए लोग जान तक गंवा देते और जान तक भी लेते। यह उस समय की बात है जब तीन दोस्त भरी दुपहरी में अपने गांव से घूमने के लिए निकलते हैं ,कुछ दूर पहुंचने के बाद वह कहीं बैठ जाते हैं, पेड़ की छांव के नीचे और उसमें से एक दोस्त कहता है। भाई मुझे तो प्यास लगी है प्यास के मारे वह इधर-उधर भटकने लगते हैं। अंत में खेत में एक बूढ़े व्यक्ति को देखते है वह व्यक्ति से कहता है कि बाबा थोड़ा पानी मिलेगा बूढ़ा व्यक्ति पूछता है कि बेटा कौन जात हो। वह जवाब देता है कि हम शूद्र है और बूढ़ा व्यक्ति एक ब्राह्मण होता है। वह उसे पानी देने से मना कर देता है, दोनों में झगड़े हो जाते हैं इसी बीच बूढ़े व्यक्ति के पोते आते हैं और वह पूरी बात को सुनते हैं और अंत में वह कहता है कि बाबा फिलहाल तो इस व्यक्ति को जल की जरूरत है, जाति की जरूरत नहीं है बूढ़ा व्यक्ति अंततः यह मान जाता है उसका पोता उसे यह बताना चाहता है कि जल की जरूरत है, ना की जाति की जरूरत है इसलिए पहले जल उसे देनी चाहिए।


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