NOOR E ISHAL

Comedy Drama Action

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NOOR E ISHAL

Comedy Drama Action

जियें तो जियें कैसे बिन आपके

जियें तो जियें कैसे बिन आपके

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जियें तो जियें कैसे बिन आपके...

जिये तो जिये कैसे,बिन आपके

लगता नहीं दिल कहीं,बिन आपके

कैसे कहूँ बिना तेरे ज़िन्दगी ये क्या होगी

जैसे कोई सज़ा, कोई बद्दुआ होगी

मैने किया है ये फ़ैसला,

जीना नहीं है तेरे बिना

मुझे कोई दे दे जहर, हँस के मैं पी लूँगा

हर दर्द सह लूँगा , हर हाल में जी लूँगा

दर्द-ए-जुदाई सह ना सकूँगा ,

तेरे बिना मैं रह ना सकूँगा

देख के वो मुझे तेरा पलकें झुका देना

याद बहोत आये तेरा मुस्कुरा देना

कैसे भूलाऊँ वो सारी बातें,

वो मीठी रातें, वो मुलाक़ातें...

आप को हमसे मिले कई दिन हो गये हैं..आपने तो हमसे किनारा ही कर लिया है आपकी मसरूफियत हमारी जान लिये जा रही है। आप वापस कब आ रहीं हैं। आपको देखने के लिए बेहद मुन्तजिर।

सिर्फ और सिर्फ आपका..

राशिद

फूलों के प्यारे से बुके के साथ एक पाती प्रेम भरी मेरी टेबल पर मौजूद थी। यकीनन ऑफिस में नया आया है तभी तो उसको पता ही नहीं कि मेरी शादी हो चुकी है और रब के करम से अपनी इस प्यारी सी दुनिया में मैं बहुत ख़ुश हूँ.

"क्या बात है नूर आज टेबल बहुत महक रही है.." समाना आपा जो उम्र में मुझसे काफी बड़ी थी और मुझे बिलकुल छोटी बच्ची की तरह समझती थी फूलों को देखकर अपना काम छोड़कर मेरे पास चली आयीं।

"जी, मैं भी वही देख रही हूँ। और समझने की कोशिश कर रही हूँ कि आखिर माजरा क्या है " मैंने उनसे कहा

" love letter sssssssss" उनकी चीख निकल गयी

"समाना आपा ss बस करें" मैंने जल्दी से उनकी चीख अपने हाथों से उनके मुँह में ही दबा दी थी

"आपा पहले मुझे ये पता करने तो दें कि ये मेरा है या नहीं। कहीं कोई गलतफहमी तो नहीं हुई है किसी को। यहाँ सबको मालूम है मेरी शादी हो चुकी है.जयान से सब मिल चुके हैं। फिर इस तरह की हरकत आपको किसी गलतफ़हमी का हिस्सा नहीं लग रही है क्या?" मैंने एक साँस में अपनी बात कहकर हाथ उनके मुँह से हटा लिया क्यूँकी समाना आपा का मुँह मैं ज़्यादा देर बंद नहीं कर सकती थी

" हाँ ssss। ये तो मैंने सोचा ही नहीं था।

"अब ये पता करते हैं कि ये राशिद कौन हैं" मैंने समाना आपा से कहा

"ठीक है मैं इसकी कुन्डली निकलवाती हूँ। Don't worry baby I'm here for you.कल आपका मुजरिम मेरे साथ आपकी खिदमत में हाजिर होगा। राशिद अब तेरी खैर नहीं "समाना आपा जेम्स बॉन्ड स्टाइल में जाते हुए बोली

मुझे उनकी ये हरकत देखकर हँसी आ गयी थी। सच कहूँ तो मुझे इस तरह की हरकत से ना कोई खौफ था और ना ही मैं इस अहमाकाना हरकत पर कोई खास ध्यान देने वाली थी खामोशी से वो फूल बाहर रखवा देती और वो लेटर डस्टबिन में चला जाता। मगर समाना आपा ने आकर राई का पहाड़ बना दिया था.

अगले दिन समाना आपा मुँह लटकाये मेरे सामने मौजूद थी "क्या हुआ समाना आपा सब खैरियत तो है" मैंने उनका उतरा चेहरा देखकर पूछा। मेरी बात सुनकर उन्होंने अपने हाथ में पकड़ी लिस्ट खोल दी जिसे देखकर मेरी हँसी छूट गयी..। हमारी फर्म में तकरीबन बीस राशिद थे और मेरी जेम्स बॉन्ड दुविधामयी स्थिति में आ गयी थी.

