जीवन के झमेले
जीवन के झमेले
विश्वास जब कमजोर हो जाता है तो अंधविश्वास जन्म लेने लगता है। ग्यारह अगस्त २००९ दिन मंगलवार मेरे जीवन का पहला सबसे बुरा दिन।मेरी दुकान में चोरी और मेरी पत्नी का दूसरा गर्भपात। मैं बुरी तरह से टूट गया था। कुछ रास्ता ही नहीं मिल रहा था। चोरी के बाद दुकान की सारी पूंजी खत्म हो गई। व्यापार बैठ गया।
किसी तरह दूसरी पूंजी लगाकर दुकान शुरू किया मगर चोरी में चोर ने मेरी किस्मत भी चुरा ली। जितनी मेहनत करता उतना ही घाटा मिलता। काम में नुकसान होने लगा। तभी मेरे एक सोनार मित्र ने मुझे एक ज्योतिषी का नाम सुझाया। समय के कारण मैं तुरंत ही बातों में आ गया।नियत समय पर मैं उसके साथ उस ज्योतिष महाराज के पास गया। भूत वर्तमान बता कर मुझे विश्वास दिलाया कि वो मेरा भविष्य संवार देगा। पुखराज गोमेद मोती भांति-भांति के रत्न सोने चांदी की अंगूठी में पहनने को कहा।
उसी सोनार मित्र ने मुझे अंगूठियां बना कर दीं लगभग तीस हजार रुपए की।ज्योतिष महाराज से सिद्ध करवा अंगूठियां पहनीं। हाथ की दस उंगलियों में से आठ उंगलियों में अंगूठी किसी उंगली में दो अंगूठी। मैं उस वक्त रत्नाकर बन गया था। लगभग दो साल मैंने अंगूठियां पहनीं। मगर कुछ लाभ दिखता नहीं लगा उल्टा और मुसीबतें बढ़ती गई। जन धन तन तीनों का नुक़सान बढ़ गया।
व्यापार पहले से ज्यादा घाटे में आ गया। इस बीच पत्नी का दो गर्भपात और हो गया। सोनार मित्र का कर्ज़दार बना ही साथ ही कई और लोगों का भी कर्ज़दार बन गया। इस परेशानी का कोई हल नहीं मिल रहा था। मेरी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी। कर्ज़दारों का दबाव बढ़ने लगा। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं। तंग आकर मैंने सारी अंगूठियां उतार कर रख दी और कसम खाई कि दोबारा किसी अंधविश्वास में नहीं पड़ूंगा।