मैंने अपनी हँसी दबाते हुए पूछा," आपा अब??? "

"तू परेशान ना हो बच्ची..मैं हूँ ना। कुछ सोचती हूँ."

आपा कुर्सी से उठकर इधर उधर टहलते हुए बोलीं

"" आइडिया,,, नूर क्या तुम एक छोटी सी ऑफिशियल गेट टू गैदर का इन्तेजाम करा सकती हो? "

" आपा आप क्या सोच रहीं हैं। मैं अरेंज कर दूँगी पर आपका प्लान क्या है ?"

" नूर हम सारे राशिदों को इस पार्टी में बुलाते हैं और जो राशिद टपोरी टाइप होगा उससे पूछताछ शुरू कर देंगे। तुम फ़िक्र ना करो मैं एक ही नज़र में उस टपोरी राशिद को पहचान लूँगी।

"आपाsss,,, क्या ये काम करेगा"

"बच्ची 100% काम करेगा."

अगले दिन शाम को पार्टी में एक एक करके सारे राशिद आ चुके थे और सभी एक से बढ़कर एक डीसेंट और वेल मैनर्ड थे। आपा टोटली कन्फ्यूजिया चुकी थी कि कौन सा राशिद टपोरी है। उन्होंने बड़ी बेचारगी से मुझे देखा और कहा,

" बच्ची I'm lost। "

मुझे हंँसी आ गयी। तभी एक आवाज़ ने हम दोनों का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया

"Are you mrs.Noor ."

"Yes.."

"Ma'am मैंने कल आपकी टेबल पर वो बुके और लेटर रखा था दरअसल हुआ ये कि..." अभी मुजरिम राशिद अपनी बात पूरी कर ही पाता कि आपा खूंखार भेड़िये की तरह उस पर हमला कर चुकी थी।

दो घूँसे चार लातें मारकर दो बार सिर के बाल पकड़कर उसे झिंझोडकर गुर्राते हुए बोली। "ऑफिस में छेडछाड़ करता है

फूल भिजवाता है.। "

" अरे ma'am आप मेरी बात तो सुनिये.." आपा की इस हरकत से हम सभी हक्का बक्का थे.।

"क्या सुनाएगा बता.." आपा कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी

"खबरदार मैडम, अगर जरा भी हिली तो आपकी गरदन उड़ा दूँगा.। अब मेरी बात सुनें। वो बुके और लेटर हमारे ऑफिस की तरफ से होने वाले एक रोमांटिक प्ले की स्क्रिप्ट था जो बॉस की वेडिंग एनिवर्सरी पर हम सब करने वाले थे। क्यूँकी नूर एक राइटर हैं तो मैंने उनके पास उस ड्रामे की थीम के अकोर्डिंग डाॉयलोग्स् लिखने के लिये भेजा था। फूल मैंने बॉस के कैबिन में रखवाये थे जो गार्ड ने गलती से लेटर के साथ रख दिये थे और नूर उस समय अपने ऑफिस में नहीं थी तो वह मेरा मैसेज उन्हें नहीं दे पाया था। आज सुबह ही मुझे इस बारे में पता चला तो मैं तबसे नूर को ही ढूँढ रहा था। औऱ यहाँ जब मुलाकात हुई तो.......। " राशिद ने आपा का हाथ पीछे मोड़कर उनकी गरदन पर टेबल पर रखे फूलदान से गुलाब के फूल की एक डाली सटा दी। उसमें काँटे भी नहीं थे। मगर आपा इतनी खौफ में थी कि उन्होंने घबरा के अपनी आँखें बंद कर ली थी .

राशिद की इस हरकत पर हम सभी हँसने लगे थे। हमारे हँसने की आवाज़ सुनकर आपा ने धीरे से आँखें खोलकर अपनी गरदन पर रखी छुरी को देखा.। जिसे देखकर वह भी हँसने लगी.

"अब आप एडवान्स में इतनी पिटाई कर ही चुकी हैं तो अब एक गुलाब आपको देना बनता है.। सजा मिल गयी है अब ख़ता भी कर लूँ.." राशिद ने घुटनों के बल बैठते हुए आपा की तरफ गुलाब बढ़ा दिया और गुनगुनाने लगा

जियें तो जियें कैसे बिन आपके...।

पूरी पार्टी हँस हँसकर बेहाल हो चुकी थी।


